भारत ने कंबोडिया से 360 भारतीयों का रेस्क्यू किया है। इन्हें फ्रॉड एजेंसी ने नौकरी का लालच देकर कंबोडिया भेजा था। वहां इनसे साइबर फ्रॉड जैसे काम कराए जाते थे। भारतीय दूतावास गुरुवार (23 मई) को बताया कि इन्हें जिनबेई-4 नामक जगह से 20 मई को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया।
दूतावास के मुताबिक, 60 नागरिकों का पहला जत्था वापस स्वदेश लाया जा चुका है। दूतावास ने आगे कहा कि बाकी लोगों के ट्रैवल डॉक्यूमेंट और अन्य चीजों की जांच की जा रही है और उन्हें भी जल्द ही स्वदेश लाया जाएगा।
टूरिस्ट वीजा पर नौकरी तलाश कर रहे लोगों को भारतीय दूतावास ने दी चेतावनी
दूतावास ने बताया कि सिहानोकविले प्रशासन की मदद से ये ऑपरेशन चला। इसके लिए उन्होंने कंबोडियाई प्रशासन को धन्यवाद कहा है। भारतीय दूतावास कंबोडिया में नौकरी की चाहत रखने वालों के लिए लगातार एडवाइजरी जारी कर रहा है। एडवाइजरी में सलाह दी गई है कि सिर्फ विदेश मंत्रालय द्वारा एप्रूव किए गए एजेंटों की मदद से ही नौकरी की तलाश करें। इसमें खासतौर से टूरिस्ट वीजा पर नौकरी तलाश करने जाने वाले इच्छुक लोगों को चेतावनी दी गई है।
आंध्रप्रदेश में पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग रैकेट का किया भंडाफोड़
आंध्र प्रदेश पुलिस ने बीते दिनों विशाखापत्तनम में एक ह्यूमन ट्रैफिकिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने 18 मई को 3 लोगों को गिरफ्तार किया था। ये सिंगापुर में मोटी सैलरी मिलने का झांसा देकर युवाओं को फंसाते थे। इसके बाद उन्हें धोखे से कंबोडिया भेज दिया जाता था।
पुलिस ने न्यूज एजेंसी PTI से मंगलवार (21 मई) को बताया था कि कंबोडिया में ह्यूमन ट्रैफिकिंग रैकेट के जाल में फंसे 300 भारतीयों ने विद्रोह कर दिया था। इसके बाद कई लोगों को स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि इनमें से करीब 150 लोग एक साल से वहां फंसे हुए थे। चाईनीज हैंडलर इनसे साइब्रर क्राइम और पोंजी स्कैम कराते थे।
कंबोडिया में करीब 5,000 भारतीयों के फंसे होने का अंदेशा
विशाखापत्तनम पुलिस कमिश्नर ए रविशंकर ने बताया कि कई लोगों ने वॉट्सएप के माध्यम से यहां की पुलिस से संपर्क किया है और अपनी पीड़ा बताई है। उन्होंने बताया कि पुलिस को इससे जुड़े कई वीडियो भी मिले हैं। विशाखापत्तन ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस फकीरप्पा कगिनेली ने बताया कि करीब 5,000 भारतीय कंबोडिया में फंसे हुए हैं।
2 महीने पहले भी भारतीय दूतावास ने 250 भारतीय नागरिकों को बचाया था और सुरक्षित भारत भेजा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंबोडिया में साइबर ठग बनाए गए भारतीय ED और दूसरे कस्टम अधिकारी बनकर भारत में फोन करते थे। ये लोगों को कहते थे कि उनके भेजे गए पार्सल में संदिग्ध सामान मिला है। अगर वो पुलिस कार्रवाई से बचना चाहते हैं तो पैसे भेज दें।
कंबोडिया से रेस्क्यू किए गए शख्स ने बताई पूरी कहानी
कंबोडिया से रेस्क्यू किए गए एक शख्स ने अपनी पूरी कहानी मीडिया से बताई थी। उसने बताया था कि मंगलुरु के एक एजेंट ने उसे कंबोडिया में डेटा एंट्री की नौकरी ऑफर की। उसके बाद दो और लोगों को कंबोडिया ले जाया गया। उसने बताया कि उन्हें टूरिस्ट वीजा पर ले जाया गया। कंबोडिया पहुंचने पर उन्हें एक ऑफिस में ले जाया गया। यहां उनकी टाइप करने की स्पीड का टेस्ट हुआ और इंटरव्यू लिया गया। हालांकि, इस वक्त तक भी उन्हें नहीं मालूम था कि उनसे क्या कराया जाएगा।
ऑफिस जॉइन करने के बाद उन्हें पता चला कि उनका काम फेसबुक पर उन लोगों के बारे में पता करना है जिनके साथ आसानी से ठगी हो सके। लोगों को फंसाने के लिए उनसे महिलाओं के नाम पर फेसबुक आईडी बनवाई जाती थी। उनसे ये सारा काम चीन की एक टीम कराती थी। एक मलेशिया का व्यक्ति उनके निर्देशों को इंग्लिश में ट्रांसलेट करता था।