स्विटजरलैंड में चल रहे 2 दिन के यूक्रेन पीस समिट में यूरोपीय देशों के लीडर्स ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सीजफायर प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। जहां जर्मनी के चांसलर ओलफ शोल्ज ने इसे तानाशाही वाला शांति प्रस्ताव बताया, तो वहीं इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी ने पुतिन के प्रस्ताव को प्रोपैगेंडा करार दिया।
मेलोनी ने कहा कि इसके जरिए रूस यूक्रेन को उसी की जमीन से बेदखल कर रहा है। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रूसी राष्ट्रपति पर यूक्रेन से समझौता करने की इच्छा को लेकर झूठी कहानी गढ़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रूस को हथियार देने वाले देश इतिहास के गलत पक्ष पर हैं।
समिट के घोषणा पत्र में यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और उस पर परमाणु हमले के किसी भी खतरे को खारिज करने जैसी बातों को जोड़ा गया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्रेई येरमाक ने BBC न्यूज से कहा कि स्विस समिट में यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर कोई सौदा नहीं किया जाएगा।
जेलेंस्की बोले- सबकी कोशिश से किसी भी जंग को रोका जा सकता है
इससे पहले जेलेंस्की ने कहा कि वे इस सम्मेलन के जरिए कूटनीति को एक मौका देने चाहते थे। वह यह साबित करना चाहते थे कि अगर सब मिलकर कोशिश करें, तो जंग को रोका जा सकता है। जेलेंस्की ने कहा, "मुझे भरोसा है कि समिट में हम इतिहास रचेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि जल्द ही दुनिया में शांति आएगी।"
दरअसल, स्विट्जरलैंड पीस समिट से एक दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भी बयान सामने आयाथा। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ जंग तभी रुकेगी जब यूक्रेनी सेना उन चारों इलाकों (डोनेस्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जपोरीझिया) से पीछे हट जाएगी, जिन पर रूस ने दावा किया है। साथ ही यूक्रेन NATO में शामिल होने की जिद छोड़ देगा।
इसके अलावा यूक्रेन को अपनी सीमाओं पर तैनात सेना को भी हटाना होगा और पश्चिमी देशों को रूस पर लगाए प्रतिबंध खत्म करने होंगे। रूस-यूक्रन जंग को दो साल में यह पहली बार था जब पुतिन ने जंग खत्म करने की शर्तें खुलकर सामने रखीं। हालांकि पुतिन की इन शर्तों को यूक्रेन ने नकार दिया। यूक्रेन ने इसे ढोंग और बेतुका बताया था।
समिट में यूक्रेन रखेगा 10 पॉइंट का प्लान
यूक्रेन पीस समिट के लिए जेलेंस्की ने 10 पॉइंट का एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें जंग खत्म करने के लिए यूक्रेन से रूसी सेना की वापसी समेत कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। जेलेंस्की ने प्रस्ताव में मांग की है कि रूस अपनी सेना को यूक्रेन के क्षेत्र से पीछे हटाए। साथ ही वह क्रीमिया समेत उन क्षेत्रों को भी आजाद करे, जिस पर उसने कब्जा कर रखा है।
90 देशों ने समिट में हिस्सा लिया, भारत के प्रतिनिधि भी शामिल
न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, स्विस अधिकारियों ने सम्मेलन के लिए 160 देशों को न्योता दिया था, जिनमें से भारत समेत करीब 90 देशों के लीडर्स या प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए हैं। हालांकि रूस को इस समिट के लिए आमंत्रण नहीं भेजा गया है।
रूस के अहम सहयोगी चीन ने भी इस समिट से दूरी बनाई है। वहीं G20 के मौजूदा अध्यक्ष ब्राजील ने भी ऐसा ही किया है। सऊदी अरब और पाकिस्तान ने भी समिट में हिस्सा नहीं लिया है। भारत की तरफ से समिट में विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी पवन कुमार शामिल हुए हैं।