बचपन के दिन, जब मोबाइल, टीवी आदी नहीं थे। सिनेमा एकमात्र मनोरंजन का साधन था। खेल के मैदान हुआ करते थे। साइकिल रईसी की निशानी थी। सार्वजनिक नल से पानी भरना, कुए हो तो पानी खिचना, गांव में महिला पुरुष बच्चे सभी तालाब में नहाने जाते और वही कपड़े धोते थे। पहले कपड़े धोने के लिए हाथ, पाव या मोगरी से कूटते, कपड़े सुखाने से पहले उन्हें ताकत के साथ निचोडते, फिर झटक झटक कर सुखाते थे। आजकल तो वाशिंग मशीन है, तो कुछ करना ही नहीं पड़ता है। घर में दादी और मां चाय चूल्हे पर बनती थी, रोटी भी बनाती थी और राखवाले अंगारों पर रोटी सेकी जाती थी तभी थोड़ी सी राख चिपकी रहती थी जो हमारे लिए मेडिसिन का काम करती थी। अब गैस पर रोटी सिकती है। मटके में रई चलाकर मक्खन घर पर बनता था, खड़े मसाले घर पर कूटते थे, गेहूं का आटा घट्टी पर पीसते थे। मकान की खुद पुताई करते थे। घर के किसी भी मांगलिक या शादी ब्याह कार्यक्रम में यार दोस्त और करीबी मिलकर परोसदारी करते और जूठी पत्तल भी उठाते थे। एक गांव से दूसरे गांव बारात बैलगाड़ी से जाते थी। खानपान शुद्ध होता था। कम ग्रेवी वाला खाना होता था, गर्म मसाले का पूरा उपयोग होता था और देसी घी के लड्डू और सेव-नुकती आज भी याद आती है स्कूलों में नैतिक शिक्षा, खेल और व्यायाम सिखते थे। गुजर गया है वह हसीन जमाना जब रोजमर्रा की जिंदगी में खुब मेहनत होती थी, बिमार बहुत कम होते थे। अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने
विचार है)
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…