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मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, ‌ हिंदी हैं हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा

Updated on 15-10-2021 05:25 PM
लाख धर्म के नाम पर
   फिज़ाओं में ज़हर घोलो ।
   धर्म-निरपेक्षता के पुजारी
  फिज़ाओं में अमन के
       गुल खिलाते रहेंगे ।।
आजकल फिज़ाओं में धर्म की बयार बह रही है,चारों तरफ रंगीन रोशनी से नहाया हुआ मेरा शहर, शहर में जगह-जगह माता रानी के पंडाल और पंडालों में धूपबत्ती की महक और चंदन की खुशबू चारों तरफ,खुशी का माहौल,इस माहौल को और खुशगवार बना देती है,ऐसी घटनाएं जिसको देखकर लगता है,अभी भी मेरे शहर में अमन के पुजारी मौजूद है। मेरी नज़र एक ऑटो पर पड़ी जिसमें चार पांच महिलाएं बैठी थी माथे पर बड़ी सी बिंदी,सिंदूर से मांग भरी हुई,सजी-धजी, ऑटो चलाने वाला एक बुजुर्ग मौलाना सिर पर टोपी,माथे पर नमाज़ का काला टीका,लंबी सी दाढ़ी और उसकी गोद में बैठे छोटे मासूम सुनील और रवि जो उसकी झुग्गी के पड़ोस वाली झुग्गी में रहते हैं, सुनील और रवि के पिता आनंद एक बड़ी सी कॉलोनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है,और उसकी ड्यूटी का टाइम शाम सात बजे से लेकर सुबह सात बजे तक का होता है,अब उसके बच्चे मायूस नहीं रहते, उनको मालूम है,याकूब चाचा आएंगे,हम सबको ऑटो में बैठा कर ले जाएंगे,पूरे शहर की झांकियां घुमाएंगे । अब आनंद भी बेफिक्री से नौकरी पर जाता है,उसको मालूम है,मोहल्ले की महिलाओं को और बच्चों को याकूब चाचा ऑटो में बैठाकर ले जाएगा और माता रानी के दर्शन करवा कर ले आएगा ।  बुजुर्ग मौलाना की 9 दिन तक यही ड्यूटी रहती है,मोहल्ले की हिंदू महिलाओं को ऑटो में बैठा कर शहर भर की माता रानी की झांकियों के दर्शन करवाना और इस काम के लिए मोहल्ले की महिलाओं और बच्चों से पैसे नहीं लेता,पर मोहल्ले की महिलाएं भी याकूब चाचा का खूब ख्याल रखती है,सब महिलाएं पैसे इकट्ठा करके याकूब चाचा की ऑटो में पेट्रोल भरवा देती है और रोज़ 9 दिन तक माता के दर्शन के लिए घरों से निकल जाती है ।
  अमन के पुजारी मोहम्मद याकूब जो एक ग़रीब बस्ती में अपना आशियाना बना कर रहते हैं,लोगों की नज़र में याकूब एक झुग्गी में रहते है पर मेरी नज़र में इनकी झुग्गी किसी अमन के महल से कम नहीं,भले इनकी झुग्गी छोटी  हो,कच्ची हो और छत के ऊपर टूटे हुए टिन हो,पर इस अमन के पुजारी का दिल बहुत विशाल है।
जैसे याकूब चाचा का दिल बड़ा है वैसे ही उनकी झुग्गी बस्ती में रहने वालों का दिल भी बहुत बड़ा है चाहे परिवार की स्थिति कैसी हो पर यहां के लोग हर त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं,कन्या भोज के दिन याकूब चाचा की पोतियां सज धज कर पूरे इलाके के हर एक घर में जाती है,याकूब चाचा की पोतियों की आवभगत ऐसे की जाती है,जैसे माता रानी ने उनके घर पर दर्शन दे दिया हो, पहले इन के चरण धुलाए जाते हैं,फिर पूरे रीति-रिवाज  से मुसलमान बच्चियों को भोजन करवाया जाता है,भोजन के बाद बच्चियों को शगुन में कुछ पैसे भी दिए जाते हैं । मुझे यह लगता है कन्या भोज का कार्यक्रम वर्ष में एक बार क्यों,वर्ष के 365 दिन हम किसी ग़रीब बच्चे बच्चियों को अपने घर ले जाए,उनको अपने साथ बिठाकर भोजन करवाएं तो
 शायद माता रानी इससे ज़्यादा खुश होंगी बनिस्बत एक दिन के, अक्सर यह देखा गया है,कन्या भोज वाले दिन अमीर लोग अपनी बड़ी-बड़ी गाड़ियों से झुग्गी बस्तियों में जाते हैं,वहां कन्याओं के माता-पिता से विनती करते हैं कि अपनी कन्याओं को हमारे साथ भोजन करने के लिए भेज दे, काश यह पैसे वाले लोग साल के 365 दिन ग़रीब कन्याओं की ओर ध्यान दें,केवल एक ग़रीब कन्या की पढ़ाई लिखाई से लेकर भोजन तक की व्यवस्था कर दें, शायद इससे माता रानी ज्यादा खुश होगी एक दिन तो आप ग़रीब कन्याओं को अपने घर लेकर आ जाते हो,दूसरे दिन से अगर ग़रीब बच्चे आपके घर के सामने खेल रहे होते हैं,तो उनको डांट कर भगा देते हो,चलो घर के के सामने शोर मत करो,तुम लोग भूल जाते हो,कल जिस कन्या के चरणों को धोकर तुमने पूजा की थी,आज उसी कन्या को तुम्हारे घर के सामने खेलने पर डांट लगा रहे हो ।
जैसे मैंने आपको बताया था याकूब चाचा जिनके सिर पर टोपी चेहरे पर दाढ़ी ग़रीब इंसान पर दिल से बड़ा धनवान एक याकूब चाचा है,जिनकी दाढ़ी है। वही कुछ दिन पहले एक आतंकवादी गिरफ्तार हुआ है, जिसका नाम मोहम्मद अशरफ उसके चेहरे पर भी दाढ़ी है,एक अमन के गुल खिला रहा है,दूसरा हमारे देश की फिज़ाओं में ज़हर घोलने का काम कर रहा है।
याकूब चाचा से यह बात साफ हो गई हर दाढ़ी वाला आतंकवादी नहीं होता,इस समाज में सभी तरह के लोग रहते हैं,हर धर्म में अमन के पुजारी होते हैं,तो हर धर्म में फिज़ाओं में ज़हर घोलने वालों की कमी नहीं ।
अभी कुछ महीनों के बाद हमारे देश के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं,अभी से ही कुछ पार्टी के नेताओं ने रथ यात्राएं शुरू कर दी है,यह रथ यात्राएं एक आम इंसान की खून पसीने की कमाई को अपने रथों के पहयिओं  के नीचे से कुचलते हुए धर्म के नाम पर वोटों के लिए गुहार लगाएंगे ,फिर शुरू होगी हिंदू मुसलमानों के बीच में फूट डालने की राजनीति जो नेता सबसे ज़्यादा ज़हर उगलेगा उसको उतने ही ज़्यादा वोट मिलेंगे ।
अब आप ही फैसला करें एक तरफ नेता जी का रथ जो फिज़ाओं में जहर घोलने की कोशिश करेगा,दूसरी ओर याकूब चाचा का ऑटो जो फिज़ाओं में अमन के गुल खिलाते रहेगा। इस बार दशहरे पर हम यह प्रण लें बुराई के प्रतीक रावण के दहन के साथ-साथ धर्मों की नफरतों की दीवारों का भी दहन करें ।
मज़हब नहीं सिखाता,
 आपस में बैर रखना ‌।
 हिंदी हैं हम वतन है,
 हिन्दोस्तां हमारा ।।

मोहम्मद जावेद खान,संपादक,  भोपाल मेट्रो न्यूज़                                              ये लेखक के अपने विचार है I

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