हिसाब किताब व्यापार में होता है जिंदगी और रिश्तो में नहीं
Updated on
16-09-2022 09:33 AM
कई बार हम रिश्तो को लेनदेन की तरह तोल लेते हैं। उन्होंने यह किया तो हम भी यही करेंगे। और यह एक दूसरे के लिए किए खर्च तोल लेते हैं। चाहे शादी ब्याह में किए खर्च या पिकनिक पर साथ में किए खर्च या अन्य कोई भी आपस में किया हुआ व्यवहार इसका हम हिसाब किताब रखते हैं जनरल तरीके से हिसाब किताब रखना ठीक है परंतु ठोस मित्रता वालों के साथ या परिवार वालों के साथ इस प्रकार का लेनदेन का हिसाब रखना बिल्कुल गलत है। या तो रिस्ते रखो मत और रखो तो उन्हें निभाओ। जहां घनिष्ठता है खून के रिश्ते हैं वहां कभी यह मत सोचो कि उसने मेरे लिए क्या किया और मैं उसके लिए क्या कर रहा हूं या मैंने उसके लिए इतना किया और उसने मेरे लिए कुछ नहीं किया। कोई क्या कर रहा है यह न सोचे सिर्फ यह सोचे कि आप क्या कर सकते हैं और क्या कर रहे हैं और आपने क्या नहीं किया। पैसों से ज्यादा रिश्तो की अहमियत होती है, जिंदगी में अच्छे मित्र रिश्तेदार परिवार यह सब आपके भाग्य पर होता है और जब अच्छा कुछ मिलता है तो उसकी कदर रखें उसे संभाल कर रखे हैं और उस पर न्योछावर रहे। और जहां आपको लगता है कि यह सिर्फ दिखावे वाली बात है या मीठे बोल कर पिठ में छुरी बोलने वाली बात है तब आप उनके साथ लेनदेन के व्यवहार से बात करें उन पर न्योछावर होने की जरूरत नहीं है। अच्छी जिंदगी दिल से जिये जाती है दिमाग से नहीं। दिमाग से सिर्फ व्यापार होता है और दिल से कभी भी व्यापार नहीं होता। दिल में सभी के लिए सिर्फ येही होना चाहिए सेवा, मैत्री भाव, प्यार और आदर।
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