राजस्थान में हाल ही में देश के दो प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस की बैठकें हुई और इनमें से जो दो केंद्रीय स्वर उभर कर सामने आए उनमें यह साफतौर पर स्पष्ट हुआ कि भाजपा में मध्य प्रदेश के संगठनात्मक और शिवराज सरकार के कुछ सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को मान्यता मिली तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के चिंतन से एक बात उभर कर सामने आई कि वहां पर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जो फैसले विभिन्न वर्गों को अपने साथ जोड़ने के लिए किए हैं उसे एक मॉडल के रूप में आगे करके कांग्रेस पार्टी जहां भी अब चुनाव होंगे वहां पर छत्तीसगढ़ मॉडल को आगे कर मतदाताओं को यह बताने की कोशिश करेगी जो उसने वहां किया है वैसा ही और अन्य राज्यों में भी करेगी यदि उसे सरकार चलाने का मौका मिलेगा तो। पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकाय चुनाव में हालांकि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण भी होगा लेकिन इसके बावजूद इस मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे को अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की नजरों में विलेन साबित करने का कोई मौका हाथ से छोड़ने वाले नहीं हैं। इसकी बानगी इसी बात से देखने में मिली है कि इसके बाद प्रतिक्रियाएं और आरोप-प्रत्यारोप की मूसलाधार झड़ी और श्रेय लेने की राजनीति जोरों से हो रही है । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस बहुप्रतीक्षित फैसले का इंतजार मध्यप्रदेश को था, उस फैसले के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव में आरक्षण को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। भाजपा के जो प्रयास थे और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जो संकल्प था कि स्थानीय निकाय के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों, आज हमें गर्व है कि भाजपा का वह संकल्प पूरा हुआ है। शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव को बाधित करने का प्रयास किया, जिससे ओबीसी वर्ग को अवसर न मिल सके लेकिन भाजपा की सरकार और हमारे नेतृत्व ने अथक प्रयास कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया, जिसके कारण अब चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे।कांग्रेस पर आरोप लगाने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तनिक भी कोताही नहीं की और पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति करती है जबकि भाजपा समाज कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहती है। शिवराज का कहना था कि भाजपा की प्राथमिकता सभी वर्गो का कल्याण है, लेकिन कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है। शिवराज ने कहा कि भाजपा सरकार जो कहती है वह करके दिखाती है । शिवराज पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर आरोपों का मोर्चा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने संभालते हुए यहां तक कह डाला कि ओबीसी आरक्षण को लेकर "खोदा पहाड़ और निकली चुहिया" और अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हैं शिवराज। उनका आरोप था कि ओबीसी वर्ग को शिवराज सिंह ने धोखे में रखा, आरक्षण को लेकर सरकार की नीयत साफ नहीं रही है।अरुण यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर फैसला दिया, यह फैसला स्पष्ट कर रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव आरक्षण को लेकर हों, लेकिन उसका जो आंकड़ा है उसके अनुसार केवल 14 प्रतिशत आरक्षण ही पिछड़े वर्गों को मिल सकेगा। यादव ने कहा कि कमलनाथ की सरकार में हमने स्पष्ट कहा था हम 27% आरक्षण देंगे। उसका उल्लेख हमने विधानसभा में किया तथा उसके लिए प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया। यादव ने आरोप लगाया कि पिछले 18 सालों से मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार रही, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे इस दौरान और दो मुख्य्मंत्री ओबीसी के रहे, लेकिन पिछड़ों की केवल चुनाव में इनको याद आती है और चुनाव समाप्त होते ही फिर ओबीसी को यह भूल जाते है।
अरुण पटेल,लेखक, प्रबंध संपादक,सुबह सवेरे (ये लेखक के अपने विचार है )
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