आयुष्मान भारत योजना के तहत भोपाल जिले के 200 और प्रदेश के 1000 से अधिक इम्पैनल्ड अस्पतालों की नए सिरे से जांच होगी। सरकार को शिकायतें मिल रही थीं कि गली-मोहल्लों में अयोग्य अस्पताल भी योजना में शामिल हैं। फर्जी बिलिंग और इलाज में अनियमितताओं के चलते सरकार एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार कर रही है।
इसके तहत सभी अस्पतालों की स्क्रीनिंग होगी, जिनके पास आवश्यक सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी भौतिक जांच के जरिए अस्पतालों की इंफ्रास्ट्रक्चर, इलाज की गुणवत्ता और मरीजों की संतुष्टि को परखेगी। आयुष्मान भारत योजना मप्र के सीईओ डॉ. योगेश भरसट ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार कर रही है।
किन अस्पतालों पर गिर सकती है गाज?
अब क्या होगा?
सभी इमपेनल्ड अस्पतालों की दोबारा जांच होगी और फर्जी या घटिया सेवा देने वाले अस्पतालों को डीलिस्ट किया जाएगा।
अस्पतालों के क्लेम सेटलमेंट, मरीजों की शिकायतों और इलाज की गुणवत्ता पर आधारित नए मानक तय किए जाएंगे।
अस्पतालों की रैंकिंग बनाई जाएगी, जिससे अच्छे अस्पतालों को फायदा मिलेगा और खराब अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
क्या है योजना? राज्यभर के सभी इमपेनल्ड अस्पतालों की जांच होगी। गली-मोहल्लों में चलने वाले व गैर-मानक अस्पतालों की मान्यता रद्द की जा सकती है। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले अस्पतालों को प्राथमिकता दी जाएगी।
क्या होगी कार्रवाई? एसओपी के आधार पर अस्पतालों की पात्रता तय होगी। गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों की संबद्धता रद्द की जाएगी। फर्जी बिलिंग में लिप्त पाए गए अस्पतालों पर कानूनी कार्रवाई भी होगी।