वैसे तो हर जाति समाज कि अपनी अपनी तरह की जीवन शैली होती है पर राजस्थानी जीवन शैली अपने आप में एक मिसाल है। रंगीन चटकदार कपड़े, स्वनिर्मित आभूषण, ठोस एवं पारिस्थिति अनुसार लजीज खाना, आदर और मिठास भरी बोली, पूरे अभाव में भी अपनी सब आवश्यकता पूर्ति करना यह यही सीखने को मिलता है तो राजस्थानी जीवन शैली से काफी सीखा जा सकता है। पारिस्थिति (Ecology) और पर्यावरण का सही संतुलन करते हुए उन्होंने अपनी एक निश्चित जीवन शैली को निर्मित कर रखा है। यहां अधिकतर मकान पारिस्थिति अनुसार पत्थर के बने मिलेंगे जब व्यक्ति खुद भी श्रृंगारित रहता है तो उनके हर निर्माण कार्य में आपको श्रृंगारित वास्तुकला देखने को मिलेगी। राजस्थान के किले और पुराने संगमरमर से निर्मित मंदिर वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण है। आज के दौर में भी संगमरमर से निर्मित मंदिर और भवनों की वास्तु कला के कारीगर राजस्थान में भरपूर मिलेंगे। खनिज के नाम से यदि आप देखें तो प्रकृति ने प्रचुर मात्रा में खनिज यहां उत्पादित किया हुआ है। ठेठ गांव में महिलाएं लकड़ी और पानी की जुगाड़ मैं कई किलोमीटर पैदल चलती है। माना जाता है कि राजस्थान में पर्यटन तुलनात्मक दृष्टि से अन्य प्रदेशों से ज्यादा है। यहां की आम जनता एक ही विचारधारा से बंधी हुई नहीं है वह बौद्धिक तौर पर परिवर्तन पसंद करते हैं चाहे वह राजनीति को या सामाजिक। धर्म के प्रति आस्थावान जनता कट्टरवादी नहीं है। अधिकांशतहः शांति पसंद और सहयोगात्मक भाव यहां की जनता का रहता है।
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