मिशन 2024 की सफलता के लिए भाजपा संगठन व सत्ता के निशाने पर पूर्व कांग्रेस अघ्यक्ष सांसद राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आ गयी हैं। भाजपा की केंद्रीय सत्ता व संगठन यह मानकर चलते हैं कि राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से आरम्भ हुई और पांच माह में जम्मू- कश्मीर तक जायेगी और यह यात्रा अनेक राज्यों से होकर गुजरेगी, फिलहाल यात्रा को काफी जन-समर्थन मिल रहा है तथा बड़ी संख्या में लोग उसमें शामिल होकर स्वागत कर रहे हैं। यात्रा के दौरान राहुल गांधी उन मुद्दों को तरजीह दे रहे हैं जो आमजन की दैनंदिनी समस्याओं से जुड़े हैं और उसकी जिन्दगी को दूभर कर रहे हैं। राहुल का यह भी कहना है कि यह कांग्रेस की यात्रा नहीं है और इसमें वे सभी लोग शामिल हैं जिनका लोकतंत्र व संविधान में भरोसा है तथा जो लोगों से जुड़कर उनकी समस्याओं को हल करना चाहते हैं। भाजपा की आशंका निर्मूल नहीं है कि यदि यात्रा सफल रही और उसे अच्छा-खासा समर्थन मिला तो इससे जितना भी विपरीत असर पड़ेगा वह उसकी चुनावी संभावनाओं पर ही परिलक्षित होगा। यात्रा के आरंभ से ही भाजपा ने उसकी हवा निकालने की कोशिश की लेकिन उल्टे सोशल मीडिया में भाजपा को ही लेने के देने पड़ गये। भाजपा ने इसके जवाब में कांग्रेस छोड़ो अभियान प्रारंभ कर दिया है। उसने गोवा के 11 में से 8 कांग्रेस के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है और इसके साथ ही गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि अब कांग्रेस छोड़ो यात्रा यहां से प्रारंभ हो गयी है और उसमें इस प्रकार की झलक आगे भी मिलती रहेगी। उनका कहना था कि गोवा से यह यात्रा शुरु हो चुकी है और जैसे-जैसे यात्रा बढ़ेगी कांग्रेस के नेता बाहर आते जायेंगे। भारत जोड़ो यात्रा आरंभ होने के 15 दिन पहले तक माहौल पूरे देश में भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा था। विपक्ष एकजुटता की कवायद में लगा तो था लेकिन सब कुछ भाजपा के अनुकूल नजर आ रहा था, लेकिन जैसे ही बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से अपना दामन छुड़ा लिया वह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। एक प्रकार से भाजपा उस झटके को झेल गयी है ऐसा उसने दिखाने की है । मगर भारत जोड़ो को जिस तरह का समर्थन मिल रहा है उससे भाजपा की चिन्ता बढ़ने लगी है। अब भाजपा ने अपनी योजना में बदलाव करते हुए 2024 में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस सहित उन पार्टियों या नेताओं पर फोकस करना चालू कर दिया है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनौती दे सकते हैं। भाजपा यह भलीभांति जानती और समझती है कि उसका देशव्यापी मुकाबला केवल कांग्रेस से होना है, इसलिए सबसे पहले कांग्रेस में सेंधमारी कराई गई। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी तो दूसरे नेता और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामथ सहित 8 विधायकों को भाजपा में शामिल कराकर यह संदेश देने की कोशिश की गयी कि राहुल के भारत जोड़ो अभियान का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि वे अपनी पार्टी को ही नहीं संभाल पा रहे हैं। आम आदमी पार्टी का भी आरोप है कि उसके विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की गयी लेकिन वह सफल नहीं हुई। भारत जोड़ो यात्रा भाजपा सहित समूचे विपक्ष को भी एक प्रकार से आइना दिखा रही है जो कांग्रेस की उपेक्षा कर रहे थे। बिहार में सत्ता गंवाने के बाद अब भाजपा का अगला निशाना नीतीश कुमार हैं, बीजेपी अब नीतीश कुमार से हिसाब बराबर करने में तो लग ही गयी है, वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जेल भेजने की तैयारी शुरु हो गयी है। मणिपुर में जदयू के पांच विधायकों को भाजपा में शामिल किया गया है और फिर दमन-दीव में जदयू की राज्य इकाई का भाजपा में विलय कर लिया गया। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बढ़ते हुए कद को देखते हुए भाजपा ने अब ममता को अपने निशाने पर ले लिया है। उसने अपनी मजबूत टीम तैनात की और उसके बाद राज्य में हिंसक माहौल बनाकर अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है। 2019 की जीत को दोहराने के लिए भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों को मिशन बंगाल पर तैनात कर दिया है और सुनील बंसल को वहां का प्रभारी बना दिया है। अब यह तो 2022 और 2023 के विधानसभाओं के चुनाव परिणाम और 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा कि विपक्ष भाजपा के सामने कितनी चुनौती पेश कर पाया। फिलहाल तो विपक्षी एकता ही दूर की कौड़ी नजर आ रही है क्योंकि अलग-अलग नेताओं की अपनी- अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं और दूसरे कुछ नेता मोर्चे से कांग्रेस को अलग रखना चाहते हैं।
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