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रघु ठाकुर की नजर में कर्नाटक के नतीजों में छिपे संकेत

Updated on 23-05-2023 02:47 PM
कर्नाटक के चुनाव नतीजे आने के बाद उस पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। समाजवादी विचारक ,चिंतक और राजनेता रघु ठाकुर इन चुनाव परिणामों पर कहते हैं कि यह नतीजे भारतीय राजनीति और व्यवस्था के लिए अनेक प्रकार के अच्छे परिणाम ला सकते हैं। एक तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा कि केंद्र सरकार  का जो पिछले कुछ समय से तानाशाही का रास्ता चल रहा था उस पर रोक लगेगी और सरकार को अपने कुछ कदमों को वापस खींचने को  बाध्य होना पड़ेगा। क्योंकि जनता के इस संकेत को भाजपा को समझना ही होगा । दूसरे वास्तव में यह किसी एक पार्टी की जीत नहीं है बल्कि जनता के विद्रोह व सांप्रदायिकता के नकार की  जीत है।  कर्नाटक के अनुसूचित जाति जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के विश्वास के जीत  है।कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने जब यह नारा लगाया कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी जिसे पिछले कई दशकों से हम लोहिया वादी लोग लगाते रहे हैं की जीत है।इस नारे का विद्युत गति से असर हुआ था और अनु जाति व जनजाति  तथा अन्य पिछडा वर्ग के मतदाताओं ने बडी संख्या में कांग्रेस को मत दिया।लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और मैं अपनी ओर से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष  मलिकार्जुन खरगे एवं  राहुल गांधी को शुभकामनाएं देना चाहता हूं की उनकी पार्टी को भारी विजय मिली है। मैं  उम्मीद करता हूं कि जो वायदे उन्होंने कर्नाटक में किए हैं  व जिनकी चर्चा की है उसे जमीन पर उतारेंगे  जाति गत जनगणनाऔर कार्यक्रम के प्रति अपनी प्रतिब द्धता सिद्ध करेंगे । देश में लोकपाल की स्थापना के एक लंबे संघर्ष के बाद आकार ले सकी लेकिन  स्थापना के लगभग 3 वर्ष के बाद स्थिति इतनी दुखद है कि लोकपाल में जो शिकायतें प्राप्त हुई थी उन शिकायतों में से  78 फ़ीसदी  शिकायतों का निराकरण इसलिये  नहीं हो सका क्योंकि लोकपाल में शिकायत के लिए अंग्रेजी भाषा में होना अनिवार्य किया गया है। पिछले 4 वर्षों में लगभग 300 करोड़ रुपया  लोकपाल पर खर्च हुआ है ।और मात्र  तीन मामलों में लोकपाल ने जाँच पूरी की है पर अभियोजन  की कार्यवाही नहीं  की  है। उन्होंने सवाल उठाया है कि यह लोकपाल है या सफेद हाथी। उन्होंने मांग की  है कि लोकपाल के ही पिछले 4 वर्षों के खर्च आदि की जांच होना चाहिए और ऐसे लोकपाल को जो  आम जनता पर बोझ है समाप्त कर देना चाहिए।
      प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूतपूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  की नजर में मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव से 6 महीने पहले ही अपनी  हार  स्वीकार कर ली हो। कमलनाथ का कहना है कि मुख्यमंत्री सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता जनता के मुद्दों से पूरी तरह कट चुके हैं और कांग्रेस की जनहितैषी घोषणाओं से अपना संतुलन खो बैठे हैं। वे सब मिलकर सुबह शाम मुझे कोसने में लगे हैं। लेकिन प्रदेश की  जनता देख रही है कि भाजपा के नेता मुझे नहीं, मध्य प्रदेश के नव निर्माण के लिए की गई कमलनाथ की घोषणाओं को कोस रहे हैं। भाजपा के लोग महिलाओं के सम्मान में मिलने वाले ₹1500 को कोस रहे हैं। मध्यप्रदेश में मिलने वाले ₹500 के गैस सिलेंडर , जनता को मिलने वाली 100 यूनिट मुफ्त बिजली और  जनता को मिलने वाली 200 यूनिट बिजली के बिल को कोस रहे हैं। भाजपा के लोग  प्रदेश की 8.5 करोड़ से अधिक जनता के सुनहरे भविष्य को कोसने में लगे हैं। लेकिन याद रखिए कमलनाथ ने 44 साल मध्यप्रदेश की सेवा में बिताए हैं। इस सेवा के मार्ग में चाहे गालियां मिलें, चाहे पत्थर मिलें, चाहे अपशब्द मिलें, मैं सब स्वीकार कर लूंगा, लेकिन प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दूंगा।
       वहीं दूसरी ओर कटनी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने एक  बयान में कहा है कि 1984 के सिख दंगों में सज्जन जेल में, जगदीश पर चार्जशीट हो चुकी है और अब कमलनाथ की बारी है। शर्मा कहते हैं कि मैं जरूर यह बात कहना चाहता हूं कि इन्हीं दंगों के बारे में आरोप में कमलनाथ पर भी लगे हैं । शर्मा का कहना है कि जल्दी ही आपके ऊपर जो आरोप हैं वह तय होंगे क्योंकि जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं । वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री डॉ .नरोत्तम मिश्रा ने भी कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा है कि कमलनाथ जी पर उम्र हावी है इसलिए  बोलना  क्या है  भूल जाते है । उन्होंने  कमलनाथ द्वारा द्वारा स्व राजीव गांधी की  पुण्यतिथि को शुभ दिन बोलने पर कुछ इस अंदाज में तंज़ कसा है।
अरुण पटेल
-लेखक ,संपादक 

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