नई दिल्ली । भारत- चीन सरहद पर तनातनी के बीच अब अत्याधुनिक राफेल विमान भी लद्दाख में उड़ान भर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार राफेल विमानों ने लद्दाख के आसपास के क्षेत्रों में रविवार को भी उड़ान भरी हैं। सरकारी सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है। वायुसेना सुखोई एवं मिराज विमानों को वहां पहले से ही तैनात कर चुकी है। कुछ मिराज विमान भी उड़ान भरते देखे गए हैं। वायुसेना ने विगत 10 सितंबर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित एक समारोह में राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल किया था। इससे पूर्व जुलाई के आखिर में फ्रांस से पांच राफेल विमान अंबाला पहुंचे थे।राफेल विमान जब वायुसेना में शामिल किए गए थे, तब वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि उन्हें सही वक्त पर वायुसेना में शामिल किया गया है। ये वायुसेना की ताकत में इजाफा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि गोल्डन एरोज (राफेल स्वाड्रन) को जहां भी तैनात किया जाएगा, वह हमेशा दुश्मन पर भारी पड़ेंगे। बीच में खबरें आई थीं कि चीन ने तिब्बत के क्षेत्र में पड़ने वाले कई हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमानों की तैनाती की है, जिसके चलते भारत के लिए भी इस प्रकार का कदम उठाना जरूरी है। पिछले दिनों वायुसेना प्रमुख ने भी एलएसी के करीब स्थित वायुसेना केंद्रों का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया था।भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडरों की छठे दौर की बातचीत आज मोल्डो में होने जा रही है। इसमें मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सौनिकों को पीछे हटाना और तनाव घटाने पर बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से चीन की ओर मोल्डो में सुबह 9 बजे यह वार्ता शुरू होने वाली है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल में पहली बार विदेश मंत्रालय से एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के इसमें हिस्सा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि भारत इस वार्ता में कुछ ठोस नतीजे निकलने की उम्मीद कर रहा है। भारतीय सेना पिछले कुछ वक्त में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के निकट टकराव वाले क्षेत्रों के आसपास 20 ऊंची पहाड़ियों पर अपना कब्जा जमा चुकी है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। चीन और भारत के बीच सोमवार को कोर कमांडर स्तर की छठवें दौर की वार्ता के पहले भारत की इस सामरिक बढ़त को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत ने बर्फीले मौसम के बीच चुशूल के इलाके में भी पिछले कुछ दिनों से अपनी मौजूदगी बढ़ाई है, ताकि अपना प्रभुत्व कायम रखा जा सके। सूत्रों का कहना है कि सेना ने लद्दाख के सभी अग्रिम मोर्चों और संवेदनशील ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान सैनिकों की मौजूदा संख्या और हथियार बनाए रखने के लिए आवश्यक इंतजाम कर लिए हैं। सर्दियों में यहां तापमान शून्य से 25 डिग्री तक नीचे चला जाता है।