देश के कुल मतदाताओं में से आधे से कुछ कम 48 प्रतिशत महिला मतदाता हैं लेकिन विधायकों में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। महिला सम्मान, स्वाभिमान और सशक्तीकरण की बात हर राजनीतिक दल जोरशोर से करता है क्योंकि उसे एक थोकबंद वोट इसमें नजर आता है लेकिन जब राजनीति में उसकी हिस्सेदारी का सवाल आता है तो 15 प्रतिशत विधायक भी महिला नहीं हैं। जब विधानसभा और लोकसभा में टिकट देने का सवाल उठता है तब कोई भी दल उनकी आबादी के अनुपात में उन्हें टिकट नहीं देता है। देश के अधिकांश राज्यों में पंचायती राज और स्थानीय शहरी निकायों में कानूनन बाध्यता होने के कारण हर राजनीतिक दल को आधे उम्मीदवार महिलाओं में से ही चुनने की मजबूरी होती है और इन संस्थाओं में महापौर व अध्यक्ष के पद भी महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में उनकी पर्याप्त भागीदारी है लेकिन ऐसे भी कई उदाहरण देखने में आते हैं जहां सरपंच पति और पार्षद पति उनसे आगे स्वयं उनके नाम पर राजनीति करने लगते हैं। एक सवाल यही है कि क्या महिलाओं को उनकी आबादी के अनुपात में विधानसभाओं और लोकसभा में प्रतिनिधित्व मिल पायेगा। चाहें तो बिना रिजर्वेशन के राजनीतिक दल अपनी तरफ से महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं लेकिन चुनावी जीत की संभावनाओं के हॉवी होने के चलते कोई भी उदारतापूर्वक महिलाओं को टिकट नहीं देते हैं। एक-दो दल इसके अपवाद हो सकते हैं। इस समय छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां महिला विधायकों की संख्या कुल सदन की संख्या के अनुपात में 14.44 प्रतिशत है। तो महिला मतदाताओं का प्रतिशत राज्य में 49.5 है। दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल आता है जहां मुख्यमंत्री स्वयं महिला हैं और 13.70 प्रतिशत महिलायें विधायक हैं जबकि 49 प्रतिशत महिला मतदाता हैं। झारखंड में 12.35 प्रतिशत महिला विधायक हैं जबकि मतदाताओं में उनका औप्रतिशत 47.4 है। राजस्थान में 12 प्रतिशत महिला विधायक हैं जबकि मतदाताओं में उनकी हिस्सेदारी 47.3 प्रतिशत है। यूपी में 11.66 प्रतिशत महिला विधायक हैं जबकि मतदाताओं में उनकी हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है। 50 प्रतिशत से अधिक महिला मतदाता वाले राज्यों में केरल, मणिपुर, असम, मिजोरम, मेघालय, गोवा एवं तामिलनाडु शामिल हैं। देश के 19 राज्यों में कुल 3956 विधायक हैं जबकि इनमें महिला विधायकों की हिस्सेदारी कुल 352 है। इनमें भी 122 भाजपा और 69 कांग्रेस की विधायक हैं। नौ राज्यों में भाजपा और 12 राज्यों में कांग्रेस की एक भी महिला विधायक नहीं है। जहां तक तृणमूल कांग्रेस का सवाल है पश्चिमी बंगाल में 33 महिला विधायक हैं। देश में महिला मतदाताओं की आबादी 48 प्रतिशत होने के बावजूद उन्हें विधानसभाओं में 15 प्रतिशत भी हिस्सेदारी नहीं मिली है। पहली बार कुल 68 विधायकों में से हिमाचल में एक ही महिला विधायक है। 412 उम्मीदवारों में 24 महिलाओं को मौका मिला था लेकिन सफल केवल एक महिला ही हो पाई। गुजरात में 560 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे लेकिन महज 40 महिलायें ही चुनाव मैदान में थी और उनमें से भी सफलता केवल 15 को मिली। यदि इस मान से देखा जाए तो पुरुषों की तुलना में चुनावी रण में महिलाओं की सफलता की दर पुरुषों से बेहतर है। देश के आठ राज्य तो ऐसे हैं जहां महिला मतदाता 50 प्रतिशत से अधिक हैं लेकिन वहां के कुल विधायकों में बमुश्किल 5 से लेकर 8 प्रतिशत तक ही महिला विधायक हैं। मिजोरम में तो 51 प्रतिशत महिला वोटर होने के बावजूद कोई महिला विधायक नहीं है। नागालैंड में भी कोई महिला विधायक नहीं है। प्रतिनिधित्व के हिसाब से विधानसभाओं की तुलना में लोकसभा में महिलाओं की हिस्सेदारी कुछ बेहतर है और 14.94 प्रतिशत महिलायें सांसद हैं जबकि राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत महिला सांसद हैं। यदि इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन के आंकड़ों को माने तो दुनिया भर की संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। पाकिस्तान में 20 प्रतिशत और बांग्लादेश में 21 प्रतिशत है। इस मामले में वैश्विक औसत से भारत 3 प्रतिशत पीछे है और अपने पड़ोसी मुल्कों से 6 से 7 प्रतिशत तक पीछे खड़ा है। यदि राजनीति को गुणात्मक सुधार देना है तो महिलाओं की हिस्सेदारी कम से कम एक चौथाई किस तरह की जा सकती है इस पर भारत के सभी राजनीतिक दलों को सोच-विचार व मंथन कर पहल करना चाहिए।
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…