छत्तीसगढ़ की कांग्रेस राजनीति में लम्बे समय से सब ठीक नहीं चल रहा है और ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर नेतृत्व परिवर्तन की बात यहां यदा-कदा होती रहती है। छत्तीसगढ़ के लगभग 60 विधायकों जिनमें अनेक मंत्री भी शामिल थे के दिल्ली पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पलड़ा भारी दिख रहा था और ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें हाईकमान का अभयदान मिल गया है। छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी पी एल पूनिया ने दो-टूक शब्दों में कह दिया था कि ढाई-ढाई साल का कोई फार्मूला था ही नहीं। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में केप्टन अमरिन्दर सिंह के स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी कर दी। इस परिवर्तन ने छत्तीसगढ़ के असंतुष्ट कांग्रेसजनों को एक प्रकार से संजीवनी बूटी दे दी है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के एक दावेदार स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का दिल्ली से वापस आने के बाद पंजाब के संदर्भ में यह कहना कि मुख्यमंत्री बदलने की वह एक प्रक्रिया थी, से लगता है उनके मुख्यमंत्री बनने के अरमानों को फिर से पंख लग गये।
छत्तीसगढ़ में सिंहदेव के इस रुख से जो अस्थिरता का वातावरण चल रहा था उसके बादल कुछ गहरे होते नजर आ रहे हैं। क्योंकि जब तक अब स्थायी तौर पर नेतृत्व परिवर्तन के सम्बन्ध में कांग्रेस आलाकमान का साफ रुख सामने नहीं आता उस समय तक प्रशासनिक अधिकारी दुविधा में रहेंगे और इससे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को जितने दिन अस्थिरता चलती है उतने दिन नुकसान होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। नई दिल्ली से रायपुर लौटने के बाद विमानतल पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए सिंहदेव ने राज्य में सत्ता परिवर्तन को लेकर पंजाब की तर्ज पर अचानक एक बड़ा बयान दे डाला। उनका कहना था कि अचानक नहीं, यह एक प्रक्रिया है जो चल रही है। छत्तीसगढ़ में लोग ढाई-ढाई साल की बात कर रहे हैं लेकिन वह समय बीत गया। कहीं न कहीं चर्चा चलती रहती है और चर्चा को अंजाम तक ले जाने की जो बात है वह निर्णय के रुप में ही आती है। बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय के निष्कासन प्रस्ताव पर उनका कहना था कि हम सब कांग्रेस के व्यक्ति हैं, हाईकमान सोनिया जी के साथ जुड़े हुए हैं, नीति व आदेशों के साथ चलने वाले हैं, भावनाओं में आकर यदि कोई कुछ कह देता है तो वह पार्टी के अंदर की बात है। जहां तक कार्रवाई का सवाल है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास बात जाएगी। सिंहदेव के समर्थक माने जाने वाले शैलेष पांडेय के बारे में उन्होंने यह भी कहा कि वह बड़े भावनात्मक व्यक्ति हैं और मन की जो बातें रहती हैं वह कई बार बाहर आ जाती हैं सार्वजनिक जीवन में हम जितना संयमित रहें उतना अच्छा है। वैसे कांग्रेस के अंदर आंतरिक गुटबंदी और विवाद अब पर्दे के भीतर नहीं अपितु सार्वजनिक हो रहे हैं।
कांग्रेस विधायक शैलेष पांडेय के बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि टीएस सिंहदेव का आदमी होने के कारण हमें परेशान किया जा रहा है। इस पर बिलासपुर से कांग्रेस के नेता अटल श्रीवास्तव ने बयान दिया कि मुझे नहीं मालूम कौन किसका आदमी है और कौन किसकी औरत है, पांडे कांग्रेस के विधायक हैं, इतना जानता हूं कि जो कार्रवाई पुलिस कर रही है वह सबूतों के आधार पर कर रही हैै। उनका कहना था कि शैलेष पांडेय इस प्रकार के बयान पहले भी देते रहे हैं। आने वाले समय में हम हाईकमान को अवगत करायेंगे कि यह पैराशूट विधायक हैं तथा इनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। जिला कांग्रेस कमेटी ने पांडेय को निष्कासित करने का प्रस्ताव पास कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज दिया है। सिंहदेव को भले ही उम्मीद हो कि उनकी लाटरी देर-सबेर खुलकर ही रहेगी, लेकिन इस समय देश में और खासकर मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार का राजनीतिक परिवेश है, उसमें यदि एक बार यह मान भी लिया जाए कि नेतृत्व परिवर्तन होता है तो भी इसमें सिंहदेव के अरमान पूरे होने की संभावना न्यूनतम है। हालांकि कांग्रेस राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। उनके स्थान पर किसी अन्य पिछड़े वर्ग या आदिवासी के मुख्यमंत्रीबनने की अधिक संभावना है बशर्ते कांग्रेस हाईकमान बदलाव करना चाहे तो। जहां तक भूपेश बघेल का सवाल है उनकी मजबूती का सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ आक्रामक रवैया तथा कांग्रेस के लगभग 60 विधायकों का समर्थन है। वे पिछड़े वर्ग के नेता हैं इसलिए कांग्रेस हाईकमान उन्हें बदलने का जोखिम शायद ही ले।
भाजपा डाल रही अजय सिंह पर डोरे ?
मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे तथा कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह की गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से 40 मिनट की मुलाकात और उसके बाद उनके जन्मदिन पर डॉ मिश्रा और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का उनके घर जाकर बधाई देने से अचानक ही सियासी सरगर्मी तेज हो गयी। अजय सिंह क्या भाजपा में जा रहे हैं इसको लेकर मीडिया में कयास लगाना चालू हो गया। मंगलवार को अजय सिंह डॉ मिश्रा से उनके निवास पर मिलने गये थे, यही कारण था कि दिन भर अटकलें चलती रहीं, हालांकि अजय सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह उनकी सौजन्य मुलाकात थी और क्षेत्र की समस्याओं को लेकर उनसे मिलने पहुंचे थे। डॉ मिश्रा को प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को भाजपा में लाने में महारत हासिल हो चुकी है। मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में अजय सिंह को प्रतिभावान बताते हुए कहा कि अजय सिंह की सियासत और उनकी विरासत का कांग्रेस सही उपयोग नहीं कर रही है। वे मेरे मित्र हैं, मैं उनके यहां जाता रहता हूं, वे उनसे अपने क्षेत्र के विकास को लेकर चर्चा करने आये थे। वैसे इस बात की संभावना बहुत कम है कि अजय सिंह भाजपा में जायेंगे, लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है, इसलिए कभी भी कोई भी राजनीतिक गुल खिलने से इन्कार नहीं किया जा सकता। देखा जाए तो अजय सिंह हमेशा भाजपा के प्रति आक्रामक रुख अपनाते रहे हैं। इस मुलाकात के बाद अटकलों का दौर इसलिए चला क्योंकि उनकी उपेक्षा की बात डॉ मिश्रा ने की। इसके बाद 23 सितम्बर को अजय सिंह का जन्मदिन था और उस दिन उन्हें बधाई देने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित 12 विधायक उनके भोपाल स्थित आवास पर पहुंचे। विजयवर्गीय और मिश्रा के उनके आवास पर बधाई देने पहुंचने के मायने राजनीतिक हलकों में तलाशे जा रहे हैं। भाजपा नेता इन दिनों उन नेताओं की जो कांग्रेस में एक प्रकार से हाशिए पर माने जा रहे हैं उनकी उपेक्षा और उनका उपयोग न किये जाने की बात समय-समय पर उछलते रहे हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के बारे में भी इसी तरह की बातें समय समय पर उछालते रहे हैं। अरुण यादव ने तत्काल खंडन किया और यहां तक कह डाला कि मेरा सरनेम सिंधिया नहीं यादव है। अटकलों के बीच अजय सिंह ने भाजपा नेतृत्व पर तीखा हमला बोला और यह जताने की कोशिश की कि वह भाजपा के प्रति कोई नरम रुख नहीं रखते। वैसे भी उनके बयान भाजपा के खिलाफ समय-समय पर आते रहते हैं और भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते। अजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया कि वे किसानों और बेरोजगारों को मजदूर बनाने पर तुले हुए हैं। एक कृषि अधिकारी के भरोसे 71 गांव हैं और 80 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। तमाम स्वरोजगार की योजनायें बंद हैं।
कांग्रेसी था, हूँ और रहूँगा
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने उनके बीजेपी में जाने को लेकर मीडिया में चल रही अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें मनगढ़ंत निरूपित किया है । उन्होंने इन आधारहीन बातों को विराम देते का प्रयास करते हुए दो टूक शब्दों में कहा है कि मुझे अपने पिता स्व. अर्जुनसिंह से सदभाव के साथ सबको साथ लेकर चलने की सीख विरासत में मिली है। वे हमेशा अपने आपको कांग्रेस का सिपाही कहते थे| उनके विचारों विपरीत जाकर मैं आलोचना का भागीदार नहीं बनना चाहता। मैं उन्हीं की परम्परा का निर्वहन करता हूँ| मैं आत्मा से कांग्रेसी था, कांग्रेसी हूँ और कांग्रेसी रहूँगा| जो लोग ऐसा सोच रहे हैं कि मैं बीजेपी में जा सकता हूँ, उन सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे इस कल्पनाशील विचार को त्याग दें| मेरी प्रतिबद्धता कांग्रेस पार्टी के साथ है|
अजयसिंह ने स्व. अर्जुनसिंह के राजनीतिक कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा प्रतिपक्ष का सम्मान किया| प्रतिपक्ष के सुझावों को वे हमेशा ध्यान से सुनते थे और आलोचनाओं से कभी विचलित नही होते थे| लोकतंत्र की स्वस्थ परम्पराओं का उन्होंने हमेशा पालन किया| भले ही विचारधाराएँ अलग अलग हों लेकिन उन्होंने प्रदेश के विकास में इसे कभी आड़े आने नहीं दिया| यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के समय केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने मध्यप्रदेश को जो दिया वह हमेशा याद किया जाएगा| मैंने अपने राजनीतिक जीवन में उनसे बहुत सीखा है|
सिंह ने कहा कि मेरे मंत्री रहते हुए बीजेपी के बहुत से विधायक मुझसे क्षेत्र के काम से मिलते रहते थे और मैं सहर्ष उनकी समस्याओं को हल करता था| उनमें कई अभी वर्तमान में मंत्री हैं| इसी तरह मैं भी अपने क्षेत्र की समस्याओं और जनता के काम लेकर भाजपा सरकार के मंत्रियों से मिलता रहता हूँ| कई बार एक दूसरे से सौजन्य भेंट होती रहती है| प्रतिपक्ष दुश्मन तो नहीं होता| लोकतंत्र में वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है| इस सौजन्यता का यह अर्थ कतई नहीं लगाना चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूँ| यह सिर्फ एक परिकल्पना मात्र है|
अरुण पटेल, वरिष्ठ पत्रकार,लेखक ये लेखक के अपने विचार है I
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