जनप्रतिनिधि का जो अर्थ हम समझते हैं वह यह है कि जनता का प्रतिनिधि, जनता की आवाज। यदि जनता को कोई तकलीफ है तो वह प्रतिनिधि के मार्फत अपनी आवाज उठा सकते हैं। क्योंकि सरकारी अधिकारी कर्मचारी आम जनता को रूला सकते हैं पर जनप्रतिनिधि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों को रुला सकता है। विषम विकट परिस्थिति जब हो जाती है कि जब हमे जनप्रतिनिधि से मिलने के लिए मशक्कत करनी पड़े। जब जनप्रतिनिधि से ही नहीं पाए तो फिर तो हमारे साथ जो कुछ हो रहा है उसे सहना ही पड़ेगा। कई जगह जनप्रतिनिधि से मिलना आसान है और कई जगह आप विधायक सांसद तो छोड़ो पार्षद से मिलने को भी तरस जाओगे गांव में सरपंच से मिलने में तरस जाओगे। आजकल एक नया फैशन देखने में आ गया बड़े अधिकारी जनप्रतिनिधियों को ओबलाईज करते हैं और जनप्रतिनिधि उनके ओबलीकेशन में उनकी वाहीवाही कर देते हैं। जनप्रतिनिधि से भ्रष्ट अधिकारियों ने डरना चाहिए। जनप्रतिनिधि के लिये जनता पहले पार्टी बाद में होना चाहिए। जनता के साथ कई जगह कुटाई पिसाई हो जाती है जनप्रतिनिधि ही बचा सकता है। कई जनता को भ्रष्ट पुलिस, प्रशासन, गुंडे, नेता, मीडिया कर्मी डरा कर लूटते हैं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, वास्तु एवं पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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