प्राधिकरण के आदेश अनुसार प्रमोटर द्वारा आवेदक पक्ष को पूरी राशि न देकर केवल 2 लाख रूपये दिया गया था, जबकि 1 लाख 91 हजार 809 रूपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया था। आवेदक ने प्रमोटर से बची हुई राशि की प्राप्ति के लिए न्यायालय श्रीमती दीपा कटारे, न्याय निर्णायक अधिकारी के समक्ष मामला प्रस्तुत किया, जिसमें निर्णय लेते हुए प्रमोटर के विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया और 29 मई तक निष्पादन शुल्क सहित रूपये 1 लाख 93 हजार 569 रूपए की वसूल कर आवेदक को प्रदान की गई।