सांसारिक जीवन मे हम जिस समाज, परिवार और जिस देश में रहते हैं वहां के हमें नियम कायदे और परंपराओं का पालन करना होता है। हमारी अपनी सभ्यता में कुछ सामाजिक बंधन है। कई बार इन्हे निभाना मुश्किल लगता है पर निभाना है, यही हमें सावधानीपुर्वक अपने विवेक से निर्णय करना चाहिये कि हम परिस्थिति को कैसे सम्भाले। आप परिवार में हैं और परिवार के कुछ नियम है लेकिन आपके विचार और दिनचर्या नियमों से अलग है यही आपको बड़ी सावधानी पूर्वक परिवार में रहते हुए स्थितियों का सामना करना होता है आप कोई ऐसा काम ना करें जिससे परिवार के अन्य सदस्य को कष्ट पहुंचे या उनके सम्मान को ठेस पहुंचे थोड़ा आप झुक जाए समय को देखते हुए परिवार की बात रखें और स्थिति संभाले। बच्चियों को अधिकतर सावधानी की जरूरत होती है परिवार के कई बंधन उनके ऊपर होते हैं और बहुत जरूरी भी होते हैं क्योंकि उन्हें उस बच्ची की चिंता होती है लेकिन लड़की को लगता है कि सब ज्यादति मुझ पर ही क्यों। ज्यादा बंधन होने पर बच्चिया अक्सर घर से विमुख होकर निकल जाती है किस्मत अच्छी है तो ठीक वरना बहुत धोखा खाती है। फिल्म टीवी और मॉडर्न जमाने को देख कई बच्चे एक दूसरो के प्रति आकर्षित होकर गलत काम कर बैठते हैं। लड़के और लड़की दोनों में संयम चाहिए। समय आ गया परिवार ने भी अपने बच्चों के साथ दोस्ताना माहौल दे ताकि बच्चे अपने मन की बात उनसे कर सके। अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने
विचार है)
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