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‘प्रभात का ट्वीट ’, ‘हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती’

Updated on 29-01-2021 12:49 PM
आजकल अपने मन के अंदर के विचारों और मनोभावों को प्रकट करने का सबसे सशक्त माध्यम खासकर राजनेताओं के लिए ट्विटर और सोशल मीडिया प्लेटफार्म बन चुका हैं। हर दल के नेता चाहे वह संतुष्ट हों या  असंतुष्ट हों इसके माध्यम से ही अपनी बातों को सार्वजनिक करते हैं। हाल ही में इसी माध्यम से  भाजपा शासित राज्य सरकारों को पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए प्रयास करने की मांग उमा भारती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से की थी।
 पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य रहे प्रभात झा ने दार्शनिक अंदाज में पिछले 26 दिनों में  करीब 125  ट्वीट किए हैं। उनके  कुछ ट्वीट की टाइमिंग को यदि ध्यान से देखा जाए तो सत्ता और संगठन तथा भाजपा के कार्यकर्ता यह बात आसानी समझ जाएंगे कि उनके लिखने का आखिर अर्थ क्या है? इस बारे में केवल इतना कहा जा सकता है कि समझने वाले समझ गए जो ना समझे वह अनाड़ी। ट्वीट्स के अर्थ भावार्थ और पीछे छुपी हुई पृष्ठभूमि अपने आप बिना ज्यादा बुद्धि-विलास किए समझ में आ जाती है। इसे जितनी जल्दी सही अर्थ और संदर्भों में नेतृत्व समझ लेगा उतना ही पार्टी के लिए अच्छा होगा।
प्रभात झा मूलत: पत्रकार रहे हैं और यदि वह कुछ लिखते हैं तो निश्‍चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने एक-एक शब्द काफी सोच विचार कर ही लिखा होगा। प्रभात झा ने जो  लिखा है वह सत्ता और संगठन के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को नसीहत देने के  अंदाज में  भी है। उन्होंने अपने ट्वीट में 17 जनवरी 21 को लिखा है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। इस ट्वीट को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु शर्मा की नई टीम के गठन से जोड़कर राजनीतिक गलियारों में देखा जा रहा है। उनके अपने अनुभव के आधार पर प्रभात झा को  साथियों कार्यकर्ताओं और समकक्ष नेताओं को नसीहत देने और यदि कहीं कुछ कमजोरियां आ रही हैं तो इशारों इशारों में  इंगित करने का अधिकार है। क्योंकि वह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने काफी नजदीक से पार्टी में हर दौर को देखा और जिया है। अपने 17 फरवरी के ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि अहंकारी व्यक्ति वह होता है, जो अपने बारे में इतना ज्यादा बोलता है कि वह मुझे बोलने का जरा भी समय नहीं देता। हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। बगैर सोचे बोलना, बगैर  निशाना साधे गोली चलाने जैसा है। इससे एक दिन पूर्व 16 जनवरी को उन्होंने ट्वीट किया कि एक छेद से जहाज डूब जाएगा और एक पाप से पापी नष्ट हो जाएगा। सतर्कता बुद्धिमत्ता की सबसे बड़ी संतान है। भीड़ के दिमाग जैसा अनिश्‍चित कुछ नहीं है। जो व्यक्ति बहाने बनाने में निपुण होता है वह अक्सर किसी दूसरे काम में निपुण नहीं होता। उन्होंने इंगित कर दिया है अब देखने और खोजने तथा उसे दुरुस्त करने का काम नेतृत्व का है कि आखिर  छेद कहां है।
23 जनवरी 2021 का ट्वीट भी काफी कुछ कहता है बशर्ते की उसे समझने की कोशिश की जाए। उसमें प्रभात झा ने लिखा है कि श्रेष्ठ लोगों का कहना है, कल की चिंता के बजाए वर्तमान को मजबूत बनाएं, जिससे आने वाला कल स्वतः ठीक हो जाएगा। रास्ता खोजें और ना मिले तो बनाएं, ताकि आगे आने वाले लोग उस पर चलें। इसके साथ ही उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सुगंध की गति दुर्गंध से तेज होती है। अच्छे काम करने वालों को समाज का संबल अवश्य मिलना चाहिए। 13 जनवरी का ट्वीट है कि मूर्ख बनाने वाला एक दिन जब स्वयं मूर्ख बनता है तो उसे प्रायश्‍चित के सिवाय कोई चारा नहीं होता।  विचारकों और श्रेष्ठजनों का मानना है कि संवादहीनता से मवाद उत्पन्न होता है और फिर होता है विवाद।
बहुत कुछ कहते कुछ और ट्वीट
कुछ अन्य ट्वीट में प्रभात झा ने दार्शनिक अंदाज में काफी कुछ कहा है और उनके गहरे अर्थ भी हैं। इनमें जो कुछ लिखा गया है उसे केंद्रीय सत्ता और संगठन को भी समझने की जरूरत है। उन्होंने लिखा है कि आप जहां हैं, वहां से जितना अच्छा कर सकें  अवश्य करें, कल आप वहां नहीं रहने वाले हो। व्यक्ति की मृत्यु होती है पर उसका व्यवहार सदैव जीवित रहता है। सभी को आप अच्छे नहीं लग सकते, पर जिन्हें अच्छे लगते हैं, उनके मन में प्रश्‍न नहीं उठना चाहिए। दौड़ने से पहले हमें चलना सीखना चाहिए।  इनमें अंतर्निहित है कि उसमें किस-किस के लिए क्या  समझाइश छुपी हुई है वह ऐसी नहीं है कि इतनी गूढ़ हो कि आसानी से समझी ना जा सके। एक ट्वीट है कि आंख के बदले आंख के सिद्धांत पर चलेंगे तो पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी। बुरे लोग डर के कारण कहना मानते हैं, अच्छे लोग प्रेम के कारण। जो चीजें कष्ट पहुंचाती हैं, वही सिखाती हैं। पहले ईमानदारी, फिर मेहनत और इसके बाद एकाग्रता। सफलता का रहस्य है उद्देश्य के प्रति लगन। दूसरे ट्वीट में लिखा गया है कि कब्र पर ज्यादातर आंसू अनकहे शब्दों और अनकिए कामों के लिए बहाए जाते हैं। अनुशासन ही लक्ष्य और सफलता के बीच का पुल है। बुद्धिमान मनुष्य अपने अनुभवों से सीखता है। अधिक बुद्धिमान दूसरों के अनुभवों से सीखता है। कब्रिस्तान में सबसे अमीर आदमी होने से क्या फायदा? वहां आप कोई बिजनेस नहीं चला सकते। कुछ लोग काम पहले करते हैं, सोचते बाद में है और सदा अफसोस करते हैं।
और अंत में...........
समाजवादी विचारक और चिंतक रघु ठाकुर ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को संपूर्ण शराबबंदी का संकल्प लेने के लिए एक दिन का उपवास करने का अनुरोध किया है। भोपाल में लोहिया सदन में वह स्वयं सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक उपवास करेंगे।भोपाल के साथी लोहिया सदन में  उपवास करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जो जहां है उससे वहीं उपवास कर संकल्प लेने का अनुरोध किया है। ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में शराब के अवैध कारोबार के कारण हो रही मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है। मध्यप्रदेश के मुरैना सहित देशभर में इस प्रकार की बढ़तीं घटनाएं चिंताजनक हैं। शराब हमारे सामाजिक मूल्यों के साथ- साथ शरीर को भी नष्ट करती हैं और हमारी राजनीति को भ्रष्ट बनाती है। एक दिन उपवास कर देश और प्रदेश की सरकारों से अपील करें की पूर्ण शराबबंदी हो।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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