जनता ने सत्ता का महत्व समझना चाहिए, आज से नहीं पुराना इतिहास देख कर भी जाने कि सत्ताधारी कितने शक्तिशाली और पावरफुल होते हैं। वे झूठ भी बोले तो हम सच मानने के लिए बाध्य हैं। वह जैसा राज करेंगे वैसा ही उसी मे जियेगे वैसा ही आसपास का वातावरण होगा। यदि सत्ताधारी अच्छे इंसान हैं दूर दृष्टा है तो हमारी अच्छी किस्मत और यदि सत्ताधारी बुरे स्वभाव के हुए तो हमारी दुर्गति। सत्ताधारियों का इतना डर रहता है कि सच बोलने वाले को या तो उसे सजा मिलेगी या उससे बदला लेंगे और यदि ऐसा कुछ नहीं तो उसका जीवन दाॅव पर। स्थिति यहा तक कि डर के मारे कई लोग चुप बैठे हैं। सत्ता का मतलब जनसेवा, यह सिर्फ दीवारों पर लिखे पोस्टर कि तरह है, हर थाने के बाहर लिखा हुआ है देशभक्ति जनसेवा और वहां की देशभक्ति और जनसेवा भुक्तभोगी जानते हैं । राजनीति में विरोध करने पर केस लग सकता है। सत्ता में शामिल कई भ्रष्टाचारी झूठ कहते कि मैं जन सेवा के लिए आया हूं परंतु वे स्वयं सेवा करते है, कई जानते हैं, फिर भी अगले चुनाव में उन्हें वोट देगे। चाटुकार और लालची लोग सत्ताधारी के आगे पीछे लगे रहते हैं और सत्ताधारी को भी नारे लगाने वाले चाहिए। यदि आप सत्ता में है या परिवार से कोई सत्ता में है तो आपके जीवन में चांदी ही चांदी, किसी बात की तकलीफ नहीं आपका काम आसानी से होगा। आम आदमी के ऐसे नसीब कहां। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…