भिन्न भिन्न सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस देश में इतने प्रयोग किए की उन प्रयोगों के चलते सामाजिक असंतुलन कितना फैल गया देखिए उसके उदाहरण पहले जब अर्जुन सिंह जी की सरकार थी तब उन्होंने यह घोषणा कर दी की झुग्गी झोपड़ियों में जो जहां रह रहा है उसे वही जमीन का पट्टा दे दो। चाहे वह कितने भी अवैध बसाहट हो । दूसरी तरफ सहकारी समितियों ने कॉलोनी बनाई पर डेवलपमेंट अथॉरिटीयो ने उस पर स्कीम घोषित कर दी यहा आपके भूमि अधिकार खत्म है सरकार ने घोषणा कर दी गजट नोटिफिकेशन निकाल दिया कि वह जमीन फिर उनकी मानी जाती है आप सिर्फ पैसे के लिए क्लेम कर सकते हो । यहां सरकार ने यह नहीं देखा कि सहकारी समितियों ने सदस्यों को जमीन की रजिस्ट्री करा रखी है वहां आपकी स्किन बना रहे हो और स्कीम भी आपने सालों साल बना कर रखी है उसको पालन नहीं किया नतीजन आज 20 साल बाद मुख्यमंत्री स्कीमों से जमीन छुड़ाकर जनता को प्लाट देकर राहत दिला रहे है। पंचायतों ने भी रोड के किनारे, सरकारी काकड़ पर जहां जो टापरा बना ले वहां उसे पट्टा दे दिया। बीपीएल कार्ड योजना बनाई रुपए दो रुपए किलो में खाद्दान देने लगे, स्कूलों की फीस माफ कर दि, बच्चीयो को साइकिल, ड्रेस, किताबे मुफ्त, वृद्ध पेंशन योजना, आरक्षण, माईनेरिटी आरक्षण, जनजाति आरक्षण, मुफ्त बिजली, किसान कर्ज माफी, चुनाव में मदद के लिए दबंग और गुन्डो को पनाह, चुनाव जीतने पर कहते हो कि खजाना खाली है पैसे भरने के लिए आप डायवर्सन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, पंचायत टैक्स, नगर निगम टैक्स, जीएसटी, रोड टैक्स, रजिस्ट्री की गाइडलाइन और इस स्टाम्प ड्यूटी का निरंतर बडना, हर चीज पर टैक्स पर टैक्स बढ़ता जा रहा है। आपने कितना बड़ा सामाजिक परिवर्तन ला दिया की पूरी व्यवस्था असंतुलित हो गई। जो व्यक्ती बिचारा 10 से ₹15000 कमाता है कहीं कब्जा करने नहीं बैठ पाता है वह तो सिर्फ गाय ढो सरीका जीवन निकाल रहा है। और जिन्हें फोकट में आप दे रहे हैं वह मस्ती ले रहे हैं। कभी विचार करो सरकारऔर इस असंतुलन को दूर करो।
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