पुलिस नगर सुरक्षा के लिए गुंडे, बदमाश, भ्रष्टाचारियों, रिश्वतखोरो, मिलावट खोर, धोखाधड़ी और फ्रॉड करने वाले, ट्रैफिक से लेकर हर जगह बिना पुलिस व्यवस्था के कुछ नहीं होता चाहे को शहर में वीआईपी आए या कोई भी आयोजन पुलिस एक महत्वपूर्ण विभाग हो जाता है। याने पुलिस विभाग से उम्मीद रहती है कि वह आम जनता का सुरक्षा कवच है जो उनकी सुरक्षा एवं मदद करेगा। एक तरफ सरकार गरीब और अनपढ़ लोगों के लिए दिल खोलकर उनकी मदद करती है ताकि वह आसानी से जी सके पर पुलिस विभाग बिल्कुल इसके विपरीत है वहां गरीब अनपढ़ लोगों की कोई कदर नहीं। बहुत कम सच्चे पुलिसकर्मी है जो इन लोगों की मदद करते हैं पर अधिकतर पुलिसकर्मी इन लोगों का सिर्फ शोषण कर रहे हैं। पुलिस का अपना खुफिया तंत्र होता है जिससे उन्हें मालूम होता है कि कहां क्या हो रहा है पर पता नहीं आला अफसरों को यह नहीं मालूम पड़ पता कि उनके खुद के थानों पर क्या हो रहा है। पुलिस के छोटे कर्मचारी किस कदर जनता को लूटने में लगे हैं यदि कोई शिकायत पेटी लगाई जाए तो मालूम पड़ेगा कि वह पेटी कितने दिन में जल्दी भर जाती है। पुलिस के सब बड़े अफसरों से एक ही निवेदन है कि कृपया थानों पर किसी को भी गरीब आदमी बन कर भेज कर देखें वहां कितनी परेशानी और कितना उनके साथ शोषण है ऐसे सब पुलिसकर्मी पर कड़ी कार्रवाई करें जो पैसे एठने में लगे हैं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद् ) (ये लेखक के अपने विचार है )
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