पटना । बिहार में योजनाओं के शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि बिल का जिक्र कर कहा कि रविवार को संसद ने किसानों को नए अधिकार देने वाले बहुत ही ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है। मैं देश के लोगों को, देश के किसानों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये सुधार 21वीं सदी के भारत की जरूरत है। हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी,जो कानून थे,उनके कारण किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में कई ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता।
पीएम ने कहा कि आज जब मैं बिहार के लोगों के बहाने पूरे हिन्दुस्तान के लोगों को बधाई देता हूं। यह कानून 21वीं सदी की आवश्यकता है। अभी तक देश में जो कानून थे उससे फसल बेचने के मामले में किसानों हाथ पांव बांधे हुए थे।इसकारण देश के कुछ गिरोह किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। हमारी सरकार ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है। देश की कृषि सुधार कानून ने हर किसान को यह आधिकार दिया है कि वह किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपनी फल सब्जियां अपनी शर्तों पर बेच सकता है। अब किसान को अपने क्षेत्र की मंडी के अलावा भी कई और विकल्प मिल गए हैं। अब किसान को जहां ज्यादा पैसा मिलेगा, वहां जाकर अपनी फसल को बेच सकता है।
पीएम ने कहा कि किसानों को मिली आजादी का लाभ दिखने लगा है। उदाहरण के तौर पर जिस प्रदेश में आलू की ज्यादा पैदावार होती है,वहां जून-जुलाई के दौरान खरीदारों ने किसानों को ज्यादा लाभ देकर सीधे कोल्ड स्टोरेज से ही आलू खरीद लिया है। बाहर भाव ज्यादा होने के दबाव में मंडियों में भी किसानों के आलू महंगे बिके।इसतहर एमपी और राजस्थान में तेल मिलों ने किसानों को सरसों के 20-30 फीसदी ज्यादा रेट दिए।यहीं बात दलहन की फसल में भी किसानों को लाभ हुआ है। देश इससे अंदाजा लगा सकती है कि नई कृषि सुधार कानून से किन्हें दिक्कत हो रही है। पीएम ने स्पष्ट किया कि यह नीति कृषि मंडी के खिलाफ नहीं है, कृषि मंडी पहले की ही तरह काम करती रहेगी। इससे छोटे किसानों को ज्यादा लाभ होगा।