शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का जो बजट 2 मार्च को राज्य विधानसभा में पेश किया गया है उसे यदि राजनेताओं के आईने में देखा जाए तो उसकी सूरत जो जैसी चाह रहा है और जिसकी भावना जैसी है उसको अपने आईने में वैसी ही तस्वीर नजर आ रही है। बजट कैसा है उस पर आई प्रतिक्रियाओं को देखते हुए तुलसीदास रचित रामचरितमानस की यह चौपाई पूरी तरह से सटीक बैठती है कि "जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी " मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की नजर में यह बजट सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया के भाव को चरितार्थ करता है तो नेता प्रतिपक्ष तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की नजर में यह बजट झूठ का पुलिंदा, आंकड़ों का मायाजाल, दिशाहीन व बेहद निराशाजनक है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शिवराज सरकार के बजट को लोक कल्याणकारी बजट मानते हैं जो कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है।
जहां तक बजट का सवाल है तो उसके लिए पीछे मुड़कर देखना जरूरी हो जाता है। इस नजरिए से देखा जाए तो शिवराज सरकार ने भी आर्थिक सर्वेक्षण की छाया में ही नए बजट का खाका तैयार किया है। बजट से 1 दिन पूर्व वित्तमंत्री देवड़ा ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2020-21 का जो आर्थिक सर्वेक्षण 1 मार्च को सदन में रखा है उसके निष्कर्षों को देखें तो साफ हो जाता है कि सरकार के सामने हिमालयीन चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं जो बहुत सघन हैं। यह चुनौती सत्तापक्ष द्वारा दिखाए जाने वाले सब्जबागों से दूर संकल्पों और कोशिशों के नये पौधे रोपने की आवश्यकता की ओर संकेत कर रही हैं। आर्थिक सर्वेक्षण ने साफ कर दिया है कि सूबे की आर्थिक सेहत कोरोना ने हर मोर्चे पर बिगाड़कर रख दी है। अभी हालात यह है कि बीते वर्ष में राज्य के प्रति व्यक्ति सालाना आय में 4.71 प्रतिशत की कमी आई है यानी 4,870 रुपये की गिरावट। यह गिरावट इसलिये भी और डरावनी है क्योंकि सरकारी खजाने की राजस्व-भूख ने महंगाई में बेतहाशा इजाफा पहले ही कर रखा है। विकास दर में भी 3.90 फीसद की कमी आई है।राजस्व आधिक्य वाले प्रदेश में अब घाटे की नौबत है। बेरोजगारी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इन सभी परेशानियों से सरकार वाकिफ नहीं है,ऐसा मानना भी ठीक नहीं है, लेकिन उसके प्रयास क्या होंगें, किस दिशा में होंगे और कहां तक पहुूंचेंगे, यही देखने वाली बात होगी। आज पेश बजट में सरकार ने लोगों पर नया कर नहीं लगाया है, लेकिन पुराने करों से फौरी राहत की भी गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आ रही है। खासतौर पर पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दामों पर थोपा जा रहा टैक्स चौतरफा महंगाई की वजह भी बना हुआ है। सामाजिक क्षेत्र को मजबूत करना सरकार की सबसे बड़ी जरूरत है, ताकि लोगों को सक्षम बनाया जा सके।
अपेक्षा का प्रतीक-शिवराज
शिवराज ने कहा कि बजट जनआकांक्षाओं और अपेक्षाओं का प्रतीक मान सकते हैं। यह बजट सरकार की विजन और मिशन का प्रतिबिम्ब है। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों के बाद क्षतिग्रस्त हुई अर्थव्यवस्था को पुन: खड़ा कर आम लोगों का हित संवर्धन सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का संकल्प सितंबर 2020 में ही ले लिया गया था। मध्यप्रदेश में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप का निर्माण किया गया। जनता के सुझाव प्राप्त किए गए। अधोसंरचना, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, अर्थव्यवस्था एवं रोजगार को आधार बनाया गया। इन प्राथमिकताओं के अनुसार दीर्घ अवधि की दृष्टि से बजट का निर्माण किया गया। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के चार प्रमुख स्तंभ हैं। इसके अंतर्गत 09 नए मिशन संचालित होंगे। भौतिक अधोसंरचना के तहत मिशन निर्माण, मिशन ग्रामोदय और मिशन नगरोदय प्रारंभ होंगे। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के अंतर्गत मिशन निरामय और मिशन बोधि प्रारंभ होंगे। अर्थव्यवस्था एवं रोजगार के तहत मिशन अर्थ, मिशन दक्ष और मिशन स्वावलंबन शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के एक महत्वपूर्ण स्तंभ सुशासन के तहत भी एक मिशन शुरू होगा जिसका नाम मिशन जन-गण होगा। सरकार दिन-रात मिशन मोड में कार्य कर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करेगी।
लोगों को राहत नहीं- कमलनाथ
कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि इस बजट में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की बात कही गई है लेकिन भाजपा सरकार बीजेपी और उसके नेताओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में ही काम कर रही है। हमारी सरकार की किसान कर्ज माफी योजना को आगे बढ़ाने को लेकर इस बजट में कुछ नहीं है जबकि आज सबसे बड़ी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने की है लेकिन किसानी-खेती के लिए इस बजट में कुछ नहीं है ? उन्होंने कहा कि जनता उम्मीद कर रही थी कि महंगाई से राहत के लिए इस बजट में पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की कीमतों में कमी के लिए सरकार वैट में कमी करेगी लेकिन जनता ठगी रह गयी ? वहीं पंजीयन शुल्क में कमी की भी जनता को काफी उम्मीदें थी लेकिन वह भी नहीं की गयी ? बढ़ते बेरोजगारी के आंकड़े को देखते हुए उम्मीद थी कि रोजगार को लेकर व नई नौकरियों के सृजन को लेकर इस बजट में कोई ठोस कार्ययोजना होगी लेकिन उसका भी अभाव इस बजट में देखने को मिला ? प्रदेश में निरंतर बढ़ रही बहन-बेटियों से दरिंदगी की घटनाओं को देखते हुए उम्मीद थी कि इस बजट में बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कार्ययोजना होगी लेकिन वह भी इस बजट में नदारद रही ?
बजट में हर वर्ग का ध्यान-तोमर
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बजट में हर वर्ग का पूरा ध्यान रखा गया है। एक ओर अधोसंचना विकास पर ध्यान देते हुए प्रदेश में 2441 किमी नई सड़क और 65 नए पुलों के निर्माण का प्रावधान किया गया है तो वहीं प्रदेश में 9 नए मेडिकल कॉलेज और भोपाल, जबलपुर, इंदौर में केंसर अस्पताल के प्रस्ताव से स्पष्ट है कि एक ओर जहां केंद्र सरकार देश में स्वास्थ्य सुविधाएं सशक्त करने की दिशा में अग्रसर है तो वहीं प्रदेश सरकार भी उसी दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। इस बजट में गांव, गरीब और किसान के प्रति मध्यप्रदेश सरकार की चिंता स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है।
और अंत में........
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बजट को विकास के लिए प्रतिगामी निरूपित करते हुए कहा है कि बजट ना तो रोजगार के नए अवसरों के लिए आश्वस्त करता है और ना ही कोई दिशा दिखाता है। उन्होंने मांग की कि शिवराज सरकार को मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करते हुए योजनाओं के क्रियान्वयन का रोड मेप जारी करते हुए समयबद्ध कार्यक्रम भी बताना चाहिए।
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