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पापा यह वही गड्ढा है, जिसमें आप चारों खाने चित हुए थे

Updated on 28-08-2022 07:21 PM
*सड़कों पर मंडराती मौतें,* 
 *हादसों और मौत का* 
  *चोली दामन का साथ।* 
 *मेरा शहर, हादसों का शहर है।* 
 *यहां रोज़ रोज़ हर मोड़*  
 *पर होता है हादसा ।।* 
सड़क पर गड्ढों को लेकर अजीब कहानी है,यह कहानी मेरे मित्र के जुबानी,आगे के दो दांत गायब,जब मेरे मित्र से पूछा गया,आपकी उम्र तो इतनी नहीं है,तो आपके दांत कैसे गिर गए, कहीं भाभी ने गुस्से में मुंह पर बेलन तो नहीं मार दिया,बड़ी मासूमियत से उन्होंने दांत और गड्ढे को लेकर जो घटना सुनाई वह आपके सामने । मेरे परम मित्र अपनी घटना की शुरुआत इस तरह करते हैं,अपने चेहरे को आईने में देखकर रोना आया,मेरे मित्र ने अपने दांतो की गिनती शुरू की तो बत्तीसी में से साढ़े 29 दांत ही बचें,मेरे परम मित्र की बातें सुनकर मुझे जिज्ञासा हुई,साढ़े 29 कैसे,मैंने फ़ौरन अपने मित्र से प्रश्न किया,भाई साढ़े 29 कैसे,बेचारे मेरे मित्र ने अपना मुंह खोल कर दिखाया,  ऊपर के मोती जैसे दांतों में से दो मोती गायब,और नीचे के दातों में से आधा दांत गायब । दांत तो गए तो गए,वे अपने परिवार में हास्य के पात्र बन गया,मेरे मित्र का छोटा बेटा जिसकी आयु केवल 8 वर्ष है,जब भी सड़क पर उसको गड्ढा दिखता है,फौरन मेरे मित्र को कहता है,पापा यह वही गड्ढा है, जिसमें आप चारों खाने चित हुए थे,और आपके मुंह से दांत बाहर। सड़कों को लेकर एक वाक्य अक्सर कहा जाता है,सड़क पर गड्ढे हैं,या गड्ढों में सड़क,यही हाल  मेरे शहर का है । मैं जुगाड़ू इंसान हूं,मैंने भी इन गड्ढों से फ़ायदा उठाना सीख लिया है,किसी को घर का पता बता ना हो तो बहुत आसानी रहती है,इन गड्ढों के वजह से मैं घर का पता इस प्रकार बताता हूं,जैसे ही आप बस स्टैंड से सौ गज़ चलेंगे एक बड़ा सा पानी भरा गड्ढा दिखेगा,उस गड्ढे में हो सकता है,आपको भैंसों के दर्शन हो जाएं,उस बड़े गड्ढे से बाएं दिशा में मूड़ जाएं और सीधी रोड पकड़ ले,उस रोड पर गड्ढे गिनते जाए 42 वा गड्ढे के सामने मेरा घर है,आप यकीन माने इन गड्ढों से मुझे इतना फायदा हुआ है,की जोमैटो,स्विगी वाले अब सीधे मेरे घर पहुंच जाते हैं । खैर यह तो एक मस्खरी थी,हर वर्ष सड़क पर गड्ढे होने के कारण दुर्घटनाओं से हमारे देश के लाखों लोगों जान गंवा देते हैं,कुछ यू बोले हमारे देश में आतंकी हमले में इतने लोग नहीं मरते जितने सड़कों पर गड्ढे होने के कारण दुर्घटनाओं से लोग मरते हैं,आइए आपको कुछ आंकड़े बताते हैं पिछले 12 वर्षों में  4421 आतंकी हमले हुए,जिसमें 525 भारत के नागरिकों की मौत हुई, एवं 755 हमारे सैनिक शहीद हुए,वही हम बात करें मुंबई के 26 /11 आतंकी हमले में 210 नागरिकों की मौत हुई थी,वही  द्वितीय विश्व युद्ध में इतने लोग नहीं मरे थे जितने लोग भारत में खराब सड़कों के कारण दुर्घटनाओं से मरते हैं, अगर हम केवल 4 वर्षों के आंकड़े देखें इन 4 वर्षों में 17 लाख 47 हजार 94 सड़क दुर्घटनाएं हुई इन हादसों में 
5 लाख 82 हजार 157 लोगों ने अपनी जान गवाई, 5 लाख से ज़्यादा परिवारों ने अपनों को खोया,भारत के आज तक के युद्धों में एवं आतंकी हमला में जितने सैनिक शहीद नहीं हुए उससे ज्यादा लोग एक वर्ष में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर पांचवें मिनट में दो व्यक्ति  खराब एवं गड्डेदार सड़कों के कारण दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं,हर वर्ष केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार,रोड टैक्स एवं टोल नाकों  के नाम पर करोड़ों,अरबों रुपए जनता से वसूल करती है, और सड़कों का हाल आपके सामने हैं ।
मोहम्मद जावेद खान, संपादक,लेखक (ये लेखक के आप अपने विचार है)


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