जंग के हालात में भारतीय सेना की सप्लाई ध्वस्त करने का था मंसूबा
नई दिल्ली। पाकिस्तान हाई कमीशन का स्टाफ जो जासूसी करते पकड़ा गया, वह किसी सामान्य मिशन पर नहीं था। उन दो पाकिस्तानी जासूस के मंसूबे कोई बहुत बड़ा सीक्रेट जानने के नहीं थे। मगर जो जानकारी वो चाहते थे, अगर उन्हें मिल जाती तो भारत के लिए बड़ी मुश्किल हो जाती। किसी भी युद्ध की सूरत में भारत बेहद कमजोर पड़ जाता। उन्हें भारतीय सेना के सप्लाई-रूट की जानकारी चाहिए थी। इसके लिए उन्होंने कई रूप बदले। कभी कारोबारी बने, कभी व्यापारी, कभी खुद को सिक्योरिटी कंपनी का हेड बताया, कभी न्यूज रिपोर्टर बन गए। आबिद हुसैन और ताहिर हुसैन की नजर विभिन्न विभागों के छोटे डिफेंस कर्मचारियों पर रहती थी। उनसे इन्फॉर्मेशन के लिए वह अक्सर संपर्क करते थे। हालांकि उनका मिशन अलग था। उन्हें सेना की कोई खुफिया जानकारी नहीं चाहिए थी। वह बैंकहैंड जॉब्स में ज्यादा इंटरेस्टेड थे। उनका असली मकसद था रेलवे के जरिए हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई का रूट जानना। यह जानकारी बाद में एक बड़ी साजिश में इस्तेमाल होने वाली थी।
पिछले साल नौ कर्मचारियों पर डाल रहे थे डोरे
जासूसों का भांडा फूटने पर उन्हें 24 घंटे में भारत छोडऩा पड़ा। पिछले एक साल में उन्होंने लोअर रैंक के कम से कम नौ डिफेंस कर्मचारियों से जानकारियां हासिल करने की कोशिश की थी। फरवरी में उन्होंने एक जवान से दोस्ती गांठ ली। इसी जवान से मिलने रविवार को दोनों करोलबाग आए थे।
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