बड़े खूबसूरत शहर बन जाएंगे पर गारंटी नही की बर्बाद होंगे। यूक्रेन के खूबसूरत शहर जब बने बसे होंगे, जनता शांति और मस्ती से रह रही होगी, वहां के निवासी और दुनिया के अन्य लोगों ने कल्पना नहीं की होगी कि एक दिन ये शहर सब तबाही के मंजर में दिखेंगे, हजारों मर जाएंगे, लाखों जिंदगी बेघर हो जाएगी और आज खंडरो के पहाड़ मैं तब्दील हो गए और यह सब मानव जाति के अति विकास का नतीजा है। सबसे पहले पत्थर के औजार बने फिर तीर कमान भाले तलवार उसके बाद बारूद से बंदूक और तोप चलने लगी धीरे धीरे मशीन गन मिसाइले परमाणु बम और अब आने वाले समय केमिकल वार की तैयारी। सुरक्षा के नाम से इतने सब विकास से मानव जाति को क्या हासिल हुआ। पहले युद्ध के भी कुछ नियम होते थे। सूर्यास्त के बाद युद्ध नहीं होता था छिपकर वार नहीं होते थे। और आज के दौर में मिनटों में ही शहर के शहर नष्ट हो जाते हैं। हम अध्यात्म की बात करते हैं कहां ढूंढे उसे जिन लोगों के दिमाग में अहम अशांति भरी हुई है। स्वतंत्रता और आत्म सुरक्षा के नाम से इस पागलपन को कौन रोक सकता है। कहने को तो विश्व काउंसिल और सभी देशों के प्रतिनिधि की तमाम मीटिंग होती है पर कौन उसका पालन कर पाता है जहां पावरफुल आदमी का दिमाग अपने हिसाब से चलता है। माना ऐसा हर जगह बार-बार नहीं होता पर पिछले कुछ वर्षों से हम यह कही न कहीं हमेशा देख रहे हैं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है )
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