नई दिल्ली । आयकर
अपीलीय न्यायाधिकरण, आयकर अधिनियम,
1961 के तहत गठित
एक वैधानिक अर्ध-न्यायिक संस्था है।
प्रत्यक्ष कर क्षेत्र
के विवादों के
निपटारे के लिए
यह दूसरा अपीलीय
अधिकरण है जिसे
व्यापक रूप से
'मदर ट्रिब्यूनल' के
रूप में जाना
जाता है। यह
संस्था कोविड-19 महामारी के
समय में नए
मॉडलिंग के रूप
में प्रस्तुत कर
कर रही है।
इसका उद्देश्य निष्पक्ष
सुलभ सत्वर न्याय'
यानी आदर्श, आसान
और शीघ्र न्याय
उपलब्ध कराना है। सुरक्षा
कारणों से आयकर
से सम्बंधित मामलों
की सामान्य सुनवाई
संभव नहीं हो
सकती, तो ऐसे
समय में प्रत्यक्ष
करों के क्षेत्र
में न्याय उपलब्ध
कराने के लिए
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण
ने सूचना प्रौद्योगिकी
की तकनीकों के
अभिनव और महत्वाकांक्षी
उपयोग मूल रूप
से अपनाया है।
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण -आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी. पी. भट्ट, ने लॉकडाउन समाप्त होने पर सामान्य सुनवाई की जगह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तुरंत सुनवाई शुरू कर न्यायिक कार्यवाही आरम्भ करने का निर्देश दिया। इस निर्णय के अच्छे परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। इसने न्यायिक पीठों को कार्य करने में सक्षम बनाया है और दोनों पक्षों को दूरस्थ स्थानों से सुनकर मामलों को निपटाया गया है। अप्रैल, 2020 से 31 अगस्त, 2020 तक आंशिक लॉकडाउन समाप्त होने की अवधि के दौरान 5,392 मामलों का निपटारा किया गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 3,078 मामलों को निपटाया गया था।आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण-आईटीएटी की 63 पीठ, 28 नियमित स्टेशनों पर कार्यरत हैं जबकि वाराणसी और देहरादून में 2 सर्किट बैंच मौजूद हैं। प्रशासनिक रूप से, बेंच को 10 ज़ोन में विभाजित किया गया है और प्रत्येक बैंच का मुखिया एक उपाध्यक्ष होता है। कोरोना महामारी की अवधि के दौरान सभी ज़ोन ने केंद्र या राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों और आदेशों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए लगातार कार्य किया।