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आला अधिकारियों को तनावमुक्ति का गुर सिखाते शिवराज

Updated on 22-01-2023 02:18 PM
 सरकार चाहे किसी दल की हो और मुख्यमंत्री भले ही कितना भी अधिक दूरदृष्टि वाला और प्रशासन पर पकड़ रखने में सिद्धहस्त हो लेकिन मैदानी स्तर पर बदलाव तो उसी सूरत में महसूस हो सकता है जब आला प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक का प्रशासन चुस्त-दुरुस्त हो और राजनीतिक कार्यपालिका की भावनाओं व निर्णयों को सही संदर्भ और परिप्रेक्ष्य में धरातल पर उतारे। 2023 का साल चुनावी साल है और सरकार अच्छी है या नहीं इसकी आमधारणा इससे बनती है कि लोगों का उसके बारे में क्या नजरिया बना और इसमें अधिकारियों की अहम् भूमिका रहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि एक चतुर सुजान राजनेता की है इसलिए उन्होंने इस बात को पहचाना और अधिकारियों को कुछ मंत्र भी दिए। मौका था  आईएएस सर्विस मीट 2023 के उद्घाटन का और इसका पूरा-पूरा उपयोग मुख्यमंत्री ने अपनी बात उन तक पहुंचाने के लिए किया। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर आमने-सामने आ गए और वार-पलटवार दोनों के बीच देखने को मिला। चूंकि अब चुनावी वर्ष आ गया है इसलिए ऐसी राजनीतिक तकरार तथा अपनी-अपनी उपलब्धियों के गगनचुंबी दावे अक्सर देखने और सुनने को मिलते रहेंगे इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
  शिवराज ने आला अधिकारियों को सलाह दी है कि सब एक परिवार की तरह टीम भावना के साथ काम करें और अपनी टीम को कभी भी तनाव में न रखें। यह सलाह इस मायने में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है कि यदि कोई तनाव में रहेगा तो वह वैसे परिणाम नहीं दे सकता जैसे कि वह उत्साहित होकर दे सकता है। उन्होंने  यह सलाह भी दी कि आला अधिकारी अपनी टीम के सदस्यों को काम करने के लिए प्रेरित करें, टीम भावना से काम करें तथा तनावमुक्त टीम के साथ वांछित परिणाम देने के बारे में आगे बढ़ें। उनका जोर इस बात पर था कि सभी को एक टीम भावना के साथ काम करना चाहिए और किसी के प्रति राग-द्वेष नहीं रखना चाहिए। अपने कर्मक्षेत्र के साथ अपने परिवार का भी पर्याप्त ध्यान रखने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं स्वयं भी साल के अन्त में अपने परिवार के साथ प्रदेश से बाहर जाता हूं। इस प्रकार उनका इशारा इस ओर था कि परिवार की उपेक्षा न करें और उसे पर्याप्त समय दें। मुख्यमंत्री ने यह बात इसलिए कही है कि यदि पारिवारिक माहौल अच्छा होगा तो अपने कर्मक्षेत्र में भी प्रफुल्लित मन से काम किया जा सकता है। कोरोना संकटकाल की चर्चा करते हुए शिवराज ने अफसरों के काम की सराहना करते हुए कहा कि आपके कारण ही हजारों जिंदगियां बची हैं। उनका कहना था कि हम सबका एक ही मिशन है कि सबको सुख देने में लगे रहें। कोविड काल में जिस तरह से काम हुआ उसका नतीजा है कि मध्यप्रदेश का काम पूरे देश में एक उदाहरण बना। टीम मध्यप्रदेश का कोविड से मुकाबला अद्भुत और अभूतपूर्व है। हमारी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी पूरे देश में उदाहरण बनी। प्रदेश की विकास यात्रा को अद्भुत मानते हुए उनका कहना था कि हम बीमारु राज्य थे तथा वर्ष 2003 में प्रति व्यक्ति आय 13 हजार रुपये थी जो आज बढ़कर एक लाख सैंतीस हजार रुपये हो गई। कई बार अफसरों की आलोचनाओं के मामले भी देखने-सुनने को मिलते हैं शायद इसलिए ही मुख्यमंत्री ने अफसरों को सलाह दी कि वे आलोचनाओं से डरें नहीं, क्योंकि कई बार विशेषताओं की भी आलोचना होती है। उनका कहना था कि सीएम जनसेवा अभियान में कलेक्टरों ने चमत्कारिक काम किया है और हर पंचायत में शिविर लगाकर 83 लाख लोगों के नाम अलग-अलग योजनाओं में जोड़े हैं। 
शिवराज अफसरों को यह नसीहत देना भी नहीं भूले कि रिपोर्ट में हकीकत नहीं दिखती इसलिए मैदान में जाकर वास्तविक स्थिति से रुबरु होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अहंकार मत करो और कार्यालय तथा मैदानी कामों में संतुलन बनाओ। चीजों को देखने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है, इस संबंध में उदाहरण देते हुए उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एक मंदिर के बाहर तीन मजदूर पत्थर तोड़ रहे थे, पहले ने कहा कि किस्मत फूटी है, दूसरे ने कहा कि मजदूरी करता हूं, लेकिन तीसरे ने कहा कि भगवान का मंदिर बन रहा है सेवा कर रहा हूं। मुख्यमंत्री कुछ अलग ही अंदाज में नजर आ रहे थे और उन्होंने गीता का श्लोक  सुनाकर काम करने के जो पांच सूत्र अधिकारियों को दिए उनमें टीम को काम बांटने में राग-द्वेष न करना, काम योग्यता के अनुसार देना, अहंकार से काम न करना, सकारात्मक और ऊर्जावान बने रहकर ध्यान देना शामिल है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि शिवराज ने यह रेखांकित करने में कोई कोताही नहीं बरती कि अधिकारी मात्र मेरी टीम के सदस्य नहीं हैं बल्कि वे मेरे परिवार के सदस्य हैं।
गुजरात जैसी चलेगी आंधी
    प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा का दावा है कि पार्टी नेतृत्व, संगठन तंत्र और योजनाओं के दम पर मध्यप्रदेश में भी गुजरात जैसी आंधी चलेगी और भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जीतकर एक नया इतिहास बनायेगी। उनका कहना था कि हमारा नेतृत्व, हमारी केन्द्र व राज्य सरकार की गरीब कल्याण की योजनायें और हमारा संगठन तंत्र ही हमारी ताकत है। नई दिल्ली में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक की जानकारी राजधानी भोपाल लौटने के बाद मीडिया से साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 24 जनवरी को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई है, 26 जनवरी को सभी जिलों में, 27 जनवरी को सभी मंडलों में कार्यकारी समितियों की बैठकें आयोजित की जायेंगी। 28 जनवरी को शक्ति केन्द्र स्तर पर बैठकें आयोजित होगी और 29 जनवरी को सभी 64 हजार 100 बूथों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मन की बात कार्यक्रम सुना जायेगा और बैठकें होंगी। 5 फरवरी को संत रविदास जयंती है, इसी दिन से 25 फरवरी तक शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में विकास यात्राएं निकालेगी और इन यात्राओं में राज्य सरकार के मंत्री, विधायक एवं पार्टी के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। 11 फरवरी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि समापन दिवस के रुप में मनाई जायेगी एवं 14 अप्रैल को डाॅ. भीमराव अम्बेडकर जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जायेंगे। शर्मा के अनुसार मध्यप्रदेश बूथों के डिजिटाइजेशन के अभियान में देश में शीर्ष पर रहा है और अब बूथों को और अधिक सक्षम बनाया जायेगा। 51 प्रतिशत वोट हासिल करने के लक्ष्य को सामने रखकर प्रत्येक बूथ, बूथ समिति, पन्ना प्रमुख एवं पन्ना समितियों को और अधिक सुदृढ़ बनाया जायेगा।
और यह भी
     प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इन दिनों फुलफार्म में हैं और चौके-छक्के अक्सर लगाते रहते हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर उन्होंने उस वक्त तीखा हमला बोल दिया जब उनसे पूछा गया कि पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया थे इस बार नहीं हैं, तो कमलनाथ ने तल्खी के साथ कहा कि हमें किसी सिंधिया की जरुरत नहीं है, यदि सिंधिया इतनी बड़ी तोप थे तो ग्वालियर और मुरैना का महापौर का चुनाव क्यों हारे। इसका जवाब देने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तनिक भी देरी नहीं की और ट्वीट के माध्यम से प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि अच्छा हुआ आपकी तोप की परिभाषा में फिट नहीं हुआ। ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 15 महीनों की तोप सरकार का रिकार्ड तबादला उद्योग, वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार और माफिया राज था और कमलनाथजी अच्छा है आपकी तोप की परिभाषा में मैं फिट नहीं हुआ। चूंकि टीकमगढ़ में पत्रकार वार्ता में जब सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर कमलनाथ से पूछा गया कि आपने ही उन्हें सड़क पर उतरने को कहा था इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी। कमलनाथ का कहना था कि मेरी सरकार गिराने के लिए करीब तीन महीनों से सौदेबाजी चल रही थी, मुझे विधायकों से जानकारी मिल रही थी लेकिन मैं सौदेबाजी से सरकार नहीं चलाना चाहता था।
अरुण पटेल, लेखक, संपादक


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