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गैर राजनीतिक किसान महापंचायतों का आज से प्रदेश में आगाज

Updated on 04-03-2021 01:36 PM
 मार्च माह के प्रथम सप्ताह होते-होते तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने एवं एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले  किसानों को 100 दिन पूरे हो जाएंगे। यह आंदोलन धीरे-धीरे   अन्य राज्यों में फैलता जा रहा है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह की पहल पर जिन  गैर राजनीतिक किसान महापंचायतों को आयोजित करने की रूपरेखा बनी थी उसका आगाज कल 4 मार्च को रतलाम जिले के डेलनपुर में होने जा रहा है। आगामी तीन दिनों तक प्रदेश में किसान महापंचायत की गूंज सुनाई पड़ेगी। एक तरफ प्रदेश कांग्रेस में एक नाथूराम गोडसे भक्त को कांग्रेस प्रवेश देने के मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निर्णय पर  ऐतराज़ उठाते हुए स्वर पहली बार मुखरित हो रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह इन सबसे परे गैर राजनीतिक मंच के माध्यम से नई  बिसात बिछा रहे हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी फिर से दिग्विजय सिंह का महत्व बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय फलक पर जिम्मेदारियां देना कुछ माह पहले ही चालू कर दिया था और अब तमिलनाडु तथा पुद्दुचेरी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों  के चयन के लिए छानबीन समिति (स्क्रीनिग  कमेटी) का दिग्विजय सिंह को चेयरमैन बनाया है। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे विश्व के सबसे बड़े किसान आंदोलन की आहट अब मध्यप्रदेश में सुनाई देगी।
 प्रदेश में 4 मार्च से होने वाली किसान महापंचायतों में  तीन बड़े किसान नेता बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। देखने वाली बात यही होगी कि  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हित में जो अनेक योजनाएं चला रखी हैं तथा उनके खातों में सीधे राशि जमा कराई गई है उसको देखते हुए यहां किसान आंदोलन कितना परवान चढ़ता है, क्योंकि जब भी किसानों पर किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या अन्य प्रकार की मुसीबत आती है तो वह अपने बीच में शिवराज को खड़ा पाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पहल पर मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में गैर राजनीतिक किसान महापंचायत आयोजित की जा रही हैं। इन किसान महापंचायतों का मूल उद्देश्य मध्यप्रदेश के किसानों को कृषि कानूनों की वास्तविकता बताकर उन्हें जागृत करना है। ये किसान महापंचायत पूरी तरह गैर राजनीतिक होगी। मध्यप्रदेश में किसान महापंचायत के माध्यम से दिल्ली में चल रहे आंदोलन की हकीकत को मध्य प्रदेश के गाँवो तक पहुचाने के लिए किसान महा पंचायत एक संवाद के पुल की तरह कार्य करेगी। पहली किसान महापंचायत का आगाज़ 4 मार्च को सुबह 11 बजे रतलाम जिले के डेलनपुर से होगा। इसी दिन धार जिले के रातीखेड़ा दिगठान में दोपहर 3 बजे किसान महापंचायत होगी। 4 मार्च को होने वाली इन किसान महापंचायतों में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे। 
5 मार्च को उज्जैन जिले के बड़नगर व जिला मुख्यालय शाजापुर में किसान महापंचायत होगी जिसमें राजस्थान के किसान नेता रणजीत सिंह 'राजू' मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे। 6 मार्च को सीहोर जिले के श्यामपुर व भोपाल जिले की बैरसिया तहसील के ग्राम शाहपुर में किसान खाट पंचायत होगी जिसमें महाराष्ट्र के किसान नेता  संदीप गिद्दे पाटील मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे। तीनों दिनों में होने वाली किसान महापंचायतों में दिग्विजय सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। किसान नेता केदार सिरोही सहित मध्यप्रदेश के अन्य किसान नेता इन किसान महापंचायतों के माध्यम से प्रदेश के किसानों की तरफ से दिल्ली में चल रहे आंदोलन को समर्थन देंगे।
महापंचायतों  सूत्रधार दिग्विजय
         किसान महापंचायतों  के आयोजन करने की रूपरेखा का फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में एलान करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा था कि पिछले तीन माह से ज्यादा समय से देश के 400 से ज्यादा किसान संगठन के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 3 काले कृषि कानूनों को हटाने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी को लेकर पूरे देश में आन्दोलन चल रहा है किन्तु सरकार की हठधर्मिता के कारण अभी तक किसानों की समस्याओं का केंद्र सरकार द्वारा समाधान नही निकाला गया है जबकि कडकती ठण्ड में अब तक 200 से ज्यादा किसान अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। लाखों की संख्या में बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक कडकती ठण्ड और अब गर्मी में सरकार से अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे हैं। आज सरकार को सोचना चाहिए की किसानों की फसल पक कर खेतों में तैयार है, किसान को खेत में होना चाहिए उसके विपरीत किसान खेत खलिहान छोड़कर अपनी जायज मांगों को लेकर सड़क पर धरने पर बैठा है, लेकिन सरकार के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है। दिग्विजय सिंह का कहना था कि आज देश का किसान सरकार से सवाल कर रहा है की यदि सरकार का काम जन कल्याणकारी होता है तो पहली बार ऐसा हो रहा है की इन कानूनों से जिन किसानों के हित होने की बात कही जा रही है उन्हें इन कानूनों की आवश्यकता ही नहीं है। फिर भी सरकार किसानों के बजाये चुने हुए उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों पर इन कानूनों को थोपने का काम कर रही है।
और अंत में............
मध्यप्रदेश में होने वाली गैर राजनीतिक किसान महापंचायतों  के मुख्य रणनीतिकार दिग्विजय सिंह ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसान महापंचायत में राजनीतिक चर्चा की बजाय सिर्फ किसान हित की ही चर्चा होगी। किसान महापंचायत का उद्देश्य किसानों से संवाद स्थापित करना है इसीलिए मंच की जगह सभी आमंत्रित अतिथि जाज़म पर बैठेंगे और सिर्फ वक्ता ट्राली द्वारा बनाये गए मंच से अपनी बात रखेंगे। इस महापंचायत में किसी भी तरह का प्रदर्शन नहीं होगा, किसी का भी स्वागत नहीं होगा। किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए समस्त किसान हितैषी राजनीतिक दल एवं मध्यप्रदेश के किसानों के हितों के लिए काम करने वाले किसान संगठनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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