नई दिल्ली । घर में ही आपके आचरण के आधार पर एक अच्छा व्यक्ति होने का चयन नहीं होता, बल्कि जेल के भीतर भी अगर आपका व्यवहार खराब है तो इसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ सकता है। ऐसे ही 228 कैदियों को जमानत की तमाम शर्तें पूरी करने के बावजूद उनके बुरे व्यवहार के कारण कोरोना काल में भी जमानत नहीं मिली। कोरोना के मद्देनजर तिहाड़, रोहिणी व मंडोली जेल से कैदियों की संख्या कम करने की कवायद चल रही है। इन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, इसलिए माना गया कि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए अधिकांश कैदियों को सशर्त जमानत दी जाए। इसके लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के नेतृत्व में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने अधिकांश कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने की अनुशंसा की। मगर जेल में बुरे व्यवहार के कारण छोटे अपराध के आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया।
- 5 साल में 21 बार जेल नियमों का उल्लंघन
एक कैदी हत्या के प्रयास के एक मामले में पिछले 5 साल से तिहाड़ जेल में बंद है। इस कैदी की तरफ से अदालत में जमानत याचिका दायर की गई थी। अदालत ने कैदी के आचरण को लेकर रिपोर्ट मंगाई तो पता चला कि पांच साल के दौरान इस कैदी का व्यवहार 21 बार असंतोषजनक पाया गया। 21 बार ही इस कैदी के खिलाफ जेल अधिनियम की धारा 45 व 46 के तहत कार्रवाई की गई। पटियाला हाउस अदालत ने जेल प्रशासन की रिपोर्ट और कैदी के बुरे आचरण को देखते हुए उसे जमानत देने से स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया है।
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