नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की वोटिंग से पहले नीतीश कुमार ने आरक्षण पर बयान देकर नई बहस शुरू कर दी है। पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकिनगर में चुनावी जनसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि हम तो चाहेंगे कि जितनी आबादी है, उसके हिसाब से आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए । इसमें हम लोगों की कहीं से कोई दो राय नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक संख्या का सवाल है, जनगणना होगी तब उसके बारे में निर्णय होगा । यह निर्णय हमारे हाथ में नहीं है ।
मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे वोट की चिंता नहीं रहती है। आपने पहले काम करने का मौका दिया तब काफी काम किया । फिर काम करने का मौका मिला तो फिर आपके बीच आएंगे, आपके साथ बैठेंगे और कोई समस्या शेष रह गई हो तो उसका समाधान करेंगे। बता दें कि वाल्मीकि नगर में थारू जाति के काफी वोट हैं और ये जाति जनजाति में शुमार करने की मांग उठा रही है। इसी का समर्थन करते हुए नीतीश ने कहा कि जनगणना हम लोगों के हाथ में नहीं है, लेकिन हम चाहेंगे कि जितनी लोगों की आबादी है, उस हिसाब से लोगों को आरक्षण मिले। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्वी चंपारण के छौड़ादानो, पश्चिम चंपारण के हडनाटांड़ व सिकटा में चुनावी सभा में कहा कि 15 साल में बिहार का बजट 23 हजार करोड़ से बढ़कर लगभग ढाई लाख करोड़ हो गया। राज्य के 80 फीसदी लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के अलावा हर घर को बिजली व हर गांव को पक्की नली-गली से जोड़ने का कार्य एनडीए सरकार ने किया है। एनडीए शासन में बिहार में लोगों की आमदनी बढ़ी है। कुछ लोग बकवास में विश्वास करते हैं, हमें तो विकास और जनता की सेवा में भरोसा है। कहा कि सत्ता में आने के साथ उन्होंने अपराध को नियंत्रित किया। हाल ही में प्रकाशित अपराध अभिलेख ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार अपराध के मामले में बिहार 23वें स्थान पर है, जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। चाहे अपराध हो, भ्रष्टाचार हो, साम्प्रदायिकता हो, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि महिलाओं के आह्वान पर शराबबंदी लागू की, जिसका अच्छा परिणाम सामने आ रहा है। हालांकि इससे दारूबाज एवं धंधेबाज दुखी हैं। जिनकी वे परवाह नहीं करते। सरकारी सेवा एवं पुलिस सेवा में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया, वहीं प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति में पचास प्रतिशत आरक्षण दिया। पहले बिहार लालटेन युग में था। शहरों में बिजली नहीं मिलती थी। हमसे पहले जिन लोगों को राज करने का मौका मिला था, उनके समय में मात्र सात सौ मेगावाट बिजली की खपत थी। पांच साल के अंदर हमने घर-घर बिजली पहुंचाने का समय एवं लक्ष्य से पहले कार्य पूरा किया। बिहार का बजट पहले 23885 करोड़ था, अब 2.11 लाख करोड़ से ज्यादा का है।