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अपनों को नसीहत देते और कांग्रेस पर आक्रामक होते नड्डा

Updated on 28-03-2023 01:12 PM
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  जगत प्रकाश नड्डा ने अपने एक दिवसीय राजधानी भोपाल प्रवास के दौरान जहां एक ओर अपनी पार्टी के नेताओं को नसीहतें दीं तो वहीं दूसरी ओर मुख्य प्रतिपक्षी दल कांग्रेस पर जोरदार ढंग से हमला करते हुए आक्रामक तेवर भी दिखाये। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि उनका यह प्रवास अपनों को नसीहत देने के साथ ही कांग्रेस को खरी-खोटी सुनाने के लिए आक्रामकता लिए हुए था। 
      भाजपा कोर कमेटी की बैठक में नड्डा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री द्वय नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव तथा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के सामने ही नसीहत देते हुए कहा कि यहां टीम वर्क नहीं है। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल भी खड़े किए। बैठक में उन्होंने दोटूक शब्दों में नसीहताना अंदाज में कहा कि यह सलाहकार समिति नहीं बल्कि एक्जीक्यूट करने वाली कमेटी है, लेकिन यहां टीम वर्क का पूरी तरह अभाव सामने आ रहा है। उन्होंने उपदेशात्मक लहजे में कहा कि विधानसभा व लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं यहां टीम ज्यादा साथ काम करेगी तो बेहतर होगा। मध्यप्रदेश में एक से डेढ़ माह में इस कमेटी की बैठक कर रहे हैं जबकि यह हर पखवाड़े होना चाहिए और आगे से ऐसा ही हो यह भी देखें। 
      कोर कमेटी की बैठक के पहले पार्टी के नये कार्यालय का भूमिपूजन करने के बाद बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में भी नड्डा ने बड़े-बड़े नेताओं को इशारों  इशारों में नसीहत दे डाली। राजनीति में जो कहा जाता है उससे अधिक समझने की जरुरत होती है। आने वाले समय में अपनी ढपली, अपना राग अलापने वाले नेताओं पर नड्डा की सीख का क्या असर होता है यह देखने वाली बात होगी। बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में जब प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने बोलना आरंभ किया तो उनके गले की  आवाज बैठने लगी इस पर शर्मा ने सफाई दी कि तीन दिनों से बैठक ले रहा हूं इसलिए ऐसा है । शिवराज अपनी कुर्सी से उठे और डायस के पास जाकर शर्मा को पानी पिलाने के बाद बोले कि मेरा भी गला बैठा हुआ है। इस वाकये के बाद बारी जब नड्डा के बोलने की आई तो उन्होंने इस नसीहत के साथ शुरुआत की कि यह समय गला बैठाने का नहीं है बल्कि विरोधियों की हालत खराब करने का है। प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों से मुखातिब होते हुए नड्डा ने उनसे कहा कि लुभावने वायदे और मैनीफेस्टो का कोई अर्थ नहीं, यदि आप काम पसंद करते हैं तो सपोर्ट भी करें। उनका कहना था कि पार्टी को पसंद करते हैं, एप्रीसिएट करते हैं तो फिर सपोर्ट भी करें क्योंकि आप लोगों की बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचती है तथा समाज को प्रभावित भी करती है ,इससे वातावरण भी बनता है। 
      नड्डा कांग्रेस पार्टी व उसके नेता राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पर जमकर बरसे। पूरी शाब्दिक आक्रामकता के साथ बिना राहुल गांधी का नाम लिए नड्डा ने कहा कि वे अहंकार में डूबे हैं और समझदारी बहुत छोटी है। उन्होंने ओबीसी को चोर कहकर गाली देने का काम किया और माफी भी नहीं मांग रहे, रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। वे कहते हैं किसी से नहीं डरता, अरे कम से कम संविधान और कानून से तो डरो। कांग्रेसी अब अपने नेता के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं जबकि महात्मा गांधी ने भारत के सम्मान, अस्मिता और भारतीयता के लिए सत्याग्रह किया था। नड्डा ने कांग्रेस को कुछ इस अंदाज में परिभाषित किया कि कांग्रेस का मतलब करप्शन, कमीशन, डिवीजन, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद है जबकि भाजपा का मतलब मिशन, समाजसेवा, महिला और समाज सशक्तिकरण है। जहां एक ओर नड्डा के तेवर आक्रामक व नसीहतों से भरे रहे तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि लाडली बहना योजना और पीएम आवास की प्रगति काफी अच्छी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांव, गरीब, शोषित, वंचितों की चिन्ता की है तो शिवराज ने पूरी ताकत से योजनाओं का क्रियान्वयन किया है। इस प्रकार नड्डा के जो तेवर थे उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि समझने वाले समझ गये जो ना समझे वह अनाड़ी है। कौन समझा और कौन अनाड़ी रहा इसका खुलासा कुछ माहों में ही हो जायेगा।

अरुण पटेल
-लेखक,संपादक

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