भारत के प्रमुख शहर सघन आबादी वाले हैं यहां आबादी की डेंसिटी बहुत ज्यादा है, जगह कम होती जा रही क्योंकि आबादी बहुत है। हम रहवास में जमीन से ऊपर उठते जा रहे हैं, मल्टी बडती जा रही है पर शहर की आबादी भी उससे कई गुना ज्यादा बढ़ रही है। इस कम जगह के हम सबको रहना है कैसे रहना है इस पर हमको सोचना चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छता का पाठ पढ़ा दिया, कई लोगों ने इसे कंठस्थ कर लिया लेकिन कई लोग आज भी इस पाठ को सीखने को तैयार नहीं है। आप देखेंगे कई पिकनिक स्पॉट, खुली जगह, सड़क के किनारे आदमी यहां वहां कचरा देगा, बातें बड़ी-बड़ी करेगे कि देखो यूरोप के शहर, लंदन देखो कितनी सफाई है और बात करते-करते गुटखा खाके पाउच वहीं फेंक देगा। कोई भी आदर्श शहर सजावट और विकास के साथ रहवासियों के स्वभाव से कहलाता है। इंदौर शहर की खासियत है यहां बाहर से आने वालों को यह स्वीकार कर लेता हैं, कैसी भी मदद के लिए पूरा शहर 24 घंटे खड़ा रहता है। यहां हर इंसान को मदद और सुविधाए मिल जाती है। संकट के समय पूरा शहर एकजुट होकर मदद के लिए जुट जाते है। शहर के विकास मै भी सामुदायिक भागीदारी रहती है, और यही खासियत आदर्श शहर की पहचान बनती है। देश के सभी हिस्से में लोग इस बात को समझ ले कि मेरा शहर कस्बा या गांव आदर्श बनाना है, तो स्वच्छता, मिलनसारीता, एकता और शांति अपनाएं। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…