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वाजपेयी साहब, आप तो पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं

Updated on 26-12-2022 02:09 AM
बाधाएं आती हैं आएं, 
घिरें प्रलय की घोर घटाएं, 
पांवों के नीचे अंगारे, 
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, 
निज हाथों में हंसते-हंसते, 
आग लगाकर जलना होगा, 
कदम मिलाकर चलना होगा।' 
- अटल बिहारी बाजपेयी

दुनिया की एक बड़ी आबादी आज इस पृथ्वी पर बसी सम्पूर्ण मानवता को प्यार, सद्भावना और जन-कल्याण का संदेश देने वाला बड़ा दिन (क्रिसमस) मनाती है । इसी पावन दिन को ही इन जीवन मूल्यों में अटल विश्वास रखने वाली शख्सियत भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है, उन्होनें जीवनभर अपनी मृदुलता, सरलता और प्यार से देश वासियों का दिल जीत कर ताउम्र देश की एकता और अखंडता के लिए कार्य किया। 

उनके कार्यो का उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं ऐसे व्यक्तित्व बिरले ही दिखाई पड़ते हैं जो दलगत राजनीति से परे माने जाकर सबके प्रिय होने का सम्मान पाते हैं,  उनकी इन्हीं विशेषताओं के चलते उनके जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता  है। 

वाजपेयीजी अपने घोर प्रतिद्वंद्वियों के अच्छे कार्यो की प्रशंसा करने में कभी पीछे नहीं हटते थे, और उसी सह्रदयता से वे अपनी आलोचना को भी विनम्रता से स्वीकार करते थे, इसलिए वो राजनीती में सबके प्रिय पात्र थे ।

उनकी जनप्रियता का आलम यह था कि वो देश के विभिन्न क्षेत्रों यथा उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली जैसी अलग अलग विचारधारा वाली 6 संसदीय सीटों से चुनाव जीतने वाले देश के इकलौते नेता रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के गांव बटेश्वर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि थे। अत: काव्य लिखने की कला उन्हें विरासत में मिली। वाजपेयी जी ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की इसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा लक्ष्मीबाई कॉलेज से पूरी की और विधि स्नातक की डिग्री उन्होंने कानपुर में स्थित डीएवी (DAV) कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में ली। 

उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया।

स्वतंत्रता संग्राम के चलते देश में मची उथलपुथल ने युवा कवि और पत्रकार अटल के मन को भी प्रभावित किया और उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी, वाजपेयी जी लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है। वें 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया है। 6 से 21 मई 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने शपथ ली। और फिर  13 दिनों की इस सरकार के गिरने के 2 साल बाद 19 मार्च 1998 को अटल जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली ।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परिक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था की पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी। परमाणु परिक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगये परन्तु अटल जी ने इन सब चीज़ों की परवाह न करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊँचाईयों तक ले गए।

उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1999 की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा के दौरान अपने एक भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति की जोरदार अपील की इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने पूरी गर्मजोशी के साथ अटल बिहारी वाजपेयी का अभिनंदन किया। तब वहां मौजूद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हंसते हुए कहा था, 'वाजपेयी साहब, अब तो आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं।'

16 अगस्त 2018 का दिन हमारे देश के लिए अत्यंत दुःख भरा दिन रहा, जब दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली थी ।

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