नई दिल्ली । कोरोना
का कहर अभी
जारी है संक्रमितों
मरीजों की संख्या
लगातार बढ़ रही
है। विशेषज्ञों के
अनुसार, जब तक
इसकी वैक्सीन नहीं
आ जाती, तब
तक यह कह
पाना मुश्किल है
कि इसके संक्रमण
से कब तक
मुक्ति मिलेगी। हां, जो
बात चिकित्सकों द्वारा
बार-बार दोहराई
जा रही है,
उसमें शारीरिक दूरी,
मास्क का सही
प्रयोग और स्वच्छता
के साथ अपनी
इम्युनिटी को मजबूत
बनाए रखना शामिल
है। ये सावधानियां
हमें कोरोना संक्रमण
के साथ ही
अन्य बीमारियों से
भी बचाने में
अहम हैं। इनका
पालन अब और
भी जरूरी हो
जाता है, क्योंकि
यह दौर कोरोना
संक्रमण के साथ
मच्छरजनित रोगों के संक्रमण
से बचने का
भी है। बारिश
में गंदगी होने
और साफ-सफाई
के अभाव में
मच्छर तेजी से
पनपते हैं, जिनके
काटने से मलेरिया,
डेंगू, चिकनगुनिया और पीला
बुखार जैसी बीमारियां
होती है।
मच्छरजनित बीमारियों में मलेरिया सबसे प्रचलित बीमारी है और यह मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर होती है, लेकिन इसमें सबसे घातक संक्रमण डेंगू का होता है। मच्छरों के संक्रमण से होने वाली किसी भी बीमारी में खतरा तब और बढ़ जाता है, जब रोगी टीबी, एड्स व कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाला होता है। मच्छरों पर यह चर्चा अभी इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि 20 अगस्त 1897 में डॉ. रोनाल्ड रॉस ने इस बात का पता लगाया था कि मलेरिया मच्छर के काटने से होता है। तब से इस दिन को विश्व मच्छर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। मच्छरजनित बीमारी के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार होती है। मादा मच्छर मानव या पशु का रक्त चूसती है। रक्त चूसने से उसे प्रोटीन मिलता है। इस प्रोटीन से उसे गर्भधारण के बाद अंडों को विकसित करने में काफी मदद मिलती है।