व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी के द्वारा होती हैं। व्यक्ति के अंदर छुपे ज्ञान या अज्ञान की झलक उसकी वाणी के द्वारा हो जाती हैं। वाणी मानव के धन के समान हैं। इसीलिये ज्योतिष शास्त्र में धन और वाणी को दूसरे भाव से देखा जाता हैं। जहां एक तरफ मीठी वाणी आपके लिये सौहार्द पूर्ण माहौल बनाती हैं, वहीं दूसरी तरफ कटु वाणी अपनों को भी शत्रु बनाने में देर नही लगाती। हिंदु धर्म में वाणी का अत्यधिक महत्व हैं, वाणी शुद्ध और पवित्र हो तो वह साक्षात देव वाणी होती हैं, जो बोला जाता हैं, वह सत्य हो जाता हैं। धर्म वाणी पर संयम व नियंत्रण हेतु हमारे शास्त्र में मौन व्रत करने का विधान हैं, मौन व्रत का जन्म कुंडली का दूसरा भाव वाणी का होता हैं, दूसरे भाव पर ग्रहों का जैसा प्रभाव होगा, वैसी ही वाणी होगी। बुध, गुरु, शुक्र में से किसी की दूसरे स्थान पर प्रभाव स्थिति व्यक्ति की वाणी को सौम्य, ज्ञान युक्त व प्रभाव शाली बनाती हैं, और यदि यें ग्रह नीचगत हो या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में फल देने वाले हो तो विपरीत फल प्राप्त होते हैं। वाणी स्थान में राहु-मंगल या राहु-शनि का प्रभाव हो तो मुहं के कई रोग उत्पन्न करते हैं, राहु व वक्री बुध हो तो हकलाने जैसी समस्या आती हैं। मंगल शुभ ग्रहों के साथ स्थित हो तथा दूसरे भाव व भावेश पर पूर्ण प्रभाव रखता हो तो व्यक्ति की प्रभाव शाली वाणी होती हैं। ऐसे व्यक्ति के मुहं खोलते ही उसके आदेशों का पालन होता हैं। लेकिन अकेला मंगल शुभ नही होता। किसी भी पापी (क्रूर) ग्रह का प्रभाव वाणी में कठोरता उत्पन्न करता हैं। राहु या षष्ठेश ग्रह का प्राभव व्यक्ति को झूठा बनाता हैं। शनि के प्रभाव से देर से बोलना चालू करता है। बुध ग्रह का संबंध इंसान की सुंदरता, बुद्धि, वाणी और एकाग्रता से होता है। अगर इंसान के साथ इन में कोई भी दिक्कत हो तो इसका सीधा संबंध आपकी कुंडली में मौजूद बुध ग्रह से होता है। आपको तेज बु्द्धि, अच्छी वाणी और एकाग्रता बुध से ही प्राप्त होती है और बोलने की क्षमता भी बुध से संबंधित है कुंडली में बुध जितने मजबूत होंगे जातक का उतना बेहतर वक्तव्य होगा।।