युवा पत्रकार श्री कृष्ण मोहन झा इलेक्ट्रानिक व वैचारिक पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम है . देश के अनेक बड़े राजनेताओ से उनके व्यक्तिगत संबंध हैं . उन्होने भारतीय राजनीति में पार्टियों , राज्य व केंद्र के सत्ता परिवर्तन बहुत निकट से देखे और समझे हैं . उनकी लेखनी की लोकप्रियता बताती है कि वे आम जनता की आकांक्षा और उनके मनोभाव पढ़ना वे खूब जानते हैं . श्री झा को उनकी सकारात्मक पत्रकारिता के प्रारम्भ से ही मैं जानता हूं . विगत दिनों मुझे उनकी पुस्तक महानायक मोदी के अध्ययन का सुअवसर मिला . लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जन प्रतिनिधि के नेतृत्व में असाधारण शक्ति संचित होती है . अतः राजनीति में नेतृत्व का महत्व निर्विवाद है . जननायको के किचित भी गलत फैसले समूचे राष्ट्र को गलत राह पर ढ़केल सकते हैं . विगत दशको में भारतीय राजनीति का पराभव देखने मिला . चुने गये नेता व्यक्तिगत स्वार्थों में इस स्तर तक लिप्त हो गये कि आये दिन घपलों घोटालों की खबरें आने लगीं . नेतृत्व के आचरण में इस अधोपतन के चलते सक्षम बुद्धिजीवी युवा पीढ़ी विदेशों की ओर रुख करने लगी , अधिकांश आम नागरिक देश से पहले खुद का भला तलाशने लगे . इस दुष्कर समय में गुजरात की राजनीती से श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण किया . उन्होने स्व से पहले समाज का मार्ग ही नही दिखलाया बल्कि हर पीढ़ी से सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास करते हुये राष्ट्र प्रथम की विस्मृत भावना को नागरिकों में पुर्जीवित किया . स्वयं अपने आचरण से उन्होने एक अनुकरणीय नेतृत्व की छबि स्थापित करने में सफलता पाई . वो महात्मा गांधी थे जिनके एक आव्हान पर लोग आंदोलन में कूद पड़ते थे , लाल बहादुर शास्त्री थे जिनके आव्हान पर लोगों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था . दशकों के बाद देश को एक अनुकरणीय नेता मोदी जी के रूप में मिला है . वे विश्व पटल पर भारत की सशक्त उज्जवल छबि निर्माण में जुटे हुये हैं , उन्होने भगवत गीता , योग , दर्शन को भारत के वैश्विक गुरू के रूप में स्थापित करने हेतु सही तरीके से दुनिया के सम्मुख रखने में सफलता अर्जित की है . जन संवाद के लिये नवीनतम टेक्नालाजी संसाधनो का उपयोग कर उन्होने युवाओ में अपनी गहरी पैठ बनाने में सफलता अर्जित की है . देश और दुनिया में वैश्विक महानायक के रूप में उनका व्यक्तित्व स्थापित हो चला है . ऐसे महानायक की सफलताओ की जितनी विवेचना की जावे कम है , क्योंकि उनके प्रत्येक कदम के पारिस्थितिक विवेचन से पीढ़ीयों का मार्गदर्शन होना तय है . मोदी जी को कोरोना , अफगानिस्तान समस्या , यूक्रेन रूस युद्ध , भारत की गुटनिरपेक्ष नीती के प्रति प्रतिबद्धता बनाये रखने वैश्विक चुनौतियों से जूझने में सफलता मिली है . तो दूसरी ओर उन्होंने पाकिस्तान पोषित आतंक , काश्मीर समस्या , राममंदिर निर्माण जैसी समस्यायें अपने राजनैतिक चातुर्य व सहजता से निपटाई हैं. देश की आजादी के अमृत काल का सकारात्मक सदुपयोग लोगों में राष्ट्रीयता जगाने के अनेकानेक आयोजनो से वे कर रहे हैं . समय समय पर लिखे गये अपने ३४ विवेचनात्मक लेखों के माध्यम से श्री झा ने मोदी जी के महानायक बनने के सफर की विशद , पठनीय , तथा तार्किक रूप से आम पाठक के समझ में आने वाली व्याख्या इस किताब में की है . निश्चित ही यह पुस्तक संदर्भ ग्रंथ के रूप में शोधार्थियों द्वारा बारम्बार पढ़ी जावेगी . मैं श्री कृष्नमोहन झा को उनकी पैनी दृष्टि , सूक्ष्म विवेचनात्मक शैली , और महानायक मोदी पर सामयिक कलम चलाने के लिये बढ़ाई देता हूं व आपसे इस किताब को खरीदकर पढ़ने की अनुशंसा करता हूं .
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