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संघ के स्थापना दिवस समारोह में महिला अतिथि को आमंत्रण के मायने

Updated on 21-09-2022 08:41 PM
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित विश्व के सबसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस समारोह प्रति वर्ष  विजयादशमी के शुभ अवसर पर संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में भव्यता पूर्वक आयोजित किया जाता है जिसमें सरसंघचालक के द्वारा दिए जाने वाले उद्बोधन की सारे देश में उत्सुकता से प्रतीक्षा की जाती है। इस वर्ष इस समारोह में एक आकर्षण और जुड़ गया है। संघ के इतिहास में पहली बार यह समारोह एक  महिला के मुख्य आतिथ्य में संपन्न होने जा रहा है। माउंट एवरेस्ट को दो बार फतह कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुकी हरियाणा की महिला पर्वतारोही संतोष यादव को संघ ने अपने 97 वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।  इंडो तिब्बत पुलिस बल की पूर्व अधिकारी और 2001 में पद्मश्री से सम्मानित संतोष यादव  की  उपस्थिति संघ के स्थापना दिवस समारोहों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में संतोष यादव योग, पर्यावरण पारिस्थितिकी के अलावा प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दे रही हैं। उल्लेखनीय है कि  संतोष यादव के अलावा बच्छेंद्री पाल, अरुणिमा सिन्हा और प्रेमलता अग्रवाल ने भी माउंट एवरेस्ट फतह कर अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का हर ऊंचा किया है और यह साबित कर दिया है कि साहसिक अभियान में कामयाबी हासिल करने में वे किसी भी तरह पुरुषों से पीछे नहीं हैं।  संघ के स्थापना दिवस दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर संघ निःसंदेह इतिहास रचने जा रहा है। संघ के इस फैसले से यह संकेत भी मिलते हैं कि  आगे आने वाले समय में उसकी गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका का विस्तार करने का  संघ ने मन बना लिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अतीत के वर्षों में आयोजित अपने अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में  समाज की प्रतिष्ठित हस्तियों को आमंत्रित किया है जिनमें पूर्व राष्ट्रपति डा प्रणव मुखर्जी, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी डी आर डी ओ के पूर्व डायरेक्टर विजय सारस्वत , एच सी एल प्रमुख  शिव नाडर , वामपंथी विचारधारा से जुड़े कृष्णा अय्यर के नाम विशेष रूप से लिए जा सकते हैं परंतु संघ का  स्थापना दिवस समारोह इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि संघ के इतिहास में पहली बार किसी महिला को स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार संघ ने संभवतः यह संदेश देने का प्रयास किया है कि संघ  महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता और समाज के हर क्षेत्र में वह दोनों के लिए समान अधिकारों का पक्षधर है।  संघ के स्थापना दिवस समारोह में संतोष यादव के रूप में महिला अतिथि की उपस्थिति संघ पर यह आरोप लगाने वालों को भी निरुत्तर करेगी कि संघ में महिलाओं की उपेक्षा की जाती है। वास्तव में संघ की गतिविधियों में पुरुषों के बराबर ही महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में संघ सदैव सक्रिय रहा है । संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समय समय पर विभिन्न मंचों से व्यक्त अपने उद्गारों में यह कहा है कि प्रकृति ने महिला और पुरुष में जितना भेद किया है उसके अलावा उनमें कोई अंतर नहीं है। महिलाओं की सामर्थ्य को किसी भी तरह पुरुषों से कमतर नहीं आंका जा सकता। पुरुषों के बहुत से कार्य महिलाओं के द्वारा पुरुषों से बेहतर तरीके से संपादित कर सकती हैं। इसलिए समाज और राष्ट्र की प्रगति में  50 प्रतिशत योगदान महिलाओं का भी है। पिछले दिनों संघमित्रा सेवा प्रतिष्ठान प्रकाशन समिति द्वारा प्रकाशित ग्रंथ " अखिल भारतीय महिला चरित्र कोश"के प्रथम खंड का विमोचन करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि हम भारत को विश्वगुरु बनाने के अभिलाषी  हैं। हमारी यह अभिलाषा इस काम में महिलाओं और पुरुषों दोनों का समान योगदान सुनिश्चित करके  ही पूर्ण हो सकती  है । सरसंघचालक चालक ने अपने भाषण में इस बात पर विशेष जोर दिया था कि हमारी परंपरा में मातृशक्ति के महत्व का हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए। संघ प्रमुख ने अपने भाषणों में एक ओर जहां मातृशक्ति के प्रति श्रद्धा और आदर का भाव प्रकट किया है वहीं ओर उन्होंने समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा प्रदान करने पर विशेष बल दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत का मानना है कि महिला विमर्श भारतीय दर्शन के अनुरूप होना चाहिए । 
2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे है। अब जबकि विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में संघ अपने  शताब्दी वर्ष के आयोजनों को भव्य और गरिमामय स्वरूप प्रदान करने के लिए संघ व्यापक तैयारियों में जुटा हुआ है तब सब के इस स्थापना दिवस समारोह में महिला पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने का संघ का फैसला ऐतिहासिक ही माना जा जाएगा जिसके कई  राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं जबकि इसे  महिलाओं को संघ की मुख्य धारा में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जाना चाहिए।  दो वर्ष में लगातार दो बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का नाम रोशन करने भारत की पहली महिला पर्वतारोही संतोष यादव को संघ के स्थापना दिवस समारोह में  मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर संघ ने जो ऐतिहासिक शुरुआत की है उसके लिए संघ और संघ प्रमुख मोहन भागवत साधुवाद के अधिकारी हैं और अब यह उम्मीद की जा सकती है कि आगे आने वाले दिनों में यह सिलसिला निरंतर जारी रहेगा।
कृष्णमोहन झा, लेखक

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