Select Date:

21 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है ये दिन

Updated on 21-03-2022 07:35 PM

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया भर की संक्रामक बीमारियों में से 60 प्रतिशत बीमारियां जानवरों के सम्पर्क में आने से फैलती हैं. जंगलों को लगातार काटने से जानवरों से विषाणु हमारे सम्पर्क में आते हैं. यहीं वजह है कि इस साल का थीम वनों का पुनरुत्थान रखा गया है.

वनों का संरक्षण हमारे लिए बेहद जरूरी है. वनों के बिना हम मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. लोगों को इसके संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए 21 मार्च को विश्व भर में ‘अंतरराष्ट्रीय वन दिवस’ (International Day of Forests) के तौर पर मनाया जाता है. 28 नवंबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था. इस वर्ष इसकी थीम ‘फॉरेस्ट रेस्ट्रोरेशन: ए पाथ टू रिकवरी एंड वेल बीइंग’ है.

बीते कुछ वर्षों से जिस प्रकार बिना सोचे-समझे वनों की कटाई की जा रही है, उसे देखते हुए इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि जल्द ही हमें इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं. ऐसे में 21 मार्च का ये दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस दिन विश्व भर में वनों और पेड़ों से संबंधित गतिविधियों का आयोजन करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाता है.

2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने की थी घोषणा 

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 28 नवंबर 2012 को एक प्रस्ताव पारित करते हुए प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इस दिन को विश्व भर में सभी तरह के वनों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और इनके महत्व को समझाने के तौर पर मनाया जाता है.

हर साल होती है अलग थीम 

हर साल अलग-अलग थीम पर इस दिन को मनाया जाता है. इस साल इसकी थीम, ‘फॉरेस्ट रेस्ट्रोरेशन: ए पाथ टू रिकवरी एंड वेल बीइंग’ है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस साल की थीम UN Decade on Ecosystem Restoration (2021-2030) पर आधारित है. जिसका उद्देश्य दुनियाभर के ecosystem का बचाव और पुनरुत्थान करना है.

साथ ही इस दिन दुनिया भर के देशों में वनों के संरक्षण के उद्देश्य से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ साथ स्थानीय स्तर पर भी विभिन्न कार्यक्रमों और वृक्षारोपण अभियान का भी आयोजन किया जाता है. हर साल इस दिन को हमारे जीवन में वनों के महत्व को समझने के लिए किया जाता है.

दुनिया के 1.6 बिलियन लोगों की आजीविका वनों पर निर्भर 

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया के लगभग 1.6 बिलियन लोग अपने भोजन, आवास और दवाईयों के साथप-साथ आजीविका के लिए सीधे तौर पर वनों पर निर्भर करते हैं. हर साल दुनियाभर में लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर वन काम होता है जो कि वायु परिवर्तन का मुख्य कारण है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार हम जिन दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं उनमें से 25 प्रतिशत इन्हीं वनों से मिलती हैं. न्यूयॉर्क, टोक्यो, बार्सिलोना और बोगोटा समेत कई बड़े शहरों का एक तिहाई हिस्सा पीने के पानी के लिए इन संरक्षित वनों पर निर्भर करता है.


अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 16 November 2024
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक  जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
 07 November 2024
एक ही साल में यह तीसरी बार है, जब भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीखें चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद बदली हैं। एक बार मतगणना…
 05 November 2024
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
 05 November 2024
चिंताजनक पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये…
 04 November 2024
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
 03 November 2024
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
 01 November 2024
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
 01 November 2024
संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके…
 22 October 2024
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…
Advertisement