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मंदिर-मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला

Updated on 21-08-2022 05:50 PM
देश के चोटी के कवि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की यह पंक्तियां ‘मंदिर-मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला‘ अचानक फिर से स्मृति पटल पर अंकित हो जाना इसलिए मौजू हो गया है क्योंकि इस बार अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी यह मान रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी उनकी बढ़ती हुई लोकप्रियता से घबरा रहे हैं इसलिए सीबीआई को उनके नेताओं के पीछे लगा दिया गया है और अब ईडी भी मैदान में आ सकती है। देश के अधिकांश विपक्षी दल यह आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी इन दिनों केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय हैं जिनका उपयोग या तो बनी हुई सरकारों को गिराने और अस्थिर करने में किया जा रहा है या फिर सरकार गिरा दी गई हैं। पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली होते हुए महाराष्ट्र तक इन एजेंसियों के निशाने पर विपक्षी दल से जुड़े लोग या नेता रहे हैं और चाहे कांग्रेस हो, आम आदमी पार्टी शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी हो या फिर तृणमूल कांग्रेस यह मानती हैं कि राजनीतिक बदले की भावना से ये छापेमारी हो रही है। लेकिन साथ में यह भी कहते हैं कि हम इनसे डरने वाले नहीं हैं। इनका यह तर्क है कि एक भी भाजपा नेता के यहां ये केंद्रीय एजेंसियां दबिश क्यों नहीं देती क्या वे सब दूध के धुले हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर कथित आबकारी घोटाले को लेकर सीबीआई ने छापेमारी की और कुल सात राज्यों में 21 ठिकानों पर दबिश दी गई जिसमें कुछ अधिकारी और आबकारी ठेके से जुड़े लोग शामिल हैं। मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने इलेक्ट्रानिक गैजेट और सीक्रेट फाइलें जब्त की हैं। जैसे ही मनीष सिसोदिया के घर छापा पड़ने की खबर आई आम आदमी पार्टी आक्रामक हो गयी और सिसोदिया कि आवास के बाहर प्रदर्शन करते हुए आप कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ लिया। सिसोदिया पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को उन्होंने 144 करोड़ रुपये की छूट दी। 
         सीबीआई का शिकंजा उपमुख्यमंत्री सिसोदिया पर कसता जा रहा है और उनके यहां 14 घंटे तक हुई छापेमारी के बाद कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त होने का सीबीआई के नजदीकी सूत्रों ने दावा किया है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आगे चलकर शायद मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी भी हो जाए। अरविन्द केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया का बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका के सबसे बड़े अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल की तारीफ करते हुए प्रथम पृष्ठ पर सिसोदिया के चित्र सहित लेख छापा है और इस लोकप्रियता से घबरा कर दूसरे ही दिन यह कार्रवाई की गई है। आम आदमी पार्टी भले ही अपने बचाव में कुछ भी कह रही हो लेकिन उसे इस बात का तो कम से कम जवाब देना ही चाहिए कि छापा पड़ा है आबकारी घोटाले को लेकर और वह मनीष सिसोदिया के बचाव में शिक्षा मॉडल की तारीफ कर रही है तथा आबकारी घोटाले के मामले में उसने चुप्पी साध रखी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि छापेमारी का शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयोगों से कोई सम्बंध नहीं है यह तो केवल आबकारी घोटाले को लेकर हुई कार्रवाई है और यदि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो फिर घबरा क्यों रहे हैं, जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा। दिल्ली सरकार का दावा है कि नई आबकारी नीति से सरकारी आय में तुलनात्मक रुप से वृद्धि हुई है जबकि मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल को जो रिपोर्ट भेजी उसमें शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपये की लायसेंस फीस माफी की बात कहते हुए सवाल उठाये गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रथम दृष्टया यह पता चलता है कि नीति को लागू करने में कई नियमों का उल्लंघन किया गया है। टेंडर के बाद 2021-22 में लायसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया, जिससे दिल्ली सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इस कथित घोटाले में सीबीआई ने सिसोदिया सहित 15 लोग और दो कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिसमें सिसोदिया का नाम पहले नम्बर पर है यानी उन्हें ही मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि एक शराब कारोबारी ने सिसोदिया के करीबी को एक करोड रुपये का भुगतान किया था। एफआईआर में आबकारी अधिकारी, शराब कंपनी के अधिकारी और डीलरों के साथ ही लोकसेवकों के नाम भी शामिल हैं।
      आम आदमी पार्टी के द्वारा सिसोदिया के घर पर पड़े छापों को लेकर उनका बचाव करते हुए न्यूयार्क टाइम्स का हवाला दिया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि आबकारी नीति में भ्रष्टाचार ने अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का असली चेहरा उजागर कर दिया है। जांच के डर से आप पार्टी के नेता अपनी सरकार के शिक्षा मॉडल के काम को जोड़ रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा है कि पिछले 75 सालों में जितने भी अच्छे काम करने की कोशिश की गई उसे रोका गया, इसलिए देश पीछे रह गया, लेकिन दिल्ली के अच्छे कामों को हम रुकने नहीं देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रतिक्रिया दी कि राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के निरन्तर दुरुपयोग का एक दूसरा पहलू यह भी है कि एजेंसियों की वैध व सही कार्रवाई भी संदेह के घेरे में आ जाती है। 
मामला और आरोप 
      दिल्ली के मुख्य सचिव ने लगभग दो माह पूर्व आबकारी नीति को लेकर अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी थी जिसमें आबकारी नियम 210 के अलावा ट्रांजेक्शन आफ बिजनेस रुल्स 1993 सहित कई नियमों का उल्लंघन पाया था। इस रिपोर्ट के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, उसी तारतम्य में छापेमारी की गयी। सिसोदिया पर आरोप यह है कि प्रायवेट व्यापारियों को 144.36 करोड़ रुपये की फीस माफ कर दी गयी और उपराज्यपाल की बिना मंजूरी के नियम तोड़कर बड़े फैसले किए गए। इर्म्पोटेड बियर के दाम कम किए गए जिससे सरकार को नुकसान हुआ। सिसोदिया के चार करीबियों ने शराब कारोबारियों से पैसे वसूल किए। उपराज्यपाल ने 11 आबकारी अधिकारियों को भी इस मामले में निलंबित कर दिया था और सिसोदिया ने खुद भी कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। 
और यह भी
           जहां एक ओर आम आदमी पार्टी के नेता और स्वयं केजरीवाल सिसोदिया के बचाव में न्यूयार्क टाइम्स में छपे लेख को ढाल बना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा नेताओं का इस संबंध में कहना है कि न्यूयार्क टाइम्स के साथ ही एक अन्य अखबार खलीज टाइम्स में एक-सा लेख छपा है और लेखक भी एक ही है तथा यह प्रायोजित लेख लगता है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि हम प्रायोजित लेख नहीं छपते हैं ।
  अरुण पटेल,लेखक, प्रधान संपादक (ये लेखक के अपने विचार है )


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