जुमे की नमाज के बाद देश के कई शहरों में मुस्लिम समाज के लोग सड़कों पर उतरे और नूपुर शर्मा एवं नवीन जिन्दल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। कई शहरों में उग्र प्रदर्शन हुआ और हिंसा करने वालों की पुलिस से झड़प हुई तथा हवाई फायर करने की नौबत भी आई। पश्चिमी बंगाल में भी इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के द्वारा की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ मुस्लिम समाज सड़कों पर उतर गया। दीदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इससे नाराज हो गयीं और उन्होंने यहां तक कह डाला कि जिसे विरोध जताना है वे टिकट कटायें, ट्रेन पकड़ कर दिल्ली जायें, बंगाल में शांति-व्यवस्था को बाधित न करें। जिस तरह की बयानबाजी हुई है हम उसका समर्थन कतई नहीं करते। बंगाल में सभी समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं और जिन भाजपा नेताओं ने इस तरह की टिप्पणी की है उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए। ममता ने बिना नाम लिए नूपुर शर्मा व नवीन जिन्दल की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणी करने वालों को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिये उनकी असली जगह तिहाड़ जेल है। लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि बंगाल में इसके खिलाफ सड़क जाम क्यों किया गया। इस प्रकार नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर जो बवाल मचा है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब बात उनकी गिरफ्तारी तक जा पहुंची है। जो लोग मांग कर रहे हैं उन्हें अपनी भावनाओं के अनुसार मांग करने का पूरा अधिकार है लेकिन इसके चलते जो साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश हो रही है उसे भी जायज नहीं माना जा सकता। जिस प्रकार से अचानक नमाज के बाद देश के कई हिस्सों में एक साथ प्रदर्शन हुए उसको लेकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर पुलिस का खुफिया तंत्र इसे क्यों नहीं भांप पाया और रोकथाम के लिए उसने कोई कदम क्यों नहीं उठाया। घटना होने के बाद पुलिस एक्शन में आती है लेकिन यदि पुलिस पहले ही एक्शन में आ जाये तो इस प्रकार की घटनाओं को टाला जा सकता है या उसे न्यूनतम किया जाता सकता है। जम्मू कश्मीर तथा दिल्ली में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए और रांची में पुलिस पर पथराव हुआ, फायरिंग की नौबत आई और दो लोगों की मौत हो गयी तथा कर्फ्यू भी लगाना पड़ा। हावड़ा में पुलिस थाना जला दिया गया और भाजपा के दो कार्यालयों में भी आगजनी हुई। नूपुर शर्मा के पक्ष में भोपाल की भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर आगे आईं और उन्होंने यहां तक कहा कि यदि सच बोलना बगावत है तो हम बागी हैं। उनका कहना था कि मैं सच बोलने के लिए बदनाम हूं। इन अविश्वासी लोगों ने हमेशा यही किया है और इनका कम्युनिस्ट इतिहास है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी नूपुर को मिल रही धमकियों का विरोध कर चुकी हैं। इसको लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसना आरम्भ कर दिया और मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने ट्वीट किया कि भाजपा की नगरीय निकाय चुनावों को लेकर बनाई गयी भोपाल संभाग की चयन समिति से स्थानीय सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ही गायब कर दिया गया। बीजेपी की यह कैसी मजबूरी, सांसद से कैसी दूरी, क्या यह सिर्फ आग लगाने के काम ही आती हैं। इस प्रकार नूपुर के साथ प्रज्ञा भी चर्चा में आ गयी हैं।
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