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मप्र विस के 'माननीय' सीखेंगे सभ्यता: छग में कटुता पर विराम लगाती भाजपा

Updated on 12-03-2021 01:04 PM
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की पहल पर विधायकों को सदन के नियम और प्रक्रिया से अवगत कराने के साथ ही साथ उन्हें सभ्यता का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। अब भविष्य में विधानसभा में माननीय पप्पू, मंदबुद्धि और झूठा जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर किसी अन्य माननीय को आहत नहीं कर पाएंगे। विधानसभा सचिवालय अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की तैयारी में है। विधायकों को बताया जाएगा कि वह कौन-कौन से शब्दों का इस्तेमाल ना करें। मीडिया की सुर्खियों में स्थान पाने के लिए सदन के अंदर अक्सर ऐसे-ऐसे जुमले और कटाक्ष किए जाते हैं जो अमर्यादित होते हैं और उन्हें सदन की कार्यवाही से विलोपित करना पड़ता है। स्पीकर गौतम का मानना है कि ऐसे शब्दों को बोलना ही नहीं चाहिए जिनको कि विलोपित करना पड़े। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के दौरान आसंदी के सम्मान की कई बार अनदेखी किए जाने के बाद सत्र के समापन पश्चात विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत से भाजपा विधायकों ने उनके आवास पर जाकर शिष्टाचार मुलाकात में उनके प्रति सम्मान जताकर समूचे घटनाक्रम पर विराम लगाने का प्रयास किया। इस प्रकार दोनों राज्यों की विधानसभा में सदन की मर्यादा और परंपराएं बनाए रखने के लिए पहल प्रारंभ की गई है। यह पहल भविष्य में कितनी कारगर होती है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि विधायकों द्वारा इसे कितनी गंभीरता से लिया जाता है।
स्पीकर गिरीश गौतम का कहना है कि शीघ्र ही विधायकों का प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया जाएगा और उन्हें वरिष्ठ नेता प्रशिक्षित करेंगे। उनका कहना है कि हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं तथा प्रदेश की स्थानीय बोलचाल की भाषा में अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है उसे असंसदीय मानकर सदन की कार्यवाही में इस्तेमाल पर रोक रहेगी। गौतम ने इस बात पर जोर दिया कि विधायकों को ध्यान रखना होगा कि वे पप्पू, मंदबुद्धि और झूठा शब्द का इस्तेमाल विधानसभा में नहीं करें ।
तैयार हो रहा असंसदीय शब्दों का डॉक्यूमेंट
विधानसभा सचिवालय लोकसभा की तर्ज पर ऐसा डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है जिसमें उन शब्दों का उल्लेख होगा जिहें असंसदीय मानते हुए उनके बोलने पर रोक लगी हुई है। पहले से तयशुदा शब्दों और जिनके इस्तेमाल पर रोक है उनके अलावा नए शब्द और जुमलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए विधानसभा सचिवालय नया डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। लोकसभा की तरह अब राज्य विधानसभा में भी ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाएगी। राज्य विधानसभा में अनेक अवसर ऐसे आए हैं जब सत्ता पक्ष विपक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक और हंगामा चलता है उस दौरान एक दूसरे के लिए  असंसदीय शब्दों का जमकर इस्तेमाल होता है और बाद में उन्हें विलोपित करना पड़ता है। आवेश में आकर विधायक सदन की गरिमा और मर्यादा का ध्यान नहीं रखते हैं। स्पीकर को विधानसभा की कार्यवाही भी कुछ मिनटों के लिए स्थगित करना पड़ती है। इसी सप्ताह प्रश्नोत्तर काल में भी ऐसा ही देखने में आया था। अब विधायकों को डॉक्यूमेंट दिया जाएगा और उसमें किन किन शब्दों का इस्तेमाल सदन में नहीं कर सकते उसका उल्लेख होगा। स्पीकर गौतम की यह पहल स्वागत योग्य है और देखने वाली बातें यही होंगी कि भविष्य में सत्तापक्ष विपक्ष के माननीय इसका कितनी शिद्दत से ध्यान रखते हैं और सदन की परंपरा मर्यादा बनाए रखते हैं ।
महंत से रिश्ते सुधारने की जुगत में भाजपा
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आसंदी के सम्मान की कई बार अनदेखी किए जाने के बाद सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष डा.चरणदास महंत से भाजपा सदस्यों ने उनके आवास पर शिष्टाचार मुलाकात में उनके प्रति सम्मान जताकर पूरे घटनाक्रम पर विराम लगाने की कोशिश की है। हालांकि डा.महंत ने भाजपा विधायकों की इस पहल पर कुछ भी टिप्पणी करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया   कि वह समापन भाषण में सदन में अपनी बात रख चुके है। वैसे यदि छग विधानसभा की परंपरा को देखा जाए तो भाजपा विधायकों की इस कवायद को सामान्य शिष्टाचार और सौजन्य की दृष्टि से एक अच्छी पहल मानी जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आसंदी के प्रति बहुत ही सम्मान की परम्परा रही है। राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक के नेतृत्व में भाजपा विधायक 9 मार्च मंगलवार की देर शाम  डा. महंत के आवास पर पहुंचे और शिष्टाचार मुलाकात की। मुलाकात करने वालों में वरिष्ठ विधायक नेता बृजमोहन अग्रवाल भी शामिल थे, जिन्होने पिछले तीन चार दिनों में आंसदी के निर्णय पर सवाल उठाए थे। इस सत्र में पहली बार आसंदी के प्रति सम्मान की कई बार अनदेखी के अवसर भी आए। राज्य विधान सभा में पूर्व में इस तरह के बहुत कम ही उदाहरण मिलते हैं। जो माहौल बना उस घटनाक्रम की शुरूआत बहुत ही मामूली थी लेकिन इसके चलते भाजपा विधायकों  ने विभागों की बजट मांगो की चर्चा में हिस्सा नही लिया और बजट सत्र 17 दिन पहले खत्म हो गया। इस दौरान ही स्पीकर महंत को एक बार कहना पड़ा कि वह 1980 से संसदीय पाठशाला के सदस्य है।पांच बार विधानसभा एवं पांच संसदीय चुनाव लड़ चुके है, और आठ बार सदन के सदस्य रहे है,उऩ्हे भी नियम प्रक्रिया की पूरी जानकारी है। डा. महंत ने सत्र के समापन पर सदस्यों से आग्रह किया कि सदन की सर्वोच्चता के लिए आसंदी के प्रति सम्मान और विश्वास का भाव बना रहना अत्यंत आवश्यक है। व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, प्रतिष्ठा और द्वेष से सदन को मुक्त रखकर ही हम संसदीय लोकतंत्र की सार्थकता को सिद्द कर सकते है।
और अंत में..........
छग विधानसभा के बजट सत्र के समापन पर सदन में स्पीकर डॉ चरणदास महंत ने कहा कि परिस्थितिजन्य कारणों से भले ही इस बजट सत्र में विषम स्थिति निर्मित हुई, परन्तु यह भी सच है कि हमारी संसदीय संस्कारों की जड़े काफी गहरी और मजबूत हैं। हम इन परिस्थितियों से भी आगे निकल कर संसदीय मूल्यों को किन्ही भी परिस्थितियों में भविष्य में प्रभावित नही होने देने का संकल्प लें। उन्होने सदस्यों से आग्रह किया कि सदन में चर्चा के दौरान आरोप प्रत्यारोप, गतिरोध एवं आक्रोश के गुजरे पलों को भूलकर सदन को इन परिस्थितियों से बचाने का प्रयास करें। उन्होने कहा कि मैं भी आप ही की तरह इस सदन का एक सदस्य ही हूं, मेरी भी भावनाएं हैं और मेरे भी विचार हैं।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश


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