प्रत्येक व्यक्ति को अपने असली रूप की जानकारी और पहचान होना चाहिए, और क्या है वह यह कैसे जाने ? अक्सर हम रूप का मतलब हमारी सुन्दरता और शारीरिक सोष्ठव यही समझते हैं लेकिन हमारा असली रूप ये भी होते हैं और इन्हीं बातों से हम पहचाने भी जाता है। हमारी आदते, हमारी सोच, हमारी नियमित जीवन शैली, हमारी कला, हमारा हुनर और हमारा परिवार समाज एवं देश के प्रति दायित्व यह है हमारा असली रूप। आप संतुष्टि भरा जीवन के साथ अपने आपको छोटा या बड़ा नहीं मानते हैं तो आपके असली रूप को निखरने के रास्ते खुल जाते हैं। आप कितने मीठे तरीके से अपना व्यवहार रखते हो, आप यह मान ले कि " अन्याय करना नहीं और अन्याय सहना नहीं " और यह भी मान ले कि " ईमानदारी सबसे बड़ी ताकत होती है " तो आपका रूप निखर उठता है। आप अपने हुनर के बल पर कमाते हैं आप कला में निपुण होते हैं यह सब आपके असली रूप है और इस पर आपको गर्व होना चाहिए परन्तु घमंड नहीं। इंसान सिर्फ यह सोच कि मैं बहुत सुंदर हूं मेरे पास बहुत पैसा है या मेरे पास बहुत पावर है इसलिए सब लोगों ने मेरी तरफ आकर्षित होना चाहिए तो यह उसकी गलत धारणा है आपकी विनम्रता सहयोगात्मक भावना, सहायता, संतुष्टि, मैत्री भाव से अन्य व्यक्ति आप की ओर आकर्षित होते हैं और आपके इन सभी असली रूप के कारण आपकी इज्जत और कद्र करते हैं। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…