जिनवाणी दिवस के रूप में मना श्रुत पंचमी पर्व, घर-घर में हुए विधान, सजाएं गए ग्रंथराज
Updated on
27-05-2020 08:58 PM
दिगंबर जैन सोशल ग्रुप वर्धमान ने घर-घर कराई जिनवाणी सजाओ प्रतियोगिता
गुना। जैन समाज द्वारा बुधवार को श्रुत पंचमी का महापर्व घर-घर में भक्तिभाव से मनाया गया। लॉकडाउन के चलते मां जिनवाणी और शास्त्र जी की पूजन घर में ही गई। इस मौके विभिन्न धार्मिक टीवी चैनलों पर प्रसारित मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज द्वारा आयोजित श्रुत पंचमी विधान का लाईव प्रसारण देखकर श्रद्धालुओं ने घरों में ही श्रुत पंचमी का विधान किया। आचार्यश्री विद्यासागर पाठशाला चौधरी मोहल्ला की संचालिका ब्रह्चारिणी पल्लवी दीदी ने बताया कि जैन धर्मावलम्बी जेष्ठ शुक्ल पंचमी को श्रुत पंचमी पर्व मनाते हैं। इस दिन प्राकृत भाषा में जैन शास्त्रों का विधिवत लेखन प्रारंम्भ हुआ था। दरअसल, 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी निर्वाण के बाद लगभग 2000 वर्ष पूर्व आचार्य धरसेन ने अपने शिष्य पुष्पदन्त और भूतबलि को आदेश दिया कि महावीर स्वामी की दिव्य वाणी को लेखन के माध्यम से संरक्षित किया जाए। जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ 'षट्खण्डागमÓ की रचना प्राकृत भाषा में जेष्ठ शुक्ल पंचमी को शुरू की गई थी। तब से जैन धर्मावलम्बी इस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन जैनधर्मावलम्बी जिनवाणी का विधवत पूजन और वाचन करते हैं।
चलों संजाऐ शास्त्र, करें श्रंृगार माँ जिनवाणी का
इस मौके पर दिगंबर जैन सोशल ग्रुप वर्धमान द्वारा घर-घर में 'चलों संजाऐ शास्त्र, करें श्रंृगार माँ जिनवाणी काÓ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रुप की सदस्याओं ने धार्मिक शास्त्र एवं ग्रंथों की आकर्षक साज-सज्जा घरों में की गई। ग्रुप के मीडिया प्रभारी दीपेश पाटनी ने बताया कि संजाए गए शास्त्रों का ग्रुप के स्वतंत्र निर्णायक मंडल के द्वारा विजेता घोषित किया जाएगा। जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम तथा प्रोत्साहन पुरुष्कार ग्रुप द्वारा दिए जाएंगे।
महामारी के चलते घरों में ही प्रभावना पूर्वक मनाया गया पर्व
उल्लेखनीय है कि तीर्थंकर प्रभु की दिव्य ध्वनि से प्राप्त वाणी, जो समस्त जीवों के कल्याण की आधार है। उस वाणी के लेखन कार्य के क्रम में प्रथम ग्रंथ के लेखन की पूर्णता ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी इसी तिथि को हुई थी। तभी से सभी श्रावकों ने इस तिथि को विशेष पर्व को मनाना प्रारम्भ किया। श्रुत पंचमी पर्व के शुभ अवसर पर प्रतिवर्ष अत्यंत भक्ति-भाव से जिनवाणी माता की पूजन होती थी। इस दौरान शहर के विभिन्न जिनालयों में विराजमान शास्त्रों के रूप में जिनवाणी का रख रखाव(वैयावृत्ति) कर तथा उनको नए वस्त्र प्रदान किए जाते थे। लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के चलते मंदिरों में सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुए। श्रद्धालुओं ने घरों में विराजमान जिनवाणी मां की पूजा की। सामान्यत: पूरे देश में श्रुत आराधना का यह पर्व अत्यंत भक्ति-भाव व प्रभावना पूर्वक मनाया जाता है। अनेक स्थानों में प्रभावना जुलूस भी निकाला जाता है। वर्तमान में महामारी के दौर में इस वर्ष हम सभी घर में ही प्रभावना पूर्वक मनाया गया।
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