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निमाड़ का खेवैया नंदूभईया : प्रभात झा

Updated on 04-03-2021 10:57 AM
नंद कुमार सिंह चौहान नहीं रहे। ’शाहपुर’ के एक गांव से निकला युवक सन् 1967 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  का प्रथम वर्ष कर जनसेवा के मैदान में कूद पड़ता है। तब से लेकर आज तक उन्होने पलटकर नहीं देखा। जनसंघ का ’दीया’ जलाते हुए, निमाड़ क्षेत्र के गांव-गांव में कमल खिलाने में अगर किसी व्यक्ति ने जुनूनी भूमिका निभाई तो उस व्यक्तित्व का नाम था, नंद कुमार सिंह चौहान (नंदूभईया)। निमाड़ में एक ही नारा लगता था निमाड़ का खेवैया, नंदूभईया। शाहपुर में विधानसभा का उपचुनाव था। मुझे दल ने श्री सौदान सिंह के साथ वहां चुनाव में भेजा। नंदूभईया से सहज परिचय पूर्व से था, पर उन दो महिनों में बहुत निकट का परिचय आया। उनकी लोकप्रियता निमाड़ मे क्या थी, वह एक घटना से सभी प्रदेशवासियों को समझ में आ जाएगी। वे खंडवा के सांसद थे। उपचुनाव में दौरा करते-करते शाहपुर पहुंचे। शाहपुर में उनकी अंतिम चुनावी सभा थी। रात के दस बज गए थे। हजारों की भीड़ थी। चुनाव आयोग की आचार संहिता के कारण रात दस बजे के बाद सभा नहीं हो सकती थी। जनता से नंदूभईया ने कहा कि आज मैं हाथ जोड़ रहा हूं। भाजपा के रामदास शिवहरे को हम सभी को जिताना है। लोगों ने नहीं माना। सभी ने कहा ’’निमाड़ का खेवैया, नंदूभईया’’ नंदूभईया ने कहा चुनाव निरस्त हो जाएगा। जनता ने कहा हो जाने दो। नंदूभईया को झुकना पड़ा। नंदूभईया ने मराठी में अपना भाषण शुरू किया। तालियों की गड़गड़ाहट से जनता ने नंदूभईया की प्रथम वाणी का स्वागत किया। नंदू भईया धारा प्रवाह मराठी में भाषण देते रहे। वह रात जो मैने दृश्य देखा तो मुझे लगा कि राजनीति केे अंधेरे में एक ऐसा व्यक्ति जिसको कुशाभाऊ ठाकरे का आशीर्वाद सदैव मिलता रहा उसे प्रदेश में अभी तक क्यों नहीं लाया गया? उपचुनाव जीत गए। आने के बाद तत्कालीन प्रांत कार्यवाहक प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी को मैनें आकर बताया कि एक ऐसा कार्यकर्ता नंदकुमार सिंह चौहान है, जिसकी लोकप्रियता एसी है। उन्होने भाजपा के नेतृत्व से चर्चा की और उन्हे प्रदेश की टीम में लाया गया। नंदूभईया इस तरह प्रांत की राजनीति में लाए गए। नंद कुमार सिंह चौहान ने शाहपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष पद से अपने राजनैतिक जीवन की चुनावी यात्रा की शुरूआत की थी। तब से लेकर अब तक वे तीन बार विधायक और छह बार सांसद रहे। मात्र एक बार लोकसभा चुनाव हारे। ’नंदू भईया’ पांच बार प्रदेश के पांच अध्यक्षों के साथ लगातार महामंत्री रहे। सब कुछ करते हुए वे कभी अपने निमाड़ क्षेत्र को उन्होने नहीं छोड़ा। वे समर्पित, सुलभ सहज सरल एवं एक आदर्श कार्यकर्ता थे। कार्यकर्ता मन में अपने स्नेह की अखंड ज्योति जला देते थे। वे सतत् प्रवास करते थे। वे जब तक सांसद रहे तो वे एक ही बात करते थे, मुझे कुशाभाऊ ठाकरे ने अपनी खंडवा लोकसभा सीट सौंपी है। मैं ठाकरे जी की इज्जत कभी खराब नहीं होने दूंगा। वे प्रवास अलग प्रकार से करते थे। वे अपनी गाड़ी में ही तकिया चादर और ओढ़ने का सामान रखते थे। खाना खराब हो जाता था, अतः नमकीन और बिस्कुत रखते थे। चुनाव के दिनों में वे कहते थे प्रभातजी यह गाड़ी नहीं मेरा चलता फिरता चुनावी कार्यालय है। वे अनथक यात्री की तरह सतत् प्रवास करते थे। वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। सहज निवास पर मिलने आए। उन्होने कहा कि ’’भाईसाहब’’ आपका ’महामंत्री’ प्रदेश अध्यक्ष बन गया। मैंने कहा नंदू भईया आप मुझसे आठ साल बड़े हैं। अब अध्यक्ष के नाते भी मेरे अधिकारी हो गए। वैसे तो आप मेरे बड़े भाई सदैव हैं और रहेंगे।
नंदू भईया ने जो जवाब दिया वह अस्मरणीय और पाथेय जैसा था। उन्होने कहा कि प्रभात जी ’’मै कितने दिन अध्यक्ष रहूंगा। आप भी दो-ढाई साल रहे, मै भी इतने दिन रह लूंगा। सवाल यह नहीं है कि हम अध्यक्ष कितने दिन रहेगे, सवाल यह है कि इन दिनों में हम कितने कार्यकर्ताओं के दिल में अपना घर बनाते हैं, और पार्टी के कार्य का कितना विस्तार करते हैं।’नंदू भईया’ में आदर्श कार्यकर्ता के सभी गुण थे। वे वर्तमान राजनीति में आज जो दृश्य सामने आते रहते हैं वे वैसे नहीं थे। वे सतत् कार्यकर्ता भाव से जीवित रहे। दिल्ली स्थित उनके आवास पर सदैव कार्यकर्ताओं का तांता लगा रहता था। आज की राजनीति में वे जमीन से कितने जुड़े थे, उसका ताजा उदाहरण खंडवा, बुरहानपुर, शाजापुर सहित खरगोन बड़वानी में देखने को मिला। जब वे मेदान्ता में जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे, तब उनके जीवन के लिए इन क्षेत्रों में हजारों घरों में महामृत्युंजय जब और सुन्दरकांड के पाठ चल रहे थे।
आज के भौतिकवादी युग में अपने परिजनों के लिए लोग इस तरह का ना जाप करते हैं, ना पाठ। उन्हे लोग परिवार का सदस्य या मुखिया मानते थे। वे कहते थे अपने कार्य की प्रमाणिकता और नैतिकता पर कभी सवाल नहीं उठाना चाहिए। नंदूभईया के मन में जनपीड़ा, परपीड़ा के लिए सदैव सहानुभूति रहती थी। वे पत्रकारों के अमित्र मित्र थे। वे संगठन सर्वोपरि के अखंड उपासक थे। हाल ही में उनके लोकसभा क्षेत्र से दो कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ भाजपा में आए। नंदूभईया को मुख्यमंत्री शिवराजजी एवं अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि नंदूभईया दोनों सीटे जीतनी है। नंदूभईया ने कहा कि दल के फैसले को जनता के दिल का फैसला बना दूंगा। ऐसा हुआ भी दोनों सीटे जीत गए। ऐसे थे नंदूभईया। भाजपा ने जहां प्रदेश में एक वरिष्ठ नेता खोया वहीं निमाड़ ने अपना खेवैया नंदूभईया खो दिया।बताते हुए प्रभात झा ने उन्हें विनम्र श्रद्धाजंलि दी ।

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