ज्ञान और हुनर दो ऐसी वस्तु विषय है जिन पर हर पीढ़ी ने विचार करना चाहिए ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए और हुनर सिखाते रहना चाहिए, पीढ़ी दर पीढ़ी यह काम चलते रहना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति से चिकित्सा में बहुत कुछ सीखा था परंतु उस ज्ञान को आगे ना बढ़ा पाए आज यह स्थिति है कि किसी को भी यह मालूम नहीं है कि हम यह फूल या पत्ती खा सकते हैं या इस पौधे को खाने से पानी की पूर्ति हो सकती है। बहुत सी जड़ी बूटी फूल पत्ती में हमारा इलाज छिपा हुआ है जो पूर्वजों को मालूम था पर वह ज्ञान आगे नहीं आया। अब हम नए सिरे से उसकी खोज में लगे हैं अभी भी समय है इस ज्ञान को बचपन से आम जनता को सिखाया जाए। यही बात हुनर की है पुराने जमाने में जब इतनी मशीनरी नहीं होती थी तकनीकी नहीं होती थी तब उन व्यक्तियों ने अपनी एक देशी तकनीकी विकसित की थी जिसके दम पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग, बड़े-बड़े विकास कीये। हम वह देशी तकनीकी भूल गए और टोटल ही मेकेनाइज हो गए, बिना मशीनरी के हम कुछ नहीं कर पाते हैं जबकि उस जमाने में मशीनरी विकसित नहीं थी। यही हाल कई बच्चों का है बिना केलकुलेटर के वे गुणा भाग नहीं कर पाते, हमने हमारे गणित के वैदिक ज्ञान को आगे बढ़ाया ही नहीं। ऐसी बहुत सारी बातों में कमीया रही है। और मॉडर्न सोसाइटी के इस जमाने में हम ने शिक्षा को बहुत महंगा कर दिया और हुनर की कदर नहीं की। नतीजन हम बेसिक ज्ञान अपने बच्चों को नहीं सिखा पाए।
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