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निहितार्थ —कर्नाटक में आचार्य कामनंदी की जघन्य हत्या, सरकार का सीबीआई जांच से इंकार

Updated on 21-07-2023 10:09 AM
‌भारतीय  संस्कृति में संतो को सर्वोपरि माना गया है । संत ही भारतीय मूल्यों के श्रेष्ठ संवाहक हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में विगत 5 जुलाई की रात को अत्यंत दुखद घटना घटित हुई है। कर्नाटक राज्य में बेलगावी जिले की चिक्कोड़ी तालुका के हिरेकोडी ग्राम में स्थित जैन मठ में पंद्रह वर्षों से निवासरत  प्रसिद्ध जैन आचार्य परम पूज्य श्री काम कुमार जी नंदी महाराज का दुर्दांत अपराधियों द्वारा अपहरण किया गया।अपहरण उपरांत मुनिराज के साथ पैशाचिक कृत्य किए गए। उनको अनेक यातना ताड़ना दी गईं। हाई  वोल्ट की विद्युत धारा प्रवाहित कर अथवा करंट लगा कर प्रताड़ना दी गई।इस जघन्य कृत्य से मन नहीं भरा तब इन दुर्दांत अपराधियों ने धारदार हथियार से आचार्य काम कुमार नंदी महाराज के शरीर के अंग–प्रत्यंगों को खंड–खंड कर एक बोरवेल में फेक दिया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में दिगंबर आचार्य की जघन्य हत्या का यह पहला अनिष्ट संयोग है ।कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की कार्यवाही सुस्त रुप से चल रही है जबकि भारत के समस्त साधु वृंद,जैन समाज, हिंदू समाज, विश्व हिंदू परिषद,भाजपा आदि सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं जिससे इस क्रूरतम घटना के पीछे छिपे हुए सारे रहस्य स्पष्ट हो सकें।दूध का दूध पानी का पानी हो सके। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक पुलिस ने दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है।इन दोनों की पहचान नारायण बसप्पा माडी एवं हसन दलायथ के तौर पर हुई है।इनका कहना है कि इन्होंने पैसे के विवाद पर हत्या की है।
‌भारतीय जन मानस यह भली भांति जानता है कि साधु परम त्यागी होते हैं। वह किसी प्रकार का वित्तीय लेन-देन नहीं करते हैं।जैन धर्म में तो साधु किसी प्रकार का परिग्रह भी नहीं करते हैं। इस कारण से वित्तीय लेन-देन की बात भारतीय जन मानस के गले नहीं उतर रही है।जिस नृशंसता, क्रूरता, निर्दयता,भयावहता एवं विकरालता से आचार्य मुनिराज की करंट लगा कर अंग प्रत्यंगों को काट कर हत्या की गई है।यह बात भी जनमानस के गले नहीं उतर रही है ।कहीं यह जैन परिसंपत्तियों को हथियाने का प्रयास तो नहीं है! निरंतर सीबीआई जांच की मांग हो रही है।
‌देश भर में हजारों स्थानों पर कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन हो रहे हैं।शांति पूर्ण भारत बंद हो रहा है।इससे कर्नाटक और संपूर्ण भारत को आर्थिक क्षति भी हो रही है।
विश्व संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने निंदा की है।अचार्य लोकेश मुनि ने अमेरिका में घटना के विरोध में उपवास रखा।आचार्य विराग सागर,आचार्य प्रज्ञा सागर,आचार्य विशुद्ध सागर,आचार्य विहर्ष सागर, आचार्य सुनील सागर,आचार्य विवेक सागर,मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसंत सागर, मुनि सुधा सागर, मुनि प्रमाण सागर अनेक मुनियों ने सीबीआई जांच की मांग की है। जिससे घटना के पीछे के समस्त रहस्य उदघाटित हो सकें । दोषियों को कठोरतम दंड मिले। देश भर के हिंदू धर्म के अनेक संतों ने भी इस घटना की निंदा की है।
‌श्री भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महासभा ने दिल्ली के जंतर मंतर पर पूज्य संत आचार्य प्रज्ञा सागर जी, आचार्य सुनील सागर और अन्य साधुओं के नेतृत्व में हजारों की संख्या में विरोध किया। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गजराज गंगवाल,भाजपा नेता राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल जैन,भाजपा नेता सुमित जैन,भाजपा दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता सारिका जैन और समस्त पदाधिकारियों ने सीबीआई जांच की मांग की है। भोपाल में श्री दिगंबर जैन पंचायत ट्रस्ट कमेटी भोपाल के अध्यक्ष मनोज बांगा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक पंचरत्न,आदित्य मन्या,भाजपा नेता अमित टडैया,संजय मूँगावली,राकेश अनुपम सहित विशाल संख्या में कलेक्टर भोपाल को ज्ञापन पत्र दिया। 

‌विश्व हिंदू परिषद ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है “दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले पूज्य जैन आचार्य का अपहरण और उसके बाद जिहादियों द्वारा उनके पवित्र शरीर के टुकड़े-टुकड़े करना राज्य में कॉन्ग्रेस सरकार की हिंदू विरोधी नीतियों का परिणाम है।जैन मुनि पिछले 15 वर्षों से आनंद पर्वत पर रहकर स्थानीय समाज की सेवा कर रहे थे। प्रदेश की नई सरकार के मंत्री गोहत्या विरोधी और धर्मांतरण विरोधी कानून हटाने की बात कर रहे हैं। इसके बाद से ही धर्म द्रोही और राष्ट्र विरोधी ताकतों का दुस्साहस बढ़ गया है।”
इस घटना पर भारतीय जनता पार्टी ने सड़क से लेकर कर्नाटक की विधानसभा तक कड़ा विरोध किया है।पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सीबीआई जांच की मांग की है। भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष नितिन कटील ने सीबीआई जांच की मांग की है केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है, “जैन मुनि की हत्या बेहद निंदनीय है। इस मामले की शुरुआत में आरोपितों के नाम छुपाए गए। लोगों पर दबाव डालकर यह कहने के लिए मजबूर किया गया कि जैन मुनि पैसों के लेन-देन में शामिल थे।यह दिखाने की कोशिश की गई है कि आर्थिक कारणों से जैन मुनि की हत्या हुई है।इसमें ऐसा संदेह है कि आरोपितों को बचाने का प्रयास हो रहा है। मुझे लगता है कि यह तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है।"
‌जनमानस में संशय व्याप्त है कि क्यों कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सीबीआई जांच का आग्रह पत्र प्रेषित  नहीं कर रही है? क्यों कर्नाटक सरकार के गृहमंत्री जी. परमेश्वर अभी भी सीबीआई जांच से इंकार कर रहे हैं? क्यों कर्नाटक सरकार के मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे भी सीबीआई जांच से इंकार कर रहे हैं?
लेखक —सत्येंद्र जैन, वरिष्ठ पत्रकार 


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