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ऑक्सीजन को लेकर शिवराज के दावे को चुनौती देते कमलनाथ

Updated on 14-04-2021 12:05 PM
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के फैलाव और मौत के  आंकड़ों के रिकॉर्ड धराशाई होते जा रहे हैं और जो नए मामले सामने आ रहे हैं वह स्थिति की भयावहता को बयां कर रहे हैं। मौत के जो आंकड़े सरकार दे रही है उन्हें विपक्षी दल कांग्रेसी ही नहीं अपितु सत्ताधारी दल भाजपा के वरिष्ठ नेता विधायक पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने भी खुली चुनौती दी है। कांग्रेस विधायक पूर्व मंत्री पीसी शर्मा सहित कई नेता भी गलत आंकड़े देने का प्रशासन पर आरोप लगाते रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल 12 अप्रैल को ही मीडिया  प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए दावा किया था कि अगले दो-तीन दिन में रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट समाप्त हो जाएगा तथा प्रदेश में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है और प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है। इसके साथ ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्रय के निर्देश दे दिए गए हैं, शीघ्र ही दो हजार कंसंट्रेटर की व्यवस्था होगी। वहीं दूसरी ओर आज 13 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज के दावों को चुनौती देते हुए अपने ट्वीट में कहा है कि सागर, उज्जैन और खरगोन के बाद अब इंदौर और भोपाल में पांच-पांच लोगों की ऑक्सीजन की कमी से दुखद मौत होने की  खबरें सामने आ रही हैं।कमलनाथ ने प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते  हुए आरोप लगाया कि इस समय ऑक्सीजन की आपूर्ति और मांग में काफी अंतर है, इसकी सच्चाई अस्पतालों से पता की जा सकती है। सरकार के दावे और कमलनाथ की चुनौती अपनी जगह है पर इस तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि अस्पतालों में मरीजों की सांस ऑक्सीजन की आस में अटकी हुई है और सरकार के लिए प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन जुटाना कठिन होता जा रहा है। यह बात अलग है कि शिवराज लगातार समीक्षा कर रहे हैं और मंत्रियों के साथ बेकाबू होते संक्रमण पर काबू पाने के लिए कोई कारगर मंत्र ढूंढने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी भोपाल और इंदौर सहित प्रदेश के कुछ अन्य स्थानों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत मची हुई है और कई निजी अस्पताल मरीजों के परिजनों से ऑक्सीजन का प्रबंध करने का कहने के लिए मजबूर दिख रहे हैं। सरकार अपनी पूरी शक्ति इन हालातों से निपटने के लिए लगा रही है, देखने वाली बात यही होगी कि वह कब अपने प्रयासों में इतनी सफल होती है कि मरीज और उनके परिजन राहत की सांस ले सकें।
         मुख्यमंत्री चौहान का कहना था कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर वातावरण से ऑक्सीजन  मरीज को प्रदाय करता है। आकस्मिक व्यवस्था के उद्देश्य से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जा रहे हैं। उनका मानना है कि लॉकडाउन परिस्थिति का समाधान नहीं सबसे बेहतर तो यह है कि यदि चेहरा लॉक हो जाए और हम मुंह पर मास्क लगा लें तथा पैर भी लॉक हो जाएं अर्थात हम घर से अनावश्यक ना निकलें तो लॉकडाउन की स्थिति ही निर्मित नहीं होगी। उनका कहना तो सही है लेकिन उसका पालन पूरी तरह से होता नहीं दिख रहा है। कई मंत्री और कुछ अधिकारी भी मास्क नहीं लगा रहे हैं लोग भी चहल कदमी करने याने अकारण ही घर से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे हैं। 
इलाज के लिए भटक रहे मरीज- कमलनाथ
         ट्विटर पर अत्याधिक सक्रिय कमलनाथ ने अपने ताजा ट्वीट में कहा है कि शिवराज  से लेकर तमाम ज़िम्मेदार सुबह से शाम तक बस एक ही बात कह रहे हैं कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं, पर्याप्त स्टॉक है, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कोई कमी नहीं, बेड की कमी नहीं और दूसरी तरफ़ प्रदेश भर में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से अफ़रा-तफ़री का माहौल है, लोगों की जान संकट में है।आज भी प्रदेश भर में रेमडेसिविर इंजेक्शन और इलाज के लिये लोग दर-दर भटक रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण कई अस्पतालों ने नये मरीज़ों को भर्ती करने से मना कर दिया है तथा लोग इलाज के लिये दर-दर भटक रहे है ? शिवराज सरकार को ज़मीनी हक़ीक़त अभी तक नहीं पता है और आज भी रोज़ झूठे दावे में लगी हुई है ? प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज़ नहीं, पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल ? आज भी आँकड़ो में हेराफेरी का खेल हो रहा है। आग से सब कुछ तबाह होता जा रहा है और सरकार अब नींद से जाग कुआँ खोदने की तैयारी कर रही है। ऑक्सीजन कंसनट्रैटर मशीन अब ख़रीदने जा रहे हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन की अब व्यवस्था कर रहे है और अब बेड बढ़ाने की बात कर रहे हैं, अब निजी भवनो को अस्पताल बनाने के ऑफ़र दे रहे हैं, अब जाकर मंत्रियो को ज़िले के प्रभार सौंपे हैं। कमलनाथ ने तीखा प्रश्न पूछते हुए कहा है कि ये कैसी व्यवस्था- ये कैसी निष्ठुर सरकार ? कमलनाथ भले ही प्रश्न पूछे रहे हों पर एक अनुभव यह भी है कि चाहे सरकार किसी की हो मुख्यमंत्री कोई भी हो प्रशासन का रवैया लगभग एक जैसा ही रहा है और आग लगने पर ही कुआं खोदना उसकी पुरानी आदत है।
और अंत में.............
          प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी इन दिनों दमोह चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी के प्रचार में व्यस्त हैं और प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर तीव्रतम होती जा रही है ऐसे में उन पर तंज करते हुए प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने पूछा है कि प्रभुराम जी यह बताएं कि लोगों की जान बचाना जरूरी है या खरीदी हुई एक सीट बचाना। उन्होंने मांग की कि स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम अस्पतालों में जाएं या त्यागपत्र दे दें। गुप्ता ने कहा है कि अस्पतालों के भयावह दृश्य आठ करोड़ जनता को दहला रहे हैं। उसी समय स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी दमोह में जनता से वोट मांग रहे हैं। जनता उनसे ऑक्सीजन, दवाई और बिस्तर मांग रही है। गुप्ता ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन्हें समझना चाहिये कि  दमोह की एक सीट जीतने हारने से भाजपा की सरकार नहीं चली जाएगी लेकिन एक दिन स्वास्थ्य मंत्री अस्पतालों में घूमेगा तो जरूर हजारों लोगों की जान बच जायेगी। अकेला मुख्यमंत्री कहां-कहां भटकेगा?
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बतायें कि उनकी प्राथमिकता क्या है? लोगों की जान बचाना या खरीदी हुई एक सीट बचाना। यह जवाब प्रदेश की जनता चाहती है ? गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के सांची अस्पताल में माली कोरोना सेम्पल ले रहे हैं। इस आपराधिक लापरवाही के लिये कौन जिम्मेदार है?
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक, सुबह सवेर  
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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