चीन में कोरोना का खुलासा करने वाली जर्नलिस्ट जांग जैन (40) को 4 साल बाद रिहा कर दिया गया है। उन्हें पिछले सप्ताह रिहा किया गया। हालांकि, उनसे संपर्क नहीं हो पाया था। अब उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपनी रिहाई की जानकारी दी है और लोगों को धन्यवाद कहा है।
31 सेकेंड के इस वीडियो में जांग ने बताया कि उन्हें 13 मई की सुबह रिहा कर शंघाई में भाई के घर भेज दिया गया। वह इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकती हैं। जांग को वुहान में कोरोना की रिपोर्टिंग करने के कारण गिरफ्तार किया गया था।
वुहान अस्पतालों की बदहाल हालत का सच दिखाया था
जांग जैन चीन की उन पत्रकारों में से एक हैं, जिन्होंने वुहान के वीडियो वायरल किए। इन वीडियो में वुहान के अस्पतालों में मरीजों की खराब हालत को दिखाया गया था। जांग ने अपने एक वीडियो में कहा था कि वुहान की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि लगता है उसे लकवा मार गया है। अगर हमने इसकी जानकारी लोगों को नहीं दी तो दुनिया जान ही नहीं पाएगी कि यहां क्या हो रहा है।
दरअसल, फरवरी 2020 में जांग अपने घर शंघाई से वुहान गई थीं। इस दौरान कोरोना फैलना शुरू हुआ था। जांग ने कई वीडियो बनाए जिनमें अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था दिख रही थी। फिर इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। जांग ने दावा किया था कि चीनी सरकार मृतकों के गलत आंकड़े दिखा रही है।
लाखों लोगों ने देखे जांग जैन के वीडियो
उनके वीडियो को सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने देखा था। इसके बाद उन्हें सरकारी अधिकारियों से धमकियां मिलने लगीं। इसके बाद जांग जैन अचानक मई 2020 में गायब हो गईं। दिसंबर 2020 में खुलासा हुआ कि वे कस्टडी में हैं। जांग को झगड़ा करने और हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तारी के बाद जांग ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल जाना पड़ा। जांग के वकील ने खुलासा किया था कि उन्होंने खाना छोड़ दिया है, जिसकी वजह से उनका वजन सिर्फ 37 किलो रह गया है। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी गलत थी। संगठन का दावा है कि अब जांग जैन के अधिकार सीमित कर दिए गए हैं।
वुहान में 23 जनवरी को लॉकडाउन लगा
चीन में 31 दिसंबर को अचानक 27 मामले आ गए थे जिसके बाद उसने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को कोरोना को लेकर अलर्ट किया। हालांकि, चीन में कोरोनावायरस का पहला मरीज 8 दिसंबर को वुहान शहर में मिला था। हालांकि, उस समय पता नहीं था कि ये कोरोनावायरस है। इसलिए उस समय इसे निमोनिया की तरह देखा गया।
दिसंबर के आखिर में वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने सबसे पहले कोरोनावायरस के बारे में बताया। पर चीन की सरकार ने ली को नजरअंदाज किया और उन पर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना से हो गई। उस समय ली की चैट के स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए थे, जिसमें उन्होंने निमोनिया की तरह एक नई बीमारी के बारे में आगाह किया था।
11 मार्च को WHO ने कोरोना को महामारी घोषित किया
चीन में इस वायरस से पहली मौत 9 जनवरी को हुई थी। चीन ने इसकी घोषणा 2 दिन बाद की। 23 जनवरी को वुहान में लॉकडाउन लगाया गया था। उस समय चीन के बाहर केवल 9 केस थे। फरवरी में इस वायरल का नाम ‘कोविड-19’ रखा गया। इसके बाद 11 मार्च को WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया।