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जन-मन को भाती- मन की बात

Updated on 27-10-2021 09:54 PM
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के विकास एवं गरीब उत्थान के लिए अनेक योजनाएं प्रारंभ कीं। देश की जनता ने जिस प्रकार उत्साह के साथ वोट दिया था, उनसे वैसी ही अपेक्षा थी। राजनीति के क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी नेता राजनीतिक विषयों पर सदैव टिप्पणी करते ही हैं। नेताओं की टिप्पणी अपने दल, उसकी नीतियों के समर्थन एवं विरोधी दलों के विरोध में ही होती हैं। वोट इस प्रकार के वक्तव्यों का आधार होता है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने इन सबसे हटकर एक नई पहल प्रारंभ की, जो उनकी समाज के प्रति संवेदनशीलता, देश की जनता के मानस की सूक्ष्म अध्ययन दृष्टि एवं सामाजिक विषयों के प्रति समाज से अपेक्षित सक्रियता को प्राप्त करना, इस उद्देश्य को प्रकट करती है। इस पहल को देश "मन की बात" के नाम से जानता है। आकाशवाणी पर प्रतिमाह के अंतिम रविवार को आने वाली मन की बात अब देश एवं दुनिया में लोकप्रिय है। इसकी जनप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा 27 जनवरी 2015 को मोदी जी के साथ मन की बात में सहभागिता कर चुके हैं। सतत आने वाली मन की बात की हम 82वीं श्रृंखला सुन चुके हैं। लाखों स्थानों पर करोड़ों लोग अपनी-अपनी भाषाओं में एकत्रित होकर मन की बात सुनते हैं। मृतप्राय हो चुकी रेडियो व्यवस्था एवं अप्रांसगिक जैसे लगने वाली आकाशवाणी को मन की बात ने पुनः प्रांसगिक बना दिया है। बिना किसी राजनीतिक टिप्पणी, आलोचना, प्रत्यालोचना के मन की बात ने देशभर में सकारात्मक वातावरण निर्माण किया है। समाज के सम्मुख ज्वलंत समस्याओं का निदान, रचनाधर्मी पुरुषों एवं प्रकल्पों को आगे बढ़ाया है। समस्याओं से लड़ने वाला समाज भी सक्रिय किया है। समाज की सक्रियता ही जागृत लोकतंत्र की पहचान है। इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का दर्शन भी कराया है। जिससे देश में उनके प्रति विश्वास बहुगुणित हो गया है।
    जब हम अपने देश की तुलना विकसित देशों के साथ करते हैं तब एक सहज टिप्पणी आती है कि वहां के नागरिकों के दैनिन्दन जीवन में व्यवहार का विवेक एवं अनुशासन है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ए०पी० जे० अब्दुल कलाम ने भी अपने अनुभवों का इस संबंध में उल्लेख किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने देश के नागरिकों के व्यवहार में यह अनुशासन आए, स्वच्छता भियान के माध्यम से इसका प्रयास किया, इसका आधार बनी "मन की बात"। दैनिन्दन जीवन में सफाई से प्रारंभ करके आर्थिक शुचिता एवं पारदर्शी व्यवहार, कालाधन आदि समस्याओं को मन की बात के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। समाज में दुर्व्यसन रोकने का माध्यम भी मन की बात बनी।
    समाज के सम्मुख प्रदूषण का संकट है। पर्यावरण बचाने के लिए विश्वभर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। पर्यावरण संरक्षण हेतु जल की शुद्धता, वृक्षारोपण जैसे विषयों को प्रधानमंत्री मोदी जी ने मन की बात में उठाया। 24 अक्टूबर 2021 मन की बात में गाजियाबाद के pond man श्री रामवीर तंवर जी का उल्लेख कर जल के महत्व को मोदी जी ने समझाया। मोदी जी द्वारा उल्लेखित जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है इसको निम्न श्लोक से समझा जा सकता है।

    गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
    नर्मदा सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधम कुरु।।

    खादी पुनः आत्मनिर्भर भारत का माध्यम बनी। खादी खरीदने का आह्वान श्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात के माध्यम से किया। उन्होंने कहा कि "आइए हम खादी उत्पाद खरीदें और बापू की जयंती को बड़े उत्साह के साथ चिह्नित करें" एवं "खादी को कपड़े की तरह नहीं आन्दोलन की तरह देखें।" जिसका परिणाम हुआ खादी पुनः जन चेतना जागृति का माध्यम बनी। किसान की समस्याओं को उठाना, कृषि एवं किसानों का उचित मार्गदर्शन करना, कृषि के क्षेत्र में चलने वाले अच्छे प्रयोगों को आगे लाना सभी मन की बात के माध्यम से हुआ। ड्रोन पोलिसी से कृषि का लाभ बढ़ेगा, इस कारण ड्रोन पोलिसी समझाने का माध्यम भी मन की बात बनी।
    21 जून योग दिवस अब विश्वभर में विशेष दिवस हो गया। दुनिया के समस्त देशों में योग के बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। जल, थल, नभ सभी में योग के कार्यक्रम होते हैं। भारत में तो सभी शिक्षण संस्थानों सहित गांव-गांव में योग होता है। योग गुरु एवं सामाजिक संस्थाएं योग के विस्तार में सहायक हो रही हैं। योग को जन आंदोलन का स्वरूप देने में मन की बात का बहुत बड़ा योगदान है। मोदी जी ने मन की बात में कहा कि "योग कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी, सबके लिए अच्छा है।" बच्चों के विकास में खिलौनों का महत्व समझाते हुए मोदी जी कहते हैं कि गुरुवर रवीन्द्र नाथ ठाकुर कहते थे कि "सबसे अच्छा खिलौना वो है जो अधूरा हो और जिसको बच्चे अपनी क्रिएटिविटी से पूरा करें।"
    परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों पर परीक्षा का एक दबाव रहता है। इस दबाव का परिणाम होता है कि असफलता के भय से अनेक छात्र आत्महत्या करते हैं। प्रसन्न मन से तैयारी कैसे करें, परीक्षा के दिनों में अभिभावकों का कैसा व्यवहार हो, यह समझाने में मोदी जी ने सफलता प्राप्त की है। "हमारी प्रतियोगिता दूसरों से नहीं स्वयं से ही है।", मन की बात में उल्लेखित यह उनका प्रसिद्ध वाक्य है। अब तो मन की बात के लिए देश के हजारों लोग अपने सुझाव भी देते हैं।
    कोरोना महामारी को रोकने में भारत ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। भारत का टीकाकरण अभियान भी विश्व का सर्वश्रेष्ठ अभियान बना है। कोरोना के समय समाज का व्यवहार, कोरोना योद्धाओं को सम्मान, वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन, कोरोना के विरुद्ध समाज को खड़ा करना, इन सभी विषयों को जनता तक ले जाने में मन की बात कार्यक्रम सहायक बना है। कोरोना महामारी से उसकी समाप्ति तक सजग रहने का आह्वान करते हुए मोदी जी ने निम्न श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि

    अग्निः शेषं ऋणः शेषं शत्रुः शेषं तथैव च |
    पुनः पुनः प्रवर्धेत तस्मात् शेषं न कारयेत् ||

    देशभर में नकारात्मक घटनाओं की चर्चा बहुत होती है। लेकिन समाज को खड़ा करने के लिए नकारात्मकता नहीं सकारात्मक वातावरण चाहिए। रचनाधर्मिता से युक्त प्रयोग समाज के सामने जितने आएंगे उससे समाज का विश्वास बढ़ेगा। इसलिए अच्छी सूचनाएं, अच्छे विचार एवं अच्छे कार्य को आगे लाना होता है। किसी कवि ने कहा कि "अंधकार को क्यों धिक्कारें अच्छा है कि एक दीप जलाएं।" इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा देशभर में चलने वाले अच्छे प्रयोग, अच्छे कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास किया गया। प्रतिमाह की मन की बात इन अनेक प्रसंगों से भरी पड़ी है जो हमको भी अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देते हैं।
    मन की बात में प्रधानमंत्री जी आगामी माह में आने वाले उत्सवों का महत्व एवं शुभकामनाएं देते हैं। महापुरुषों के जन्मदिन की चर्चा करते हुए बधाई देते हैं एवं उस महापुरुष का देश एवं समाज के प्रति योगदान क्या है, इसकी चर्चा करते हैं। इस कारण महापुरुष एवं उत्सव-त्यौहार किसी एक वर्ग के नहीं संपूर्ण समाज के हैं ,यह दृष्टि बोध होता है। महापुरुषों की चर्चा करते समय उनके कहे वाक्य, रचित काव्य की कुछ पंक्तियां एवं संस्कृत श्लोक, अंग्रेजी उक्ति सभी का उल्लेख करते हैं। जिसके कारण सभी भाषाओं के महापुरुषों, उत्सवों के प्रति श्रद्धा एवं सभी हमारे हैं, यह एकात्मता का भाव जगता है। यह एकात्मता ही देश को एक रखने में सहायक है। मन की बात में बिरसा मुंडा एवं सरदार पटेल के वाक्यों का उल्लेख इसके महत्व को दर्शाता है।
    गरीब कल्याण, महिलाओं का सम्मान, दिव्यांगों को सहयोग, सरकार के कार्यक्रमों एवं महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी एवं जनता से अपेक्षा, समाज के प्रति संवेदना, भविष्य की चुनौतियों से लड़ने योग्य समाज का दिशा-दर्शन, नए-नए प्रयोग खड़े करते हुए व्यवहारिक देशभक्ति युवा प्रकट करें, संस्कृति के प्रति गौरव जैसे गुणों को विकसित करने का माध्यम मन की बात बनी है। अभी देश के लगभग 1.5 लाख स्थानों पर इसको सुना जाता है। देश के सभी ग्रामों, शहरों के मोहल्लों में मन की बात सुनें, यह प्रधानमंत्री जी की अपेक्षा है। देशभर में सामूहिक एवं परिवार सहित सुनें, सुनने के बाद चर्चा करें एवं प्रेरणा लेकर अपने क्षेत्र में इस प्रकार के उपक्रम चलाएं। इस सामूहिक शक्ति से जो ताकत निर्माण होगी वह विश्व में भारत माता के जयघोष कराने में सहयोग करेगी। इसी में इस अभिनव प्रयोग "मन की बात" की सार्थकता है।
शिव प्रकाश जी, लेखक, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री हैं I                 ये लेखक के अपने विचार है I

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