पूरे विश्व में जैन संत एकमात्र ऐसे संत हैं जो आज के युग में भी पैदल विहार करते हैं साधु हो या साध्वी जी, चाहे स्वस्थ हो या अस्वस्थ। जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण है यह बात है कि जैनी लोगों को इस बात की पूरी पूरी छूट है कि वह भगवान की आराधना भक्ति प्रार्थना चाहे जिस विधि विधान से करें उसे जैन कहने से कोई नहीं रोक सकता और इसलिए जैन संप्रदाय में बहुत सारी अलग-अलग मान्यताओं के स्वरूप देखने को मिलेंगे। मुख्य रूप से दिगंबर और श्वेतांबर होते हैं इन दोनों के भी नीचे कई मान्यताएं ने रूप ले लिया जिन्हें मंदिर वासी स्थानकवासी तेरापंथ ऐसे अलग-अलग कई मान्यताएं है। दिगंबर संत दुनिया की सबसे कठिन साधना करते हैं और सबसे कठिन अवस्था में रहते हैं इसी प्रकार श्वेतांबर संप्रदाय के संत भी कई कठिन साधना करते हैं। जैन संप्रदाय में तपस्या का बड़ा महत्व है छोटे बच्चे से लेकर बड़े और साधु संत भी कई बड़ी बड़ी कठिन तपस्या करते हैं और जीवन भर करते रहते हैं। जैन बंधु खानपान में भी काफी सीमित चीजें खाते हैं और कई जैनी तो जमीकंद बिल्कुल नहीं खाते हैं। बरसात में हरी सब्जी भी नहीं खाते उनकी मान्यता में सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवो की रक्षा करना पहला कर्तव्य है। जैन समाज के लोग धर्म में पूरी आस्था रखते हैं और गुरुओं को ज्यादा महत्व देते हैं। बुद्धि और आर्थिक स्थिति से जैन समाज बहुत सक्षम है। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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